गुलाम अहमद
मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद | |
---|---|
Mirza Ghulam Ahmad, c. 1897 | |
जन्म |
साँचा:birth date [१][२][३] क़ादियाँ, गुरदासपुर, सिख साम्राज्य |
मृत्यु |
साँचा:death date and age Lahore, Punjab, British India |
पदवी | Founder of the Ahmadiyya Movement in Islam |
धार्मिक मान्यता | अहमदिया इस्लाम |
जीवनसाथी | साँचा:unbulleted list |
बच्चे |
सूची
Mirza Sultan Ahmad
Mirza Fazal Ahmad Mirza Basheer-ud-Din Mahmood Ahmad Mirza Bashir Ahmad Mirza Sharif Ahmad Mirza Mubarak Ahmad Mubarika Begum Amatul Naseer Begum Amatul Hafeez Begum |
अहमदिय्या धार्मिक आंदोलन के अनुयायी इस्लामी शिक्षा के विपरित मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद (1835-1908) को मुहम्मद के बाद एक और पैगम्बर मानते हैं, जो मुसलमानों को स्वीकार नहीं है। मिर्ज़ा साहब ने स्वयं को नबी घोषित किया था जो एक बहुत बड़ा विवाद बना साथ ही साथ मसीह भी घोषित किया था।
अहमदिया समुदाय के लोग स्वयं को मुसलमान मानते व कहते हैं परंतु अहमदिया समुदाय के अतिरिक्त शेष सभी मुस्लिम वर्गो के लोग इन्हें मुसलमान मानने को हरगिज तैयार नहीं। इसका कारण यह है कि जहां अहमदिया समुदाय अल्लाह, कुरान शरीफ ,नमाज़, दाढ़ी, टोपी, बातचीत व लहजे आदि में मुसलमान प्रतीत होते हैं वहीं इस समुदाय के लोग अपनी ऐतिहासिक मान्याताओं, परंपराओं व उन्हें विरासत में मिली शिक्षाओं व जानकारियों के अनुसार हज़रत मोहम्मद को अपना आखरी पैगम्बर स्वीकार नहीं करते। इसके बजाए इस समुदाय के लोग मानते हैं कि नबुअत (पैगम्बरी ) की परंपरा रूकी नहीं है बल्कि सतत् जारी है। अहमदिया सम्प्रदाय के लोग अपने वर्तमान सर्वोच्च धर्मगुरु को नबी के रूप में ही मानते हैं। इसी मुख्य बिंदु को लेकर अन्य मुस्लिम समुदायों के लोग समय-समय पर सामूहिक रूप से इस समुदाय का घोर विरोध करते हैं तथा बार-बार इन्हें यह हिदायत देने की कोशिश करते हैं कि अहमदिया समुदाय स्वयं को इस्लाम धर्म से जुड़ा समुदाय घोषित न किया करें और न ही इस समुदाय के सदस्य अपने-आप को मुसलमान कहें।
इनको 'कादियानी' भी कहा जाता है। गुरदासपुर के क़ादियाँ नामक कस्बे में 23 मार्च 1889 को इस्लाम के बीच एक आंदोलन शुरू हुआ जो आगे चलकर अहमदिया आंदोलन के नाम से जाना गया। यह आंदोलन बहुत ही अनोखा था। इस्लाम धर्म के बीच एक व्यक्ति ने घोषणा की कि "मसीहा" फिर आयेंगे और मिर्जा गुलाम अहमद ने अहमदिया आंदोलन शुरू करने के दो साल बाद 1891 में अपने आप को "मसीहा" घोषित कर दिया। 1974 में अहमदिया संप्रदाय के मानने वाले लोगों को पाकिस्तान में एक संविधान संशोधन के जरिए गैर-मुस्लिम करार दे दिया गया।
पूर्वज
मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद मुग़ल बरलास की तुर्क मंगोल जनजाति से था । दादाजी मिर्जा हादी बेग 1530 में अपने परिवार के साथ समरकंद से भारत आ गए और पंजाब के उस क्षेत्र में बस गए, जिसे अब कादियान कहा जाता है। उस समय भारत पर मुगल राजा जहीरुद्दीन बाबर का शासन था। मिर्ज़ा हादी बेग को क्षेत्र के कई सौ गांवों की जागीर दी गई थी।[४]
दावा
1882 में, मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादियानी ने नबी होने का दावा किया।[५] 1891 में, मसीह बिन मरियम होने का दावा किया।[६] मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादियानी ने राम और कृष्ण होने का भी दावा किया।[७]
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ Adil Hussain Khan. "From Sufism to Ahmadiyya: A Muslim Minority Movement in South Asia" Indiana University Press, 6 apr. 2015 ISBN 978-0-253-01529-7
- ↑ बराहीन अहमदिया, भाग 3 पृष्ठ 238- रूहानी ख़ज़ायन, भाग 1 पृष्ठ 265
- ↑ अजाला औहाम पृष्ठ 561-562 रूहानी ख़ज़ायन भाग 3 पृष्ठ 402
- ↑ लेक्चर सयालकोट, रूहानी ख़ज़ायन भाग 20 पृष्ठ 228