गाँधी विद्या मंदिर सरदारशहर

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गाँधी विद्या मंदिर राजस्थान के सरदारशहर में स्थित एक विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना सन् 1953 में राजस्थान के एक दानी और शिक्षाप्रेमी व्यक्ति श्री कन्हैयालाल दूगड़ ने की थी। इस संस्था की स्थापना की प्रेरणा उन्हें महात्मा गांधी के शिक्षा सम्बन्धी विचारों से मिली।

महात्मा गांधी के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य था - 'बालक और मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा का उत्तमोत्तम विकास करना। इन्हीं विचारों के अनुरूप गांधी विद्या मन्दिर में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित चरित्रवान नागरिक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी दृष्टि से यहां एक ओर शारीरिक विकास के लिए व्यायाम, श्रमदान, स्वास्थ्य शिक्षा, आदि की व्यवस्था है, दूसरी ओर पूर्व प्राथमिक से लेकर स्नातकोत्तर व शोध स्तर की शिक्षा प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त गांधीजी की प्रार्थना पद्धति के आधार पर सब धर्मों की मिश्रित प्रार्थनाओं को लेकर ईश्वर प्रार्थना व सत्संग का नियमित कार्यक्रम चलता है। यहां शिक्षा संस्था के भवनों तथा विद्यार्थियों और शिक्षकों के निवास स्थलों ने मिलकर एक छोटे नगर का रूप धारण कर लिया है।

विभाग

इस समय इस संस्था के अधीन निम्नलिखित विभाग चल रहे हैं -

  • (1) बालबाड़ी
  • (2) बुनियादी विद्यालय (जूनियर व सीनियर बेसिक),
  • (3) मीरा निकेतन,
  • (4) महिला विद्यापीठ,
  • (5) दूगड़ डिग्री कॉलेज,
  • (6) बुनियादी प्रशिक्षण महाविद्यालय,
  • (7) आयुर्वेद महाविद्यालय,
  • (8) रसायन शाला,
  • (9) ग्रामसेवा विभाग।

गांधी विद्या मन्दिर की विशेषताएँ

गांधी विद्या मन्दिर संस्था अभी भी बापू की बुनियादी शिक्षा पद्धति के सिद्धान्तों पर अटल विश्वास रखकर अग्रसर हो रही है। एक ओर वर्तमान पाठ्य-विषयों, पाठ्य-पुस्तकों तथा शिक्षा-विधियों को लेकर चलना, जो विश्वविद्यालय या माध्यमिक बोर्ड द्वारा स्वीकृत हैं, दूसरी ओर जीवन के प्राचीन आदर्शों व बुनियादी शिक्षा के सिद्धान्तों को अपनी दिनचर्या व जीवनचर्या में शामिल करना इसकी विशेषता है। श्रमदान व उत्पादन, अपने काम स्वत: करना, जैसे कमरों की स्वच्छता, कपड़ों का धोना, बर्तन मांजना आदि दोनों समय ईश्वर प्रार्थना, गुरु-सम्मान, सूत कातना और खादी पहनना, सदाचार व शिष्टाचार पूर्ण जीवन यहाँ के जीवन अंग बन गए हैं। यह एक सावास (रेजिडेंसिअल) शिक्षा संस्था है, जहाँ शिक्षक और शिक्षार्थी एक स्थान पर रहते हैं और प्राचीन व अर्वाचीन, पूर्वीय तथा पाश्चात्य संस्कृति के समन्वय पर आधारित बुनियादी शिक्षा पद्धति के आदर्शों व लक्ष्यों को सामने रखकर शिक्षा कार्य में अग्रसर है।

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