पाकशास्त्र

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(खाना बनाना से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
खाना बनाते दो रसोइये

कच्चे भोज्य पदार्थों को खाने योग्य बनाने की कला को पाकक्रिया (cooking) कहते हैं।

बहुत सी वस्तुएँ कच्ची खाई जा सकती हैं और वे इसी रूप में खाने पर विशेष लाभप्रद भी होती हैं, परंतु बहुत सी वस्तुएँ ऐसी हैं जो कच्ची नहीं खाई जा सकती। कुस्वाद एवं हानिकारक होना दोनों ही इसके कारण हैं। कच्चा आलू, जमीकंद, केला आदि, कुस्वाद होते हैं। समस्त अनाज कच्चा खाने पर हानि पहुँचाते हैं। श्वेतसार से युक्त वस्तुएँ पकाकर खाने पर ही लाभप्रद होती हैं। उनका श्वेतसार पककर ही सुपाच्य होता है। ऐसे कच्चे भोज्य पदार्थ दो प्रकार से खाने योग्य बनाए जा सकते हैं, एक तो पकाकर, दूसरे सुरक्षित करके।

पकाना

कच्चे भोज्य पदार्थों को अग्नि के संयोग से पकाकर खाने के योग्य बनाने की यह प्रक्रिया है। भोजन पकाने के कई तरीके हैं। भोजन चिकनाई, भाप अथवा पानी के माध्यम से पकाया जाता है। सीधे अग्नि के संयोग से भी पकाया जाता है। इन्हीं रीतियों के अनुरूप भोजन पकाने की कई विधियाँ हैं।

तलना

भोज्य पदार्थ को घी अथवा कोई भी तेल के माध्यम से सेंकने की प्रक्रिया को तलना कहते हैं। कड़ाही अथवा अन्य किसी छिछले बर्तन में घी अथवा तेल चूल्हे पर चढ़ा दिया जाता है। अच्छी तरह गरम हो जाने पर इसमें वस्तुएँ डाल दी जाती हैं। घी अथवा तेल इतना रहता है कि वस्तु उसमें भली प्रकार डूबी रहे। इस तरह पूरी, कचौड़ी, पकौड़ी इत्यादि बनाई जाती है। इस प्रक्रिया में भोजन के कुछ तत्वों की हानि भी हो जाती है।

तला हुआ पकवान

सेंकना

भोज्य पदार्थों को थोड़ी चिकनाई के साथ, अथवा बिना चिकनाई के, पकाने की प्रक्रिया को सेंकना कहते हैं। रोटी और टोस्ट बिना चिकनाई के सेंके जाते हैं। ये वस्तुएँ तवे अथवा टोस्टर की सहायता से तैयार की जाती हैं। पराठे, चीले, दोसा, ऑमलेट इत्यादि थोड़ी चिकनाई के साथ तवे पर सेके जाते हैं।

भूनना

भोज्य पदार्थों को अग्नि के सीधे संयोग से पकाने की क्रिया को भूनना कहते हैं। इस प्रकार मुख्यतया चना, लाई, मटर इत्यादि, जिसे चबैना कहते हैं, पकाए जाते हैं। हरे चने, हरे भुट्टे, आलू, शकरकंद इत्यादि भी इसी प्रकार तैयार किए जाते हैं। अंगारे, गरम राख अथवा गरम बालू भूनने के लिए काम में लाए जाते हैं।

उबालना

खौलते पानी में भोज्य पदार्थ को पकाने की क्रिया को उबालना कहते हैं। किसी बर्तन में पानी डालकर चूल्हे पर चढ़ा देते हैं। उसी में भोज्य पदार्थ डाल दिए जाते हैं। पानी खौलता है और वस्तु पकती है। इस प्रकार पके हुए भोज्य पदार्थों के पोषक तत्व बहुत कम मात्रा में नष्ट होते हैं। प्राय: सभी भोज्य पदार्थ इस प्रकार पकाए जा सकते हैं। कुछ पदार्थ केवल उबालकर खाए जाते हैं। पाश्चात्य पद्धति के तो अधिकांश भोज्य पदार्थ उबालकर खाए जाते हैं। सब प्रकार की साग सब्जियाँ उबालकर खाने से अधिक लाभदायक होती हैं। पानी इतना ही होना चाहिए जिससे उबलनेवाली वस्तु ढँक मात्र जाय। खौलते पानी में सब्जियाँ डालकर पकाना अधिक अच्छा है। इससे पोषक तत्व कम मात्रा में नष्ट होते हैं।

भाप से पकाना

इस प्रक्रिया से भोज्य पदार्थ भाप के द्वारा पकाए जाते हैं। पकाने के लिए कई प्रकार के उपकरण बने हैं। आधुनिकतम उपकरण प्रेशर कुकर कहलाते हैं। ये एक प्रकार के ढक्कनदार भगौने से होते हैं। पेंदों में कुछ पानी डालकर, डब्बों में भरकर, जो कुछ पकाना हो इसमें जमा देते हैं और ढक्कन बंद करके आग पर चढ़ा देते हैं। इससे पानी गरम होने पर जो भाप बनती है वह अंदर ही रहती है और भोज्य पदार्थ कुछ ही मिनट में पक जाते हैं। दाल, चावल, चना इत्यादि में कुछ पानी डालना पड़ता है, परंतु नरम वस्तुएँ बिना पानी के भी गल जाती हैं। एक सादा कुकर भी होता है। कई डिब्बे भोज्य पदार्थ सहित एक के ऊपर एक जमाकर कस दिए जाते हैं। फिर साथ में जो लंबी बाल्टी सी होती है, उसमें पानी डालकर ये डब्बे रख दिए जाते हैं। नीचे छोटी सी सिगड़ी होती है, जिसमें-कोयले सुलगाकर रख देते हैं। इस कुकर में भोजन दो या तीन घंटे में तैयार होता है। एक तीसरी प्रक्रिया और है। किसी चौड़े मुहँ के बंर्तन में पानी चढ़ा देते हैं। उसके मुँह पर कपड़ा बाँध देते हैं, या जाली की चलनी इत्यादि रख देते हैं। किसी भी प्रकार से भाप का प्रयोग पकाने में किया जाय, भोजन लाभप्रद ही होता है। इस प्रकार पकाए गए भोजन के पोषक तत्व बहुत बड़ी मात्रा में सुरक्षित रहते हैं।

बेकिंग

इस प्रक्रिया से भोज्य पदार्थ न तो चिकनाई के माध्यम से, न पानी के माध्यम से और न भाप के माध्यम से पकाए जाते हैं। एक तरह से यह कहना अधिक उपयुक्त होगा कि ये उष्ण वायु में पकते हैं। एक विशेष प्रकार के चूल्हे हाते हैं, जिन्हें ओवेन या तंदूर कहते हैं। इन्हें आग जलाकर खूब गरम कर लेते हैं। जो वस्तु पकानी होती है उसे इसमें बंद कर देते हैं। वस्तुएँ ऊपर नीचे दोनों तरफ से सिक जाती हैं। पाव रोटी, बिस्कुट, केक, पेस्ट्री, नानखटाई मुख्यत: इसी प्रकार बनाई जाती हैं। ओवेन या तंदूर कई तरह के होते हैं, पुरानी पद्धति के तो लकड़ी के कोयले से गरम कर लिए जाते हैं। अब बिजली द्वारा गरम किए जानेवाले ओवेन भी बन गए हैं। ये बहुत सुविधाजनक हैं।

स्टूइंग

यह प्रक्रिया कुछ कुछ उबालने की प्रक्रिया से मिलती हैं। इसमें भी माध्यम जल रहता है। अंतर केवल ताप का होता है। कच्चे भोज्य पदार्थ पानी में डालकर चूल्हे पर चढ़ा दिए जाते हैं आँच बहुत कम रखी जाती है, जिससे पानी खौले नहीं। धीमे धीमे मंदी आँच पर पकता रहे। इस प्रकार पकाए भोज्य पदार्थों के पोष तत्व उबालने की अपेक्षा अधिक सुरक्षित रहते हैं। समस्त प्रकार के सूप इसी प्रकार बनते हैं। पकने के लिए प्रयुक्त पानी भी सूप में काम जाता है, अत: पोषक तत्व नष्ट नहीं होते। कई प्रकार की तरकारी मिलाकर इसी प्रकार पकाई जाती है। कदाचित् इसीलिए इस प्रक्रिया को "स्टूइंग" कहते हैं।

सुरक्षित करना

भोज्य पदार्थों को सुरक्षित करने के कई माध्यम हैं। प्रमुख चीनी, नमक, अम्ल, तेल और सोडा क्रियोज़ोट हैं।

चीनी

चीनी के माध्यम से जैम, जेली, अचार और मुरब्बे बनाए जाते हैं। फलों को काटकर चीनी के साथ पकाते हैं। जब पकाते पकाते चाशनी खूब गाढ़ी होकर एकरस हो जाती है, तब उतारकर उसे ठंडा कर लेते हैं और डिब्बाबंदी कर देते हैं। इसी प्रकार जेली बनती है। अंतर इतना है कि इसमें फलों को पकाकर निकाला रस काम में लाते हैं और नीबू का रस भी मिलाते हैं। मीठे अचार भी चीनी या गुड़ के माध्यम से बनाए जाते हैं।

नमक

प्राय: अचार ही नमक के द्वारा सुरक्षित किए जाते हैं। नीबू और आम के अचार केवल नमक डालकर भी बनाए जाते हैं और महीनों चलते हैं।

अम्ल

प्राय: दो प्रकार के अम्ल, नीबू और सिरका, भोज्य पदार्थों को सुरक्षित करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। इन माध्यमों से मुख्य रूप से अचार ही बनाए जाते हैं। शिकंजबीन में नीबू का रस और चीनी दोनों प्रयुक्त होते हैं।

तेल

तेल के माध्यम से अचार बनाए जाते हैं। तेल में बनाए अचार वर्षो चल सकते हैं। आम, कटहल, लहसोड़ा, मिर्च इत्यादि सबके अचार तेल से बनते हैं।

इन्हें भी देखें

  • पाकदर्पण - पाककला से संबन्धित प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ

बाहरी कड़ियाँ