चीन प्रशासित लद्दाख का क्षेत्र (अक्साई चिन)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

चीन अधिकृत लद्दाख (अक्साई चिन)

भारत और चीन के बीच जिन दो क्षेत्रों को लेकर सीमा विवाद है, उनमें से एक अरुणाचल प्रदेश है तो वहीं दूसरा अक्साई चिन ही है। अक्साई चिन, लद्दाख UT का उत्तर-पूर्वी हिस्सा है और पूरे प्रदेश के क्षेत्रफल का करीब 20 प्रतिशत भाग है। चीनी कब्जे से पहले ये प्रदेश के लद्दाख क्षेत्र में आता था, जिसकी एक सीमा तिब्बत से तो दूसरी सीमा चीन से लगती थी। इस इलाके के कुछ हिस्से पर 1950 के दशक में चीन ने कब्जा करते हुए वहां से तिब्बत तक जा रही सड़क बना ली थी। हालांकि भारत को इस बात का पता देर से चला। इसके बाद साल 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस पर पूरी तरह अपना कब्जा कर लिया और इसे अपने शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र से मिला लिया था। तब से ये उसी के कब्जे में है।

साँचा:if empty
{{{type}}}
Skyline of {{{official_name}}}
साँचा:location map

साँचा:template otherसाँचा:main other

क्षेत्रफल

अक्साई चिन का क्षेत्रफल करीब 37,244 वर्ग किलोमीटर (14,380 स्क्वेयर मील) है। बर्फीला इलाका होने की वजह से इसे सफेद पत्थरों का रेगिस्तान भी कहा जाता है। काफी ज्यादा ठंडा और पथरीला इलाका होने की वजह से यहां कुछ भी नहीं उगता है, इसलिए इसे बर्फीला रेगिस्तान भी कहते हैं। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई करीब 5000 मीटर (7000 फीट) है। लद्दाख और अक्साई चिन को जो रेखा अलग करती है, उसे LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) कहा जाता है।

सीमा विवाद

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद की जड़ में अक्साई चिन भी शामिल है। भारत इस हिस्से पर अपना दावा करता है, तो वहीं चीन इसे अपना इलाका बताता रहा है। 1865 में सर्वे ऑफ इंडिया के अफसर डब्ल्यूएच जॉनसन ने इलाके का जो नक्शा बनाया, उसमें अक्साई चिन को कश्मीर के साथ बताया। इस सीमा रेखा को लानाक-ला-पास (जॉनसन लाइन 1865) के नाम से जाना गया। इसके बाद जॉनसन को हटा दिया गया। भारत इसी लाइन के आधार पर अपना दावा अक्साई चिन पर करता है। इसके कुछ सालों बाद साल 1889 तक ब्रिटेन और चीन के रिश्ते काफी सुधर गए। जिसके बाद ब्रिटेन ने एकबार फिर इलाके का पुनर्निधारण करने का सोचा और इसका जिम्मा मैकार्टनी-मैक्डॉनाल्ड को दिया। जिन्होंने अक्साई चिन का ज्यादातर हिस्सा चीन में डाल दिया। इस लाइन को कोंगका-ला-पास (मैकार्टनी-मैक्डॉनाल्ड 1899) के नाम से जाना गया। चीन इसी लाइन के आधार पर अक्साई चिन पर अपना हक जताता है।[१]

प्रशासित

अक्साई चिन या अक्सेचिन (उईग़ुर: ﺋﺎﻗﺴﺎﻱ ﭼﯩﻦ‎, सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है।[1] ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। POK का 5180 बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान ने चीन को गिफ्ट में दे दिया और चीन 38000 हज़ार बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पहले से ही कब्ज़ा कर के बैठा है तो इस हिसाब से 43180 बर्ग किलोमीटर हो गया, तो अब भारत चीन से इतना ही एरिया वापस लेगा।

भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था।[2] १९५० के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है पर भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे लद्दाख राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है।

इन्हें भी देखें

संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।