चुम्बकीय क्षेत्र
चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धाराओं और चुंबकीय सामग्री का चुंबकीय प्रभाव है। किसी भी बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र दोनों, दिशा और परिमाण (या शक्ति) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है; इसलिये यह एक सदिश क्षेत्र है। चुम्बकीय क्षेत्र गतिमान विद्युत आवेश और मूलकणों के अंतर्भूत चुंबकीय आघूर्ण द्वारा उत्पादित होता है।
'चुम्बकीय क्षेत्र' शब्द का प्रयोग दो क्षेत्रों के लिये किया जाता है जिनका आपस में निकट सम्बन्ध है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। इन दो क्षेत्रों को साँचा:math तथा साँचा:math, द्वारा निरूपित किया जाता है। साँचा:math की ईकाई अम्पीयर प्रति मीटर (संकेत: A·m−1 or A/m) है और साँचा:math की ईकाई टेस्ला (प्रतीक: T) है।
चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है- (१) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा) तथा (२) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा[१][२] विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं।
चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) स्थायी चुम्बकों द्वारा लोहा, कोबाल्ट आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) मोटर आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः वैद्युत इंजीनियरी तथा विद्युतचुम्बकत्व में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, चुम्बकीय सुई के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है।
लॉरेंज बल
स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। किसी चुम्बकीय क्षेत्र B में, v वेग से गतिमान, q आवेश वाले कण पर लगने वाला बल है,
- <math>\mathbf{F} = q\mathbf{v} \times \mathbf{B}</math>