घिरथ जाट

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घिरथ (जिसे घिरथ, घृत या चौधरी के नाम से भी जाना जाता है) एक हिंदू कृषि भारतीय जाट जाति है जो उत्तर भारत के में हिमाचल प्रदेश राज्य में पाई जाती है। [१]

घिरथ जाट हिमाचल प्रदेश में पाया जाने वाला एक समुदाय है।  घेर एक पहाड़ी शब्द है और चांग एक पंजाबी शब्द है।  वर्तमान में यह समुदाय हिमाचल प्रदेश के चौधरी लोगों द्वारा जाना जाता है[२]

इतिहास

एक पौराणिक कथा के अनुसार, घेरों को तथाकथित इसलिए कहा जाता है क्योंकि हिंदू भगवान शिव ने उन्हें घी ( संस्कृत में घृत ) से बनाया था। यह व्युत्पत्ति समुदाय के पशुपालन और कृषि के पारंपरिक व्यवसाय को दर्शाती है। हालांकि, समुदाय के कुछ सदस्य अपने वंश का पता घृत ऋषि नामक एक ऋषि से लगाते हैं, और महाभारत में वर्णित पौराणिक कौरवों से संबंध होने का दावा करते हैं। समुदाय जाट क्षत्रियों से वंश का भी दावा करता है। [१]

एच.ए.  रोज़ [1] लिखते हैं कि लोक व्युत्पत्ति घी से घिरथ प्राप्त करती है, क्योंकि शिव ने उन्हें घी से बनाया था।  होशियारपुर में घेरों को बहती कहा जाता है।  हिन्दुस्तान में इन्हें जाट कहा जाता है।  चांग पंजाबी नाम है, और घिर्थ पहाड़ी शब्द है।[३]

हिमाचल का जाट कबीला जिससे ज्यादातर लोग अनजान है।[४]

घिरथ एक पहाड़ी शब्द है जिसका मतलब घृत यानि घी से है यह समाज मूल रूप से जाट है जो 700 पहले राजस्थान ,पंजाब से पहाड़ी क्षेत्र में आकर बस गए जेम्स लिप्पिन ल्याल  पेज 640 पर लिखते है की पहाड़ी क्षेत्र में जाट लोगो को घिर्थ बोला जाता है जिसका कारन उनका अधिक मात्रा में घी का सेवन करना है इसलिए इनको घी अहारी  यानि घिरथ] बोला जाता है | हिमाचल के चौधरी घिरथ कहे जाते है जबकि सम्पूर्ण भारत वर्ष में चौधरी जाटों का पर्यायवाची माना जाता है |.[५]घिरथ लोग भी अपनी उत्पत्ति भगवान शिव से मानते है क्यों की हिन्दुओ के पवित्र ग्रन्थ देव संहिता में  जाटों की उत्पत्ति शिव से बताई गयी है अपने जाट (जट्ट ) भाइयो की तरह यह पहाड़ी जाट भी एक उत्तम कृषक और बहादुर सैनिक है | इन में औरतो को जाटों के सम्मान पूजनीय स्थान प्राप्त है इसलिए यह विधवाः होने पर जाटों की तरह करा देते है यानि पुनः विवाह कर देते है जोकि इनके जाट क्षत्रिय होने का प्रमाण है पंजाब में राजा महाराजा जाट (जट्ट) ही हुए है  इन वीर जाटों ने मोहम्मद तुगलक के कराचील यानि नगरकोट के हमले को नाकाम किया हिमाचल में #_चौधरी के 360 गोत्र है जो काँगड़ा ,ऊना और उस से लगते पंजाब के होशियारपुर में निवास करते है | इनके सम्पूर्ण गोत्र #_जाट_समाज से मिलते है पूर्वी भाग में इनको बाहति  पक्ष्चिम में चांग चाहंग बोलते है यह चाहंग शब्द मूल रूप से चाहड़ है जो जाटों का गोत्र है जिसको ब्रज क्षेत्र में चाहर  तो पंजाब में चाहल बोलते है ।.[६][७]

संबंधित समूह

ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासक डेन्ज़िल इबेट्सन, अपनी पंजाब जाट जाति (1916) में, घेर को उन लोगों के समान मानते हैं जिन्हें क्रमशः निचली हिमालय श्रृंखला के पूर्वी और पश्चिमी भाग में चाहंग (या चांग) और बहती के रूप में जाना जाता है। [८] एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडियाज पीपल ऑफ इंडिया सीरीज (१९९६) में चाहंग और बहती जाट को घेरों के उप-समूहों के रूप में वर्णित किया गया है। [१]

भारत सरकार द्वारा चाहंग और बहती जाट सहित घेरों को अन्य पिछड़े वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। [९] 1932 में स्थापित घिरथ, चाहंग, बहती महासभा इन तीन जाट समुदायों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है। [१०]

संदर्भ

ग्रन्थसूची

  1. B R Sharma & A R Sankhyan 1996, पृ॰ 237.
  2. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/B, p.34
  3. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/G',p.288
  4. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/C, p.146,153
  5. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/B, p.34
  6. An Inquiry Into the Ethnography of Afghanistan By H. W. Bellew, p.134,185
  7. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/G,p.288
  8. Kumar Suresh Singh 2003, पृ॰ 130.
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