चीन-सोवियत गैर-आक्रामकता समझौता
चीन-सोवियत गैर-आक्रामकता संधि (पारंपरिक चीनी: 中蘇互不侵犯條約; सरलीकृत चीनी: 中苏互不侵犯条约) पर 21 अगस्त, 1937 को चीन और सोवियत संघ द्वारा नानजिंग में हस्ताक्षर किए गए थे। यह समझौता द्वितीय चीन-जापान युद्ध के दौरान किया गया था और यह उसी दिन से प्रभावी हो गया था जिस दिन इसपे हस्ताक्षर किए गए और 8 सितंबर, 1937 को इसे लीग ऑफ नेशंस ट्रीटी सीरीज़ में पंजीकृत किया गया था।[१]
परिणाम
सबसे पहले, इस समझौते से च्यांग काई-शेक के नेतृत्व वाली कुओमिन्तांग सरकार और सोवियत संघ के बीच के संबंधों में सुधार हुआ। संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद, सोवियत संघ ने जापानी आक्रमण को रोकने में मदद करने के लिए ऑपरेशन जेट के अंतर्गत चीनी सरकार को विमान भेजना शुरू कर दिया और साथ ही साथ आर्थिक सहायता भी भेजी। इस संधि ने सोवियत संघ को अपना ध्यान पश्चिम पर केंद्रित करने की अनुमति दी, जहां नाज़ी जर्मनी सोवियत संघ के साथ युद्ध के लिए तैयारी कर रहा था। पश्चिम में ये युद्ध सोवियत-जापानी तटस्थता संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद और भी तीव्र हो गया था। इसके अलावा इसने चीन और जर्मनी के बीच बिगड़ते संबंधों में और ख़राब कर दिया और नाज़ी जर्मनी ने चीन को दिए जाने वाले जर्मन सैन्य सहायता का अंत कर दिया।
सोवियत संघ द्वारा उल्लंघन
विडंबना यह है कि 1937 में, जब समझौते पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे, सोवियत संघ ने अगस्त से अक्टूबर तक शिनजियांग युद्ध (1937) आयोजित करके इसका उल्लंघन किया।
शिनजियांग में सोवियत सेना कठपुतली गवर्नर शेंग शिकाई की सहायता कर रही थी। कुओमिन्तांग मुस्लिम जनरल मा हुशान ने आक्रमण का विरोध करने के लिए 36वें डिवीजन (राष्ट्रीय क्रांतिकारी सेना) का नेतृत्व किया।[२][३] आक्रमण से पहले, मा हुशान ने चियांग काई-शेक के साथ संवाद किया था और पीटर फ्लेमिंग को बताया था कि चियांग सोवियत संघ से लड़ने में मदद भेजेगा। परन्तु जापान के खिलाफ युद्ध की शुरुआत ने मा को अपने दम पर सोवियत आक्रमण का सामना करने के लिए मजबूर कर किया।
सन्दर्भ
- ↑ League of Nations Treaty Series, vol. 181, pp. 102–105.
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book