खारी झील

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इटली की यूरोपीय खगोलयात्री सामन्था क्रिस्टोफोरेटी ने शिराज़, इरान के पास २२ मई २०१५ को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से दो ख़ारी झीलों की तस्वीरें लीं, पहली बख्तेगन झील और दूसरी महर्लू झील

एक ख़ारी झील या लवणीय झील (साँचा:lang-en या saline lake) चारों तरफ़ से जमीन से घिरा हुआ वो जलाशय होता है जिसके पानी में नमक/लवण या नमकीन पदार्थों की मात्रा (सान्द्रणता) ज्यादा होती है। इसके १ लीटर पानी में कम से कम तीन ग्राम नमक तक की मात्रा पाई जाती है।[१] कुछ जगहों पर तो पानी में घुलनशील लवण की मात्रा समुद्री जल से भी ज्यादा पाई गयी है। ऐसी झीलों को हाइपरसैलाइन लेक या अति-खारी झील कहते हैं। एक क्षारीय खारी झील जिसमें कार्बोनेट की मात्रा ज्यादा होती है को सोडा झील भी कहा जाता है।

विशेषताएँ

लवणीय झीलें तब बनती हैं जब झील में गिरने वाला जल अपने साथ नमक व खनिज पदार्थ ले आता रहता है और चारों तरफ़ से घिरे होने की वजह से झील से बाहर नहीं निकल पाता है। चूंकि ऐसी झीलें एक बंद तालाब की तरह होती हैं जो कि नदी या समुद्र से नहीं मिलतीं इसलिये इनका पानी बाहर नहीं निकल पाता और उसमें नमक और खनिजों की मात्रा बढती जाती है। ऐसी बंद झीलों को (Endorheic Lake) एण्डोर्हिक झील कहते हैं।[२] पानी घुला लवण छोड़कर वाष्पीकृत होता रहता है और जिससे वहाँ लवणता बढती रहती है। ऐसे क्षेत्र नमक उत्पादन के लिये आदर्श स्थल साबित होते हैं। ऐसी झीलों के आसपास अतिलवणता की वजह से एक विशेष प्रकार की वनस्पती व प्राणी समूह पाया जाता है और कुछ जगहों पर तो कोई जीवन नहीं पाया जाता जैसे कि, मृत सागर में।

अगर झील में आने वाले पानी की मात्रा वाष्पीकृत हो रहे पानी की मात्रा से कम होती है तो ऐसी झील अंतत: सूख जाती है और अपने पीछे नमक के मैदान या सूखी झील छोड़ जाती है। उदाहरण कच्छ का रण जो कि एक विशाल नमक का मैदान है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ