खाटू कलां (बडीखाटू )
सम्पूर्ण राजस्थान के आर्थिक दृष्ठी से महत्वपूर्ण स्थानों में से एक खाटूकलां राजस्थान राज्य के नागौर जिले की जायल तहसील का एक गाँव है। यह जिला मुख्यालय से 60 कि॰मी॰ तथा तहसील मुख्यालय से 21 कि॰मी॰ दूरी पर स्थित है। खाटुकला ग्रामपंचायत है। खाटूकलां में लम्बे समय से चूना पत्थर (Lime Stone) का खनन कार्य किया जाता रहा है। यहाँ से अच्छी गुणवत्ता का चूना पत्थर काफी मात्र में किशनगढ़ मार्बल मंडी के अलावा देश के कई अन्य स्थानों पर निर्यात किया जाता है। भवन निर्माण में यहाँ का पत्थर अतिउत्तम है। मकानों की छतों पर यहाँ की पट्टियाँ लगाई जाती है. वर्तमान में यहाँ पर कई स्टोन कटिंग की फैक्ट्रीज लगी हुई है जहाँ पर पत्थर की कटाई की जाती है। पत्थर की लिरियां मकानों के सामने सुन्दर डिजाईन बनाने के लिए उपयोग में ली जाती है.
दर्शनीय स्थल/ धार्मिक स्थान
1. श्री दीपेश्वर महादेव शिव बाग़
श्री महाप्रभुजी के सत्संग से अतिप्रभावित बड़ी खाटू निवासियों ने उनसे चातुर्मास उनके यहां बड़ी खाटू में करने की विनती की।
तब श्री महाप्रभुजी ने उन्हें समझाया कि भगवान तो भक्तों के वश में होते हैं। आप सभी की यही इच्छा है कि मैं इस वर्ष चातुर्मास यहीं करूं, आपकी इच्छा अवश्य पूरी हो जाएगी। परन्तु एक बात का ध्यान रखना कि साधु लोग किसी गृहस्थ के घर पर नहीं ठहरते हैं, अत: गाँव के बाहर एकान्त व शान्त जगह पर जहाँ आप उचित समझें वहीं पर चातुर्मास करूंगा। श्री गुरुदेव के इन वचनों को सुनकर भक्तों ने कहा, गुरुदेव, हमारे गाँव में पश्चिम की ओर पहाड़ के नीचे कुछ मकानादि हैं। वहां पर आप विराजने की कृपा कीजिये। वहाँ पर कुछ कमी होगी तो आपकी आज्ञानुसार उसे भी अवश्य ही पूरा करने का प्रयत्न करेंगे।
इतने में धनिक सेठ श्री वेंकटलाल बजाज कहने लगे, श्री महाप्रभुजी के विराजने के लिए मैं अपनी ओर से एक कमरा बना दूंगा। इतनी सी सेवा का अवसर मुझे भी प्रदान कीजिये।
इन सब भक्त गणों के पवित्र आग्रह पर उन्होंने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी। श्री महाप्रभुजी अपने भक्तों की इस पवित्र भावना से बहुत प्रसन्न हुए। श्री महाप्रभुजी ने अपने भक्त गणों से कहा, मैं अवश्य ही निश्चित समय पर आऊंगा।
यह आज्ञा सुनकर सभी भक्त गण अति प्रसन्न हुए। वे सब श्रीगुरुदेव की जय-जयकार करते हुए प्रणाम करके, चरण रज को मस्तक पर लगाकर वापस अपने-अपने घर चले गये।
बड़ी खाटू ग्रामवासियों ने चातुर्मास के लिए उचित प्रबन्ध किया। उन्होंने खाटू से पश्चिमी ढलान की ओर श्री दीपनारायण भगवान की बगीची की स्थापना की एवं सेठ श्री वेंकटलाल जी बजाज ने श्रीमहाप्रभुजी के विराजने के लिए एक सुन्दर कमरा बनवाया।