गुग्गुल
साँचा:taxobox गुग्गुल या 'गुग्गल' एक वृक्ष है। इससे प्राप्त राल जैसे पदार्थ को भी 'गुग्गल' कहा जाता है। भारत में इस जाति के दो प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। एक को कॉमिफ़ोरा मुकुल (Commiphora mukul) तथा दूसरे को कॉ. रॉक्सबर्घाई (C. roxburghii) कहते हैं। अफ्रीका में पाई जानेवाली प्रजाति कॉमिफ़ोरा अफ्रिकाना (C. africana) कहलाती है।
कुछ स्थानों से प्राप्त गुग्गुल का रंग पीलापन लिए श्वेत तथा अन्य का गहरा लाल होता है। इसमें मीठी महक रहती है। इसको अग्नि में डालने पर स्थान सुंगध से भर जाता है। इसलिये इसका धूप के सदृश व्यवहार किया जाता है। आयुर्वेद के मतानुसार यह कटु तिक्त तथा उष्ण है और कफ, बात, कास, कृमि, क्लेद, शोथ और अर्श नाशक है। आयुर्वेद में इसके पांच भेद बताए हैं। 1 महिषाक्ष 2 महानील 3 कुमुद 4 पद्म 5 हिरण्य ।इनमें से पहले दो हाथियों के लिए, बाद में दो घोड़ों के लिए और पांचवा विशेषकर मनुष्य के लिए उपयोगी होता है। गूगल के वृक्ष से निकलने वाला गोंद ही गूगल नाम से प्रसिद्ध है। इस गूगल से ही महायोगराज गुग्गुलु, कैशोर गुग्गुलु, चंद्रप्रभा वटी आदि योग बनाए जाते हैं। इसके अलावा त्रिफला गूगल ,गोक्षरादि गूगल, सिंहनाद गूगल और चंद्रप्रभा गूगल आदि योगों में भी यह प्रमुख द्रव्य प्रयुक्त होता है।
परिचय
गुग्गल एक छोटा पेड है जिसके पत्ते छोटे और एकान्तर सरल होते हैं। यह सिर्फ वर्षा ऋतु में ही वृद्धि करता है तथा इसी समय इस पर पत्ते दिखाई देते हैं। शेष समय यानि सर्दी तथा गर्मी के मौसम में इसकी वृद्धि अवरूद्ध हो जाती है तथा पर्णहीन हो जाता है। सामान्यत: गुग्गल का पेड 3-4 मीटर ऊंचा होता है। इसके तने से सफेद रंग का दूध निकलता है जो इसका का उपयोगी भाग है। प्राकृतिक रूप से गुग्गल भारत के कर्नाटक, राजस्थान, गुजरात तथा मध्य प्रदेश राज्यों में उगता है। भारत में गुग्गल विलुप्तावस्था के कगार पर आ गया है, अत: बडे क्षेत्रों मे इसकी खेती करने की जरूरत है। भारत में गुग्गल की मांग अधिक तथा उत्पादन कम होने के कारण अफगानिस्तान व पाकिस्तान से इसका आयात किया जाता है।
बाहरी कड़ियाँ
- गुग्गल की खेती (कृषिसेवा)
- गुग्गल की खेती से मोटा मुनाफा
- गूगल से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी (जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर)
- गुग्गल की खेती से मोटा मुनाफा