चुम्बकीय परिपथ

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केवल एक लूप वाला चुम्बकीय परिपथ

चुंबकीय परिपथ (magnetic circuit) एक या अधिक बंद लूप वाले मार्गों से बना होता है जिनमें चुंबकीय फ्लक्स होता है। यह फ्लक्स प्राय: किसी स्थाई चुम्बक या विद्युत चुम्बक द्वारा पैदा किया जाता है। इन मार्गों में स्थित लौहचुम्बकीय पदार्थों के कारण फ्लक्स इन मार्गों में ही सीमित रहता है तथा मार्ग के बाहर फ्लक्स की मात्रा नगण्य ही रहती है।

चुम्बकीय परिपथ का कांसेप्ट विद्युतचुम्बकीय युक्तियों की डिजाइन में बहुत सुविधा प्रदान करता है। यह विभिन्न स्थानों से होकर गुजरने वाले फ्लक्स की मात्रा आदि की गणना में बहुत उपयोगी है। चूंकि विद्युत परिपथ और चुम्बकीय परिपथ में समानता है, इस कारण विद्युत परिपथ के विश्लेषण के सभी औजार (जैसे KCL, KVL, suparposition आदि) चुम्बकीय परिपथ के विश्लेषण में काम आ जाते हैं।

रिलक्टेंस (reluctance)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। चुम्बकीय फ्लक्स को वायु सहित बहुत से पदार्थों से होकर गुजरने में कठिनई होती है। (Magnetic flux is reluctant to travel through air.)। किन्तु लोहा आदि कुछ पदार्थों से होकर यह बहुत आसानी से गुजरता है। इसी को दूसरे शब्दों में कहें तो समान चुम्बकीय वाहक बल (MMF) लगाने पर हवा में लोहे की अपेक्षा बहुत कम चुम्बकीय फ्लक्स पैदा होता है। इसी बात को यों कहते हैं कि वायु का प्रतिष्तम्भ (रिलक्टेंस) अधिक है और लोहे आदि का बहुत कम। यह वैसे ही है जैसे विद्युत परिपथ में प्रतिरोध

जहाँ अधिक फ्लक्स पैदा करने की आवश्यकता होती है वहाँ लोहा आदि पदार्थों का उपयोग करके चुम्बकीय फ्लक्स के लिये कम रिलक्टेंस का मार्ग बनाया जाता है। फ्लक्स बढ़ाने का दूसरा तरीका फ्लक्स को पैदा करने वाला चुम्बकीय वाहक बल (MMF) का मान बढ़ाना भी है जिसके लिये धारा या फेरों की संख्या (number of turns) बढ़ायी जा सकती है।

चुम्बकीय परिपथ एवं विद्युतीय परिपथ में समतुल्यता (analogy)

ट्रान्सफॉर्मर, जिसमें दो परस्पर समानान्तर चुम्बकीय परिपथ देख सकते हैं।
चुम्बकीय परिपथ एवं विद्युत परिपथ में समतुल्यता
तुल्य चुम्बकीय राशि प्रतीक मात्रक तुल्य विद्युतीय राशि प्रतीक
Magnetomotive force (MMF) <math>\mathcal{F}= \int \mathbf{H}\cdot\,d\mathbf{l}</math> एम्पीयर-टर्न EMF की परिभाषा <math>\mathcal{E}= \int \mathbf{E}\cdot\,d\mathbf{l}</math>
चुम्बकीय क्षेत्र H अम्पीयर/मीटर विद्युत क्षेत्र E
चुम्बकीय फ्लक्स φ वेबर विद्युत धारा I
हॉप्किन्सन का नियम या रोलैण्ड का नियम <math>\mathcal{F} = \phi \mathcal{R}_m</math> ओम का नियम <math>\mathcal{E} = IR</math>
चुंबकीय प्रतिष्टम्भ <math>\mathcal{R}_m</math> 1/हेनरी विद्युत प्रतिरोध R
अगतिशीलता (Permeance) <math>\mathcal{P} = 1/\mathcal{R}_m</math> हेनरी विद्युत चालकता इकाई: सिमेंस
B तथा H में सम्बन्ध <math>\mathbf{B} = \mu \mathbf{H}</math> सूक्ष्म ओम का नियम <math>\mathbf{J} = \sigma \mathbf{E} </math>
चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व B B टेसला धारा घनत्व J
चुम्बकीय पारगम्यता μ हेनरी/मीटर विद्युत चालकता σ

चुम्बकीय परिपथ एवं विद्युतीय परिपथ में असमानता

ऊपर चुम्बकीय परिपथ एवं विद्युतीय परिपथ में और उसमें आने वाली राशियों में समानता दिखायी गयी है। किन्तु कुछ अन्तर भी हैं जो महत्वपूर्ण हैं।

  • (१) विद्युत परिपथ में I2R प्रतिरोध में प्रति सेकेण्ड होने वाली विद्युत ऊर्जा की हानि बताता है। इस कारण, यदि किसी बैटरी से एक प्रतिरोध जोड़कर उसमें धारा प्रवाहित किया जाय तो इस प्रक्रिया में बैटरी से लगातार विद्युत ऊर्जा खर्च हो रही है और प्रतिरोध में जाकर ऊष्मा के रूप में बदल रही है। किन्तु चुम्बकीय परिपथ में ऐसा नहीं होता। वहाँ φ2<math>\mathcal{R}_m</math> प्रति सेकेण्ड खर्च होने वाली चुम्बकीय ऊर्जा नहीं है। उदाहरण के लिए एक स्थाई चुम्बक, कुछ लोहा और कुछ वायु-स्थान (एयर-गैप) के द्वारा एक सरल चुम्बकीय परिपथ बन जाता है। इस परिपथ के वायु-स्थान में कुछ फ्लक्स है और वायु-स्थान का रोलक्टैंस भी कुछ है। किन्तु वायु-स्थान में कोई चुम्बकीय ऊर्जा नष्ट नहीं होती। न ही बैटरी की तरह यह स्थाई चुम्बक 'डिस्चार्ज' होता है।
  • (२) विद्युत परिपथ में कुछ ऐसे पदार्थ हैं जिनको 'कुचालक' कहते हैं। इनमें बहुत कम धारा बह पाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो, अच्छे चालकों तथा अछे कुचालकों की विद्युत चालकता में अनेकों परिमाण की कोटि का अन्तर पाया जाता है। किन्तु चुम्बकीय परिपथ में ऐसा नहीं है। वायु-आदि को सही अर्थों में 'चुम्बकीय कुचालक' नहीं कहा जा सकता। लोहे और वायु की पारगम्यता में इतनी अधिक असमानता नहीं है जितनी अधिक असमानता ताँबे और हवा की चालकता में है। इसी कारण यदि कहीं हम चाहते हैं कि हवा में चुम्बकीय फ्लक्स न जाय और 'चुम्बकीय पदार्थ' से बने मार्ग से होकर सारा फ्लक्स जाय, तो यह काम कर पाना उतना सरल नहीं है।
  • (३) कुछ 'चुम्बकीय पदार्थों' की पारगम्यता, फ्लक्स के साथ बहुत अधिक बदलती है। इसके विपरीत, विद्युत चालकों/प्रतिरोधों की चालकता, विद्युत धारा के साथ इतना अधिक नहीं बदलती।
  • (४) विद्युत परिपथ में डायोड, ट्रांजिस्टर, एससीआर जैसी युक्तियाँ लगायीं जा सकतीं हैं। चुम्बकीय परिपथ के लिए, इनके तुल्य युक्तियाँ उपलब्ध नहीं हैं।
  • (५) चुम्बकीय शैथिल्य (मैग्नेटिक हिस्टेरिसिस) बहुत अधिक होता है। इसके विपरीत विद्युत-शैथिल्य बहुत कम या नहीं के बराबर देखने को मिलता है। चुम्बकीय शैथिल्य एक प्रकार की ऊर्जा हानि पैदा करता है, विद्युत-शैथिल्य इस प्रकार की कोई हानि नहीं करता।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ