गौरीपुर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
नैहाटी में स्थित गौरीपुर का एक छोटा सा पैनोरमा चित्र

गौरीपुर , बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित एक छोटा सा विकसित कस्बा है। गौरीपुर मुुख्यतः जूट मिल के कारखाने के लिए विश्वाविख्यात है। इस इलाके में मूलतः बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और ओड़िशा के नागरिक काम के तलाश में आए और बस गए, कुछ यहीं मरखप गए। पश्चिम बंगाल में जब भी कभी हिंदी पट्टी की बात आती तो गौरीपुर शिल्पांचल का नाम सबसे उपर होता। यहां आज भी लगभग 70 प्रतिशत हिंदीभाषी निवास करते हैैं।यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे अगर मिनी बिहार और उत्तर प्रदेश कह दिया जाए तो कदापि गलत नहीं होगा।गौरीपुर जूट मिल की स्थापना मैक्लम बैरी ने सन् 1862 ई° में किया था। लगभग 115 एकड़ में फैले इस मिल में कई तरह के कारखाने थे। यहां धर्म- जाति, भाषा के अनुसार कई इलाके बनाए गए जिनमें मिल मजदूरों के क्वाटर है जैसे मद्रासी लाइन, बाबू लाइन आदि। गौरीपुर जूट मिल लगभग 1998 से बंद पड़ा है। कई नेताजी आए और गए। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद इसे खुलवाने का वादा 2009 के विधानसभा चुनाव में किया था लेकिन वो जितने के बाद भूल गई। मिल में अब बड़े- बड़े घास उगे हैं, आधे मशीन भी गायब है। इसी मिल के कारण गौरीपुर की पूरे विश्व मेंअपनी एक अलग पहचान थी जो अब धूमिल हो रही है

रोज़गर की खोज में जितने लोग इस मैदानी भाग में आए उनमें से बहुत तो पुनः अपने अपने जन्म स्थान की ओर लौट गए लेकिन कई परिवार यही बस गए ,जो मूलतः अब हिंदीभाषी बंगाली कहलाते है ।ये उतने ही धूमधाम से छठ मनाते हैं जितने धूमधाम से दुर्गापूजा।कई लोगों ने अपनी दुकानें खोल ली और कई इधर-उधर कुछ छोटा-मोटा काम कर अपना जीविकोपार्जन करने लगे।