खसम

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

खसम, हठयोग साधना का एक पारिभाषिक शब्द जो ख + सम से बना है और इसका मूल अर्थ है (आकाश) के समान। हठयोग साधना का उद्देश्य चित्त को सारे सांसारिक धर्मों से मुक्तकर उसे निर्लिप्त बना देना था। इस सर्वधर्मशून्यता को मन की शून्यावस्था कहते हैं और शून्य का प्रतीक गगन है। अत: परिशुद्ध, स्थिर, निर्मल चित्त को खसम कहते हैं। सिद्धाचार्यों द्वारा बोधिचित्त की साधना में मन को खसम स्वरूप (शून्य स्वरूप) धारण करने का उपदेश दिया गया है। पलटूदास आदि संतों ने भी इसी अर्थ में इस शब्द का प्रयोग किया है। इस शब्द का प्रयोग कुछ संतों ने इस अर्थ के अतिरिक्त पति और प्रियतम के अर्थ में किया है; किंतु वहाँ इसके मूल में फारसी शब्द 'खसम' (पति) है।