गोण्डा
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स्क्रिप्ट त्रुटि: "about" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।यह भारत के प्रान्त उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख जिला गोंडा जिले का मुख्यालय है जो पूर्व में बस्ती, पश्चिम में बहराइच, उत्तर में बलरामपुर तथा दक्षिण में बाराबंकी और फैजाबाद से घिरा हुआ है। यहाँ की जिला जेल में काकोरी काण्ड के एक प्रमुख क्रान्तिकारी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को निर्धारित तिथि से दो दिन पूर्व १७ दिसम्बर १९२७ को बेरहम ब्रिटिश सरकार द्वारा फाँसी दी गयी थी।
गोण्डा | |
— जिला मुख्यालय — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | साँचा:flag |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
जिलाधिकारी, गोण्डा | मार्कण्डेय साही[१] (आई०ए०एस०) |
सांसद | कीर्तिवर्धन सिंह[२] |
जनसंख्या • घनत्व |
३४,३१,३८६ (साँचा:as of) |
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
७३५२ वर्ग किलोमीटर कि.मी² • १२० मीटर |
साँचा:collapsible list | |
आधिकारिक जालस्थल: gonda.nic.in |
भूगोल
गोण्डा २६° ४७' तथा २७° २०' उत्तरी अक्षांश के मध्य एवं ८१° ३०' तथा ८२° ४६' देशान्तर के मध्य में स्थित है। जनपद का कुल क्षेत्रफल 4003 वर्ग कि0मी0 है जो देवीपाटन मण्डल के कुल क्षेत्रफल का 28.13 प्रतिशत है। इस जनपद में 04 तहसीलें गोण्डा, मनकापुर, करनैलगंज एवं तरबगंज है। इन तहसीलों में तहसील गोण्डा का क्षेत्रफल 1249.48 वर्ग कि0मी0, तहसील मनकापुर का 763.70 वर्ग कि0मी0, तरबगंज का 963.31 वर्ग कि0मी0 व करनैलगंज का 1026.51 वर्ग कि0मी0 है। इस प्रकार जनपद गोण्डा के कुल क्षेत्रफल का 31.21 प्रतिशत तहसील गोण्डा, 19.07 प्रतिशत तहसील मनकापुर, 24.06 प्रतिशत तहसील तरबगंज व 25.64 प्रतिशत तहसील करनैलगंज का क्षेत्रफल है।
इतिहास
गोण्डा प्राचीन काल में कोशल महाजनपद का भाग था, मुगलों के शासन में यह फरवरी १८५६ तक अवध का हिस्सा था और मुगलों के आधीन था जिसे बाद में अंग्रेजों ने कब्ज़ा लिया।
ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में अयोध्या के राजा भगवान श्रीराम की गायें इस क्षेत्र में चरा करती थी, जिससे इस क्षेत्र का नाम "गोनर्द" पड़ा। यही कालान्तर में अपभ्रंश होकर गोण्डा कहलाया। आज भी बहुत से ग्रामीण "गोण्डा" को "गोंड़ा" कहते हैं। गोण्डा को महाभाष्यकार पतंजलि की जन्मभूमि भी माना जाता है। पतंजलि को "गोनर्दीय पतंजलि" भी कहा जाता है। यहाँ स्थित "सूकरखेत", जो सूकरक्षेत्र का ही अपभ्रंश है, तुलसीदास जी की जन्मस्थली माना जाता है। गोण्डां मुख्यालय से दक्षिण 35 कि.मी. पर उमरी बेगमगंज में मां बाराही का विश्व का एकमात्र बड़ा ही पुरातन मंदिर है और इसी दिशा में गोण्डा से 37 कि. मी की दूरी पर पसका (सूूूकरखेत) मे प्रसिद्ध बाराह भगवान मन्दिर है।तथा यही पर तुुुलसीदास जी के गुुरू नरिहरदास जी का आश्रम भी यही है। गोंण्डा में श्री दुःख हरणनाथ मंदिर, काली भवानी, खैरा भवानी, हनुमानगढ़ी, सुरसा मंदिर प्रमुख मंदिर हैं व गोण्डा से 35 कि. मी उत्तर खरगुपुर में एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग बाबा पृथ्वीनाथ मंदिर का है जो पांडव द्वारा स्थापित है और गोण्डा का गौरव बड़ा रहै है इन्ही के समीप झाली धाम में कामधेनु गौ और विशालकाय कछुए देश विदेश के पर्यटको की उत्सुक्ता का केंद्र है गोण्डा के नवाबगंज में पार्वती अरगा पक्षी विहार है जहां देशी व विदेशी पक्षीयों का दर्शन होता है और मुख्यालय से उत्तर में धानेपुर के समीप एक बहुत बड़ी मनोरम सोहिला झील भी है जिसके पास धरमेई गाँव सुप्रसिद्ध कथाव्यास श्रद्धेय श्रीकृष्णानंद व्यास जी की जन्मस्थली भी है। गोंडा के बीचोंबीच गाँधी पार्क में गांधी जी की बहुत बड़ी मुर्ति स्थित है।
"बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर "- ये मंदिर गोंडा शहर से 17 किलोमीटर दूर स्थित है बाबा बालेश्वर नाथ बहुत ही प्राचीन मंदिर है यह गोंडा फैजाबाद रोड पर स्थित डुमरियाडीह बाजार से तरबगंज रोड पर बाल्हाराई ग्राम सभा में स्थित है मान्यता है कि यहाँ स्थित शिवलिंग श्वायाम्भू है औरंगजेब के शाशन काल में इस शिवलिंग पर आरे से प्रहार किया गया था ज़िसका चिन्ह आज भी विद्यमान है तथा इसी के आसपास 7 कोस में बिसेन राजपूत जो कि कालांतर में गौरहा बिसेन क्षत्रिय कहे जाते हैं यहीं निवास करते हैं,और यहीं पूरब में इमिलिया वरजोतपुरवा में वीर क्षत्रिय चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान जी के वंशज की २४ शाखाओं में से १८ वीं शाखा अवध के राजा श्री बच्छराज कुँवर जी के वंशज श्री कल्पनाथ चौहान के प्रपौत्र रामदुलारे चौहान s/o नागेश्वर चौहान जी की संताने निवास करती हैं।
इसी स्थानों पर चंदेलों की भी बस्तियां पाई जाती है, जिसमें हरिश्चंद्र सिंह चंदेल (पूर्व प्रधान) मुकुंदपुर निकट (माँ बाराही स्थल) अपने कर्तव्यों ,ईमानदारी और कर्मठता केे लिए विख्यात हैं, उनके प्रपौत्र विजय सिंह चंदेल 2015 में उत्तर प्रदेश अवार्ड सोसाइटी द्वारा अन्य कई जिले,राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के पुरष्कारों से नवाज़े जा चुके हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा जिले के माने जाने संस्थान फातिमा सीनियर सेकेंडरी स्कूल से की है। वह जिले में कई मुहिम भी स्कूली शिक्षा के दौरान चला चुके है जैसे , नशा मुक्ति, स्वरोजगार, गरीबी उन्मूलन ।
"स्वामी नारायण मंदिर छपिया" गोंडा जिला मुख्यालय से पूरब की ओर छपिया में श्री घनश्याम जी का भव्य एवम् विशाल मंदिर है जहां पर दूर दूर से सैलानी घूमने आते हैं , यहीं घनश्याम जी की जन्मस्थली भी है।
अपने समय के जिले के होनहार विद्यार्थी रहे विजय न कि कुसल वक्ता बल्कि एक अच्छे छात्रनेता भी रहे है, छात्रों की समस्या को सड़क से संसद तक पहुचाने का काम करतें हैं। ,ज्ञातव्य हो कि विजय सिंह चंदेल इस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जिले की गरिमा बढ़ा रहें है । और देश की सर्वोच्च सेवा UPSC की तैयारी कर रहे है, उसके साथ साथ गरीबों और शोषितों की आवाज भी मुखर कर रहे है।
ऐसी प्रतिभा पर न कि जिले बल्कि देश को गुमान है।
लहरों से डर गए तो नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
यातायात
गोण्डा जंक्शन रेलवे स्टेशन यातायात के लिये एक महत्वपूर्ण स्टेशन है। यहाँ से देश की सभी दिशाओं के लिये ट्रेन मिलती हैं, गोण्डा पूर्वोतर रेलवे का एक महत्वपूर्ण स्टेशन है, जो लखनऊ और गोरखपुर के बीच में पड़ता है। यात्री सुविधा के मामले में गोण्डा रेलवे स्टेशन अव्वल है। गोण्डा प्रदेश की राजधानी लखनऊ, फैज़ाबाद, बलरामपुर एवं बहराइच से सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। प्रदेश के अन्य बड़े शहरों जैसे इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर, बरेली आदि तथा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को मोटर मार्ग द्वारा नियमित परिवहन बस सेवायें हैं।[३]