जवाबदेही

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उत्तरदायित्व, नैतिकता और शासन की एक ऐसी संकल्पना है, जिसके कई अर्थ हैं। इसका इस्तेमाल अक्सर जिम्मेदारी, जवाबदेही, दोषारोपण, दायित्व जैसी संकल्पनाओं तथा जवाबदेही से जुड़े अन्य शब्दों के पर्यावाची के तौर पर भी किया जाता है।[१]जवाबदेही का अर्थ सरकारी अधिकारियों में निहित विवेकाधिकारो तथा प्राधिकारों की राज्य व्यवस्था के विभिन्न अंगों द्वारा बाह्य समीक्षा करना है| शासन के एक पहलू के तौर पर, यह सार्वजनिक क्षेत्र, गैर-लाभकारी और निजी क्षेत्रों की समस्याओं से जुड़ी बहस का केंद्र रहा है। नेतृत्व की भूमिका में जवाबदेही के अंतर्गत कार्यों, उत्पादों, फैसलों को स्वीकार करना और उनकी जिम्मेदारी लेने के साथ-साथ प्रशासन, शासन और उन्हें अपनी भूमिका के दायरे में लागू करने तथा उसकी परिणति के प्रति जवाबदेह होना भी शामिल है।

प्रशासन से संबंधित शब्द के तौर पर जवाबदेही को परिभाषित करना मुश्किल है।[२][३] अक्सर इसका वर्णन अलग-अलग व्यक्तियों के बीच जवाबदेह रिश्ते के तौर पर किया जाता है, जैसे, "ए बी के प्रति जवाबदेह है जहां ए बी को ए के (भूत और भविष्य के) कार्यों और फैसलों की सूचना देता है, उसे न्यायोचित करार देता है और अगर कोई गलती होती है, तो उसकी सजा भी भुगतता है".[४]जवाबदेही बिना उचित जिम्मेदारी के अस्तित्व में नहीं रह सकती, दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जहां जिम्मेदारी नहीं होगी, वहां जवाबदेही नहीं होगी.

इतिहास और व्युत्पत्ति

"जवाबदेही" लैटिन शब्द accomptare (हिसाब करना) से निकला है, ये computare (गिनती करना) का एक उपसर्ग है, जो कि putare (to reckon) से निकला है।[५] हालांकि अंग्रेजी में यह शब्द तब तक सामने नहीं आया था जब तक कि 13वीं सदी के नॉर्मैन इंग्लैंड[६][७] में इसका इस्तेमाल शुरु नहीं हो गया था, हिसाब रखने की ये संकल्पना शासन और रुपये के लेन-देन से जुड़े रिकॉर्ड रखने की प्राचीन गतिविधियों से जुड़ी है जिसे कि पहली बार प्राचीन इजराइल[८], बेबिलोन[९], मिस्र[१०], यूनान[११] और बाद में रोम में विकसित किया गया।[१२]

जवाबदेही के प्रकार

ब्रूस स्टोन, ओमप्रकाश द्विवेदी और जोसफ जी जाबरा ने 8 प्रकार की जवाबदेही के बारे में बताया है, इनमें नैतिक, प्रशासनिक, राजनैतिक, प्रबंधकीय, बाजार, कानूनी/न्यायिक, निर्वाचन क्षेत्र के संबंध और पेशेवर शामिल हैं।[१३] नेतृत्व की जवाबदेही इनमें से कइयों में शामिल होती है।

राजनीतिक जवाबदेही

राजनीतिक जवाबदेही सरकार, नौकरशाहों और राजनेताओं की जनता और कांग्रेस अथवा संसद जैसी विधायिका के प्रति जवाबदेही है।

कुछ मामलों में चुने हुए अधिकारी को हटाने के लिए पुनर्मतदान का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि आमतौर पर मतदाताओं के पास चुने हुए प्रतिनिधियों को उनके चुने हुए कार्यकाल के दौरान प्रत्यक्ष तौर पर जवाबदेह ठहराने का कोई तरीका नहीं होता है। इसके अतिरिक्त कुछ अधिकारियों और विधायकों को चुनने के बजाए नियुक्त किया जा सकता है। संविधान अथवा कानून एक विधायिका को ये अधिकार दे सकता है कि वो अपने सदस्यों, सरकार और सरकारी निकायों को जवाबदेह ठहरा सके. ऐसा आंतरिक या स्वतंत्र जांच के माध्यम से किया जा सकता है। आमतौर पर किसी कदाचार या भ्रष्टाचार के आरोप पर ही जांच कराई जाती है। इस मामले में शक्ति, प्रक्रिया और प्रतिबंध अलग-अलग देशों में अलग होते हैं। विधायिका के पास ये अधिकार हो सकता है कि वो किसी व्यक्ति पर महाभियोग चलाए, उन्हें हटा दे या फिर उन्हें उनके पद से कुछ समय के लिए निलंबित कर सके. आरोपी व्यक्ति सुनवाई से पहले खुद भी इस्तीफा देने का फैसला कर सकता है। अमेरिका में महाभियोग का इस्तेमाल चुने हुए प्रतिनिधियों और जिला अदालत के जजों जैसे अन्य सार्वजनिक दफ्तरों के प्रतिनिधियों पर भी किया जाता है।

संसदीय प्रक्रियाओं में सरकार समर्थन या संसद पर निर्भर रहती है, जिससे संसद को सरकार को जवाबदह ठहराने का अधिकार मिल जाता है। जैसे कुछ संसदों में सरकार के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पारित किया जा सकता है।

नैतिक जवाबदेही

नैतिक जवाबदेही समग्र निजी और सांगठनिक प्रदर्शन को जिम्मेदार उपायों और पेशेवर विशेषज्ञता विकसित और उसे प्रचारित कर उन्नत करने का तरीका है और इसके साथ ही प्रभावी माहौल की वकालत कर लोगों तथा संगठनों को टिकाऊ विकास अपनाने के लिए प्रेरित करने का भी तरीका है। नैतिक जवाबदेही में व्यक्ति के साथ-साथ छोटे व बड़े कारोबार, गैर-लाभकारी संगठनों, शोध संस्थानों और शिक्षाविदों तथा सरकार को शामिल किया जा सकता है। किसी विद्वान ने अपने लेख में लिखा है कि सामाजिक बदलाव के लिए लोगों की जानकारी और ज्ञान की खोज किए बिना किसी योजना पर काम शुरू करना अनैतिक होगा, क्योंकि उस कार्य योजना को लागू करने की जिम्मेदारी लोगों की होगी, साथ ही उससे उन्हीं की जिंदगी प्रभावित होगी.[१४]

प्रशासनिक जवाबदेही

सरकार के प्रशासन में नौकरशाहों को जवाबदेह बनाने के लिए आंतरिक नियमों और मानदंडों के साथ-साथ कुछ स्वतंत्र आयोग भी होते हैं। विभाग या मंत्रालय के अंदर सबसे पहले बर्ताव नियमों और विनियमों से घिरा होता है; दूसरे नौकरशाह पदों के मुताबिक अपने वरिष्ठों के मातहत होते हैं और उन्हीं के प्रति जवाबदेह होते हैं। फिर भी विभागों पर नजर रखने और उन्हें जवाबदेह बनाने के लिए कुछ स्वतंत्र निगरानी ईकाइयां होती हैं; इन आयोगों की वैधता उनकी स्वतंत्रता पर निर्भर होती है, जो हितों के टकराव होने से बचाती है। आंतरिक जांच के अलावा कुछ निगरानी ईकाइयां होती हैं जो नागरिकों से शिकायतें लेती हैं, इससे सरकार और समाज नौकरशाहों को सिर्फ सरकारी विभागों के प्रति नहीं बल्कि नागरिकों के प्रति भी जवाबदेह बनाते हैं।

बाजार जवाबदेही

सरकार की विकेंद्रीकरण और निजीकरण की आवाज के तहत इन दिनों ग्राहकों को केंद्र कर सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं और इसका उद्देश्य नागरिकों को सुविधा और विभिन्न विकल्प मुहैया कराना होना चाहिए; इस परिप्रेक्ष्य में सार्वजनिक और निजी सेवाओं के बीच तुलना और प्रतिस्पर्धा होती है और इससे सेवा की गुणवत्ता उन्नत होती है। जैसा कि ब्रूस स्टोन ने उल्लेख किया है कि जवाबदेही का मूल्यांकन संप्रभू ग्राहकों के प्रति सेवा प्रदाताओं प्रभावनीय हो और जो उन्नत क्वालिटी की सेवा मुहैया कराए. बाहर से सेवा हासिल करना बाजार की जवाबदेही अपनाने का एक माध्यम हो सकता है। आउटसोर्स सेवा के लिए सरकार चिन्हित की हुई कंपनियों में से चुन सकती है; सरकार करार की अवधि के दौरान करार की शर्तें बदलकर कंपनी को रोक सकती है अथवा उस काम के लिए किसी दूसरी कंपनी का चयन कर सकती है।

निर्वाचन क्षेत्र के संबंध

किसी निर्वाचन क्षेत्र या इलाके की विभिन्न एजेंसियों, समूहों या संस्थानों के जो कि सार्वजनिक क्षेत्र से अलग और नागरिकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वालों के परिप्रेक्ष्य में जो आवाज उठती है और सुनी जाती है, उसके लिए विशेष एजेंसी या सरकार जवाबदेह होती है। फिर भी सरकार एजेंसियों के सदस्यों को ये अधिकार प्रदान करने के लिए बाध्य है जिससे कि उन्हें चुनाव में खड़ा होने और चुने जाने का राजनीतिक अधिकार मिले. या फिर उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र में सरकारी प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त करे और नीति-निर्धारण की प्रक्रिया में सभी निर्वाचन क्षेत्रों की आवाज को शामिल किए जाने को सुनिश्चित करे.

सार्वजनिक/निजी ओवरलैप

पिछले कुछ दशकों के दौरान सार्वजनिक सेवा के प्रावधानों में निजी संस्थाओं की, खासकर ब्रिटेन और अमेरिका में बढ़ती भागीदारी की वजह से कई लोग मांग करने लगे हैं कि गैर-राजनीतिक संस्थाओं पर भी राजनीतिक जवाबदेही का ये तंत्र लागू किया जाए. उदाहरण के लिए कानून की विद्वान एन्ने डेविस का तर्क है कि यूनाइटेड किंगडम में सार्वजनिक सेवा के प्रावधानों में सरकारी संस्थानों और निजी संस्थानों के बीच का फर्क कुछ खास क्षेत्रों में घटता जा रहा है और इससे उन क्षेत्रों में राजनीतिक जवाबदेही में समझौता किया जा सकता है। उनके साथ-साथ दूसरों का भी तर्क है कि जवाबदेही के इस खालीपन को भरने के लिए प्रशासनिक कानून में कुछ सुधार की जरूरत है।[१५]

अमेरिका में हाल ही में सार्वजनिक/निजी ओवरलैप की वजह से सरकारी सेवाओं का निजी क्षेत्रों में जाने और उससे जवाबदेही में कमी आने के मामले पर लोगों की चिंता तब जाहिर हुई थी, जब इराक की सुरक्षा संस्था ब्लैकवाटर में गोलीबारी की घटना हुई थी।[१६]

समकालीन विकास

जवाबदेही में जवाब देने के बर्ताव की उम्मीद अथवा धारणा शामिल होती है। एक सामाजिक कार्य के तौर पर हिसाब देने संबंधी अध्ययन के बारे में हाल ही में मार्विन स्कॉट, स्टैनफोर्ड लायमैन[१७] तथा स्टीफेन सोरोकासाँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] के 1968 के "एकाउंट्स" लेख में जिक्र किया गया था; हालांकि इसे जे. एल. ऑस्टिन के 1956 के लेख "ए प्ली फॉर एक्सक्यूजेज"[१८] ("A Plea for Excuses") में भी देखा जा सकता है जिसमें उन्होंने बहाना बनाने को भाषण-बाजी के उदाहरण के तौर पर इस्तेमाल किया था।

संचार क्षेत्र के विद्वानों ने इस कार्य को व्यक्तियों तथा कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले बहानों, प्रमाणिकता, तर्कों, क्षमा-याचना तथा जवाबदेही संबंधी बर्ताव के अन्य रूपों के सामरिक उपयोगों के परीक्षण के माध्यम से विस्तारित किया है; फिलिप टेटलॉक तथा उनके सहयोगियों ने जवाबदेही की मांग करने वाली विभिन्न परिस्थितियों तथा परिदृश्यों में व्यक्तियों द्वारा किये जाने वाले बर्ताव पर प्रयोगात्मक डिजाइन तकनीकों का इस्तेमाल किया है।

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की वैधता के बारे में होने वाली बहस में जवाबदेही एक महत्वपूर्ण मुद्दा रही है।[१९] चूंकि दुनिया में लोकतांत्रिक तरीके से चुना हुआ कोई निकाय नहीं है जिसके प्रति संगठन जवाबदेह हो, इसलिए सभी क्षेत्रों के वैश्विक संगठनों की गैर-जवाबदेही को लेकर अक्सर आलोचना की जाती है। वन वर्ल्ड ट्रस्ट के नेतृत्व वाले वैश्विक लोकतंत्र के चार्टर 99[२०] में पहली बार विभिन्न क्षेत्रों में लोगों और उनकी कानूनी स्थिति की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाले जवाबदेही के नियमों का संस्थानों द्वारा अध्ययन और पालन कराने का प्रस्ताव दिया था। वैश्विक संदर्भ में विश्व बैंक और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड जैसी संस्थाओं की समस्या काफी अद्भुत है; ये संस्थाएं अमीर देशों द्वारा स्थापित और समर्थित हैं और ऋण तथा अनुदान के रूप में विकासशील देशों को मदद मुहैया कराती हैं। तो क्या उन संस्थानों को उनके संस्थापकों और निवेशकों या फिर उन लोगों या देशों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए जिनकी वो मदद करते हैं। वैश्विक न्याय और इसके वितरण के परिणामों पर बहस में विश्वराजनीतिकविद पारंपरिक तौर पर हाशिए पर रही आबादियों और विकासशील देशों के अवहेलना किए हुए हितों के लिए ज्यादा से ज्यादा जवाबदेही तय करने की वकालत करते हैं। वहीं दूसरी ओर, जो राष्ट्रवादी और राज्यों की समाज परंपरा में हैं वो नैतिक सार्वभौमिकतावाद की विशेषताओं से इंकार करते हैं और ये तर्क देते हैं कि वैश्विक विकास की कोशिशों के लाभार्थियों को किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था को उनके प्रति जवाबदेह होने की मांग करने की पात्रता नहीं है। 2006 से 2008[२१] में प्रकाशित दि वन वर्ल्ड ट्रस्ट ग्लोबल एकाउंटैबिलिटी रिपोर्ट वैश्विक संगठनों को उनके लाभार्थियों के प्रति जवाबदेह बनाने की एक कोशिश थी।

गैर-लाभकारी क्षेत्र के लिए जवाबदेह तेजी से एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। 2005 में विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों ने एकाउंटेबिलिटी चार्टर पर हस्ताक्षर किए. मानवतावाद के क्षेत्र में एचएपीआई (मानवीय जवाबदेह भागीदारी इंटरनेशनल) (Humanitarian Accountability Partnership International) जैसी कुछ पहल दिखाई दी हैं। व्यक्तिगत गैर-सरकारी संगठनों ने खुद की जवाबदेह प्रणालियां (उदाहरण के लिए दि एएलपीएस, एकाउंटैबिलिटी और एकशन-एड की प्लानिंग सिस्टम) विकसित की हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में जवाबदेही

सडब्यूरी स्कूल्स मानते थे कि छात्र अपने कार्यों के लिए निजी तौर पर खुद ही जिम्मेदार होते हैं, ये धारणा आज के दूसरे स्कूलों के बिलकुल उलट है जो इससे इंकार करते हैं। ये इंकार तीन पराक्र से है: स्कूल छात्रों को पूरी तरह से अपने तरीके का चयन करने की इजाजत नहीं देता है; एक बार तय करने के बाद स्कूल छात्रों को कोर्स शुरू करने की इजाजत नहीं देते हैं और एक बार स्वीकार करने के बाद स्कूल छात्रों को कोर्स के परिणाम भुगतने की इजाजत नहीं देते हैं। चुनने की आजादी, काम करने की आजादी, काम का नतीजा सहन करने की आजादी-ऐसी तीन महान आजादी हैं जिनसे निजी जिम्मेदारी बनती है। सडब्यूरी स्कूल्स का दावा है कि "एथिक्स" यानी आचार एक ऐसा पाठ्यक्रम है जिसे जिंदगी के अनुभव से ही सीखा जाता है। उन्होंने मूल्यों को हासिल करने और नैतिक कार्य के लिए जो सबसे जरूरी घटक पेश किया है वो है निजी जिम्मेदारी. स्कूलों को तब नैतिकता की सीख देने में शामिल हो जाना चाहिए जब वो लोगों का समुदाय बन जाते हैं और जो एक-दूसरे के विकल्प चुनने के हक का आदर करते हैं। सही मायने में स्कूलों को नैतिक मूल्यों का पैरोकार बनने के लिए सही तरीका यही है कि अगर वो छात्रों और वयस्कों को नैतिक मूल्यों को आयात करने वाले जिंदगी के अनुभवों से सीखने का मौका मुहैया कराए. छात्रों को उनकी शिक्षा के लिए पूरी जिम्मेदारी दी जाती है और स्कूल प्रत्यक्ष लोकतंत्र से संचालित किया जाता है जहां छात्र और कर्मचारी समान होते हैं।[२२][२३][२४][२५][२६][२७]

प्रतीकात्मकता

न्यूरोलॉजिस्ट और मनोचिकित्सक, लोगो थेरेपी के संस्थापक और एग्जीस्टेंशियल (अस्तित्वपरक) थेरेपी के अहम शख्सियत विद्वान विक्टर फ्रैंकल ने अपनी किताब मैन्स सर्च फॉर मीनिंग में अनुशंसा की है कि "पूर्वी तट पर स्थित स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी (जो स्वाधीनता और आजादी का प्रतीक बन चुकी है) के एक पूरक के रूप में पश्चिमी तट पर स्टेच्यू ऑफ रेस्पोंसिबिलिटी की स्थापना की जानी चाहिए. उनकी सोच के अनुसार, "आखिरकार, स्वतंत्रता अंतिम वस्तु नहीं है। वह कहानी का एक हिस्सा मात्र है और अर्ध-सत्य के समान है। स्वतंत्रता, उस पूरे तथ्य का एक नकारात्मक पहलू है जिसका सकारात्मक पहलू जिम्मेदारी है। वास्तव में, जिम्मेदारीपूर्वक निर्वाह न किये जाने पर स्वतंत्रता के मनमानेपन में तब्दील होने के खतरा बना रहता है।[२८][२९]

इन्हें भी देखें

  • चुनाव खर्च संबंधी सुधार
  • सार्वजनिक जीवन में मानकों पर समिति
  • सूचना कानून की स्वतंत्रता
  • सरकारी जवाबदेही कार्यालय
  • वन वर्ल्ड ट्रस्ट
  • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल
  • जवाबदेह
  • विश्वव्यापी शासन के सूचक
  • विश्व बैंक के निरीक्षण कक्ष
  • विशेष-प्रयोजन के क्षेत्र

पादलेख

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सन्दर्भ

  • हंट, जी. 'दी प्रिंसिपल ऑफ कंप्लेमेंटेरिटी: फ्रीडम ऑफ इन्फोर्मेशन, पब्लिक एकाउंटबिलिटी एंड विसिलब्लोइंग', आर ए चैपमेन और एम हंट (आदि) में ओपन गवर्नमेंट इन ए थ्योरेटिकल एंड प्रेक्टिकल कॉन्टेस्ट. एश्गेट, एल्डरशोट, 2006.
  • हंट, जी. (आदि) विसिलब्लोइंग इन दी सोशल सर्विसेज: पब्लिक एकाउंटबिलिटी एंड प्रोफेशनल प्रेक्टिस, अर्नोल्ड (होडर), 1998.

अग्रिम पठन

  • स्टर्लिंग हारवुड, "एकाउंटबिलिटी," जॉन के.रोथ, आदि में, एथिक्स: रेडी रेफरेन्सेस (सेलम प्रेस, 1994), स्टर्लिंग हारवुड आदि में पुनःप्रकाशित, बिजनेस एज़ एथिकल एंड बिजनेस एज़ यूज्वल (वेड्सवर्थ पब्लिशिंग कंपनी, 1996).

बाहरी कड़ियाँ

  1. साँचा:cite journal
  2. साँचा:cite journal
  3. साँचा:cite journal
  4. साँचा:cite book
  5. ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी शब्दकोश दूसरा संस्करण
  6. साँचा:cite book
  7. साँचा:cite journal
  8. साँचा:cite book
  9. साँचा:cite journal
  10. साँचा:cite journal
  11. साँचा:cite book
  12. साँचा:cite journal
  13. जब्बरा, जे.जी और द्विवेदी, ओ. पी. (एड्स.), पब्लिक सर्विस एकाउंटबिलीटी: ए तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य, कुमारियन प्रेस, हार्टफोर्ड, सीटी, 1989, आईएसबीएन 0783775814
  14. कम्यूनिकेशन प्रेक्सिस फॉर एथिकल एकाउंटबिलीटीसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] वाई. लॉरियस, आर. लॉरी और एलेको क्रिसटेकिस; साइप्रस न्यूरोसाइन्स एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, साइप्रस; जुलाई 2008
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  16. साँचा:cite news
  17. साँचा:cite journal
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  19. साँचा:cite journal
  20. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  21. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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