प्राणिविज्ञान
प्राणिविज्ञान या जन्तुविज्ञान (en:Zoology) जीवविज्ञान की शाखा है जो जन्तुओं और उनके जीवन, शरीर, विकास और वर्गीकरण (classification) से सम्बन्धित होती है।
प्राणी की परिभाषा
प्राणी की परिभाषा कई प्रकार से की गई है। कुछ लोग प्राणी ऐसे जीव को कहते हैं जो कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का सृजन तो नहीं करता, पर जीवनयापन के लिए इन पर निर्भर करता है। इन पदार्थों को प्राणी बाह्य स्रोत से ही प्राप्त करता है। इनके सृजन करने वाले पादप जाति के जीव होते हैं, जो अकार्बनिक स्त्रोतों से प्राप्त पदार्थों से इनका सृजन करते हैं।
ये दोनों ही परिभाषाएँ सब प्राणियों पर लागू नहीं होतीं। पादप जाति के कुछ कवक और जीवाणु ऐसे हैं, जो अपना भोजन बाह्य स्त्रोतों से प्राप्त करते हैं। कुछ ऐसे प्राणी भी हैं, जो स्टार्च का सृजन स्वयं करते हैं। अत: प्राणी और पादप में विभेद करना कुछ दशाओं में बड़ा कठिन हो जाता है। यही कारण है कि प्राणिविज्ञान और पादपविज्ञान का अध्ययन एक समय विज्ञान की एक ही शाखा में साथ साथ किया जाता था और उसका नाम जैविकी या जीव विज्ञान (Biology) दिया गया है। पर आज ये दोनों शाखाएँ इतनी विकसित हो गई हैं कि इनका सम्यक् अध्ययन एक साथ करना संभव नहीं है। अत: आजकल प्राणिविज्ञान एवं पादपविज्ञान का अध्ययन अलग अलग ही किया जाता है।
प्राणिविज्ञान का महत्व
प्राणिविज्ञान का अध्ययन मनुष्य के लिए बड़े महत्व का है। मनुष्यके चारों ओर अलग-अलग प्रकार के जंतु रहते हैं। वह उन्हें देखता है और उसे उनसे बराबर काम पड़ता है। कुछ जंतु मनुष्य के लिए बड़े उपयोगी सिद्ध हुए हैं। अनेक जंतु मनुष्य के आहार होते हैं। जंतुओं से हमें दूध प्राप्त होता है। कुछ जंतु ऊन प्रदान करते हैं, जिनसे बहुमूल्य ऊनी वस्त्र तैयार
होते हैं। जंतुओं से ही रेशम, मधु, लाख आदि बड़ी उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। जंतुओं से ही अधिकांश खेतों की जुताई होती है। बैल, घोड़े, खच्चर तथा गदहे इत्यादि परिवहन का काम करते हैं। कुछ जंतु मनुष्य के सभी हैं और ये मनुष्य को कष्ट पहुँचाते, फसल नष्ट करते, पीड़ा देते और कभी कभी मार भी डालते हैं। अत: प्राणिविज्ञान का अध्ययन हमारे लिए महत्व रखता है।
बौद्धिक विकास के कारण मनुष्य अन्य प्राणियों से भिन्न होता है, पर शारीरिक बनावट और शारीरिक प्रणाली में अन्य कुछ प्राणियों से बड़ी समानता रखता है। इन कुछ प्राणियों की इद्रियाँ और कार्यप्रणाली मनुष्य की इंद्रियाँ और कार्यप्रणाली से बहुत मिलती जुलती है। इससे अनेक नई ओषधियों के प्रभाव का अध्ययन करने में इन प्राणियों से लाभ उठाया गया है और अनेक नई नई ओषधियों के आविष्कार में सहायता मिली है।
इतिहास
प्राणियों का अध्ययन बहुत प्राचीन काल से होता आ रहा है। इसका प्रमाण वे प्राचीन गुफाएँ हैं जिनकी पत्थर की दीवारों पर पशुओं की आकृतियाँ आज भी पाई जाती हैं। यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने ईसा के 300 वर्ष पूर्व जंतुओं पर एक पुस्तक लिखी थी। गैलेना (Galena) एक दूसरे रोमन वैद्य थे, जिन्होंने दूसरी शताब्दी में पशुओं की अनेक विशेषताओं का बड़ी स्पष्टता से वर्णन किया है। यूनान और रोम के अन्य कई ग्रंथकारों ने प्रकृतिविज्ञान पर पुस्तकें लिखीं हैं, जिनमें जंतुओं का उल्लेख है। बाद में लगभग हजार वर्ष तक प्राणिविज्ञान भुला दिया गया था। 16वीं सदी में लोगों का ध्यान फिर इस विज्ञान की ओर आकर्षित हुआ। उस समय चिकित्सा विद्यालयों के अध्यापकों का ध्यान इस ओर विशेष रूप से गया और वे इसके अध्ययन में प्रवृत्त हुए। 17वीं तथा 18वीं शताब्दी में इस विज्ञान की विशेष प्रगति हुई। सूक्ष्मदर्शी के आविष्कार के बाद इसका अध्ययन बहुत व्यापक हो गया। आधुनिक प्राणिविज्ञान की प्राय: इसी समय नींव पड़ी और जंतुओं के नामकरण और आकारिकी की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया गया। लिनियस ने "दि सिस्टम ऑव नेचर" (1735 ई.) नामक पुस्तक में पहले पहल जंतुओं के नामकरण का वर्णन किया है। उस समय तक ज्ञात जंतुओं की संख्या बहुत अधिक हो गई थी और उनका वर्गीकरण आवश्यक हो गया था।
शाखाएँ
प्राणिविज्ञान का विस्तार आज बहुत बढ़ गया है। सम्यक् अध्ययन के लिए इसे कई शाखाओं में विभाजित करना आवश्यक हो गया है। ऐसे अंतर्विभागों में :
- आकारिकी (Morphology),
- ऊतकविज्ञान (Histology),
- कोशिकाविज्ञान (Cystology),
- भ्रूणविज्ञान (Embryology),
- जीवाश्मविज्ञान (Palaeontology),
- विकृतिविज्ञान (Pathology),
- वर्गिकी (Taxology),
- आनुवांशिकी (Genetics),
- जीवविकास (Evolution),
- पारिस्थितिकी (Ecology) तथा
- पक्षीविज्ञान (ओर्निथोलोजी)
- मनोविज्ञान (Psychology)
अधिक महत्व के हैं। इनका विस्तृत विवरण प्राणिविज्ञान की शाखाएँ के अन्तर्गत एखिये॥
प्राणियों का वर्गीकरण
विस्तृत जानकारी के लिये प्राणियों का वर्गीकरण देखिये।
बाहरी कड़ियाँ
- जन्तुविज्ञान]
- इनसाइक्लोपीडिया ऑफ लाइफ - "Imagine an electronic page for each species of organism on Earth..." - Edward O. Wilson
- A Study Guide to Invertebrate Zoology ~ at Wikibooks
- Online Dictionary of Invertebrate Zoology
- An online dissection pictures of animals
- Dictionary.com's discussion of pronunciation