चेरो राजवंश
चेरो राजवंश | |||||
साम्राज्य | |||||
| |||||
राजधानी | निर्दिष्ट नहीं | ||||
भाषाएँ | भोजपुरी, मगही नागपुरी | ||||
धार्मिक समूह | हिन्दू धर्म | ||||
शासन | पूर्ण राजशाहीसाँचा:ns0 | ||||
इतिहास | |||||
- | स्थापित | १२वी शदि | |||
- | अंत | १८वी शदि | |||
आज इन देशों का हिस्सा है: | साँचा:ubl |
पाल वंश के पतन के पश्चात बिहार में जनजातिय राज्यों का उदय हुआ , जिसमे चेरो राज प्रमुख था।
चेरो राज ने वाराणसी, शाहाबाद, सारन, मुजफ्फरपुर एवं पालमु जिलों में शक्तिशाली राज्य की आधारशिला रखी एवं लगभग 300 वर्षों तक शासन किया । शाहाबाद जिले में चार राज्य थे । धुधिलिया नामक चेरो सरदार का मुख्यालय बिहियां था। दूसरा राज्य भोजपुर था, जिसका मुख्यालय तिरावन था तथा सरदार सीताराम था। तीसरे राज्य का मुख्यालय देव मार्कंडेय था जिसका सरदार फूलचंद था। फूलचंद को ही जगदीशपुर के मेले को शुरू कार्सन का श्रेय प्राप्त है। 1587 से 1607 के बीच भोजपुर के चेरो का प्रमुख कुकुमचंद झरप था, जिसने उज्जैनो को भोजपुर के एक बड़े भाग से उज्जैनो को भगा दिया। उज्जैनो एवं चेरो के बीच 1611 मे लड़ाई हुई । उस समय नारायण माल उज्जैनो का राजा था। प्रताप राय के शासन काल मे मुगलों द्वारा 1600 ई वी में जीत मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया। पलामू के चेरो का सबसे महान शासक मेदिनी राय था, जिसका राज्य गया, दाऊदनगर एवं अरवल तक विस्तृत था।[१][२][३]
मुख्य शासक
- सीता राम राय
- भगवत राय
- अनंत राय
- प्रताप राय
- भूपल राय
- मेदिनी राय
- रनजीत राय
- जय किशन राय
- चुरामन राय (अंतिम राजा )