जल का फ्लोरीकरण

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Clear water pours from a spout into a drinking glass.
जल के फ्लोरीकरण से इसके स्वाद एवं सुगंध में कोई बदलाव नहीं आता है।

जल का फ्लोरीकरण जल में फ्लोरीन मिलाने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में जन आपूर्ति के जल में नियंत्रित मात्रा में फ्लोरीन मिलाया जाता है। फ्लोरीकृत जल दंतक्षय को रोकता है। फ्लोरीकृत जल में इतनी मात्रा में फ्लोरीन होती है जिससे दंतक्षय रोकने में मदद मिलती है। फ्लोरीकृत जल दंत सतह पर कार्य करता है। यह मुंह के लार में अल्प मात्रा में फ्लोराइड पैदा करता है, जो दांत के एनामेल(उपरी कड़ी परत को) पर से खनिज हटने की प्रक्रिया को कम करता है और फिर से खनिज जमाता है। पीने के जल में फ्लोरीकृत यौगिक डाला जाता है। अफ्लोरीकरण की तब जरूरत होती है जब जल में तय सीमा से ज्यादा फ्लोरीन होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गठित 1994 की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार, जल में प्रतिलीटर आधा से एक मिग्रीग्राम फ्लोराइड होनी चाहिए (मात्रा जलवायु पर निर्भर करती है). डिब्बा बंद पानी में अनिश्चित मात्रा में फ्लोराइड होती है। कुछ फिल्टर, जिनमें [[रिवर्स ओस्मोसिस]] द्वारा अशुद्धियां हटाई जाती है, जल से फ्लोरोइड भी हटा देतें हैं।