जगदेई कोलिण

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जगदेई कोलिण जिसे जगदेई कोलिन भी लिखा जाता है, भारत के उत्तराखंड की कोली जाति की एक वीरांगना थी जो गढ़वाल को बचाने के लिए नेपाल साम्राज्य की सेना से भिड़ गई थी एवं गढ़वालियों की जान बचाई थी।[१][२] १८०४ मे नेपाल के शासक जंग बहादुर राणा ने उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल को नेपाल मे मिलाना चहा था जिसके चलते नेपाल की गोरखा फौज ने कुमाऊं और गढ़वाल मे कहर बरपाना सुरू कर दिया था। इसी बीच जगदेई कोलिण नेपाल सेना के विरुद्ध हथियार उठाए इसी दौरान सेना ने कोलिण की नाक कान और स्तन काट दिए एवं जिंदा जला दिया था।[३][४]

संदर्भ

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