कोबाल्ट-६०

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कोबाल्ट-६०
सामान्य
नाम, चिह्न कोबाल्ट-६०,60Co
न्यूट्रॉन 33
प्रोटोन 27
न्यूक्लाइड आंकड़े
प्राकृतिक भंडार 0 (कृत्रिम तत्त्व)
अर्धायु काल 1925.1 d ± 0.1 d
समस्थानिक द्रव्यमान 59.9338222 u
स्पिन 5+
क्षय मोड क्षय ऊर्जा
Beta 2.824[१] MeV
60Co का γ-किरण वर्णक्रम

कोबाल्ट-६० (६०Co) कोबाल्ट का एक समस्थानिक है। ये सबसे अधिक प्रयोग में आने वाले रेडियोधर्मी समस्थानिकों में से है। प्राकृतिक रूप में पाया जाने वाला कोबाल्ट अपनी प्रकृति में स्थायी होता है, लेकिन ६०Co एक मानव-निर्मित रेडियो समस्थानिक है जिसे व्यापारिक प्रयोग के लिए ५९Co के न्यूट्रॉन सक्रियन द्वारा तैयार किया जाता है। इसका अर्धायु काल ५.२७ वर्ष का होता है।[२] ६०Co ऋणात्मक बीटा क्षय द्वारा स्थिर समस्थानिक निकल-६० (६०Ni) में बदल जाता है। सक्रिय निकल परमाणु १.१७ एवं १.३३ माइक्रोइलेक्ट्रॉनवोल्ट के दो गामा किरणें उत्सर्जित करता है। वैसे कोबाल्ट-६० परमाणु संयंत्रों की क्रिया से बनने वाला एक उपफल होता है। ये कई कामों में उपयोग होता है, जिनमें कैंसर के उपचार से लेकर औद्योगिक रेडियोग्राफी तक आते है। औद्योगिक रेडियोग्राफी में यह किसी भी इमारत के ढांचे में कमी का पता लगाता है। इसके अलावा चिकित्सा संबंधी उपकरणों की स्वच्छता, चिकित्सकीय रेडियोथेरेपी, प्रयोगशाला प्रयोग के रेडियोधर्मी स्रोत, स्मोक डिटेक्टर, रेडियोएक्टिव ट्रेसर्स, फूड और ब्लड इरेडिएशन जैसे कार्यो में भी प्रयोग किया जाता है।[२][३]

कोबाल्ट-६० के डिब्बे पर चिपकायी गयी सूचना

हालांकि प्रयोग में यह पदार्थ बहुआयामी होता हैं, किन्तु इसको नष्ट करने में कई तरह की समस्याएं आती हैं। भारत की ही तरह संसार भर में कई स्थानों पर इसे कचरे के रूप में बेचे जाने के बाद कई दुर्घटनाएं सामने आयी हैं, जिस कारण इसके संपर्क में आने वाले लोगों का स्वास्थ्य संबंधी कई घातक बीमारियों से साम्ना हुआ है। धातु के डिब्बों में बंद किए जाने के कारण यह अन्य कचरे के साथ मिलकर पुनर्चक्रण संयंत्रों में कई बार गलती से पहुंच जाता है।[२] यदि इसे किसी संयंत्र में बिना पहचाने पिघला दिया जाए तो यह समूचे धातु को विषाक्त कर सकता है। कोबाल्ट-६० जीवित प्राणियों में काफी नुकसान पहुंचाता है। अप्रैल २०१० में दिल्ली में हुई एक दुर्घटना में भी कोबाल्ट-६० धात्विक कचरे में मिला है।[४] इसकी चपेट में आए लोगों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर हानि हुई हैं। मानव शरीर में पहुंचने पर यह यकृत, गुर्दो और हड्डियों को हानि पहुंचाता है।[५] इससे निकलने वाले गामा विकिरण के संपर्क में अधिक देर रहने के कारण कैंसर की आशंका भी बढ़ जाती है।

कोबाल्ट-६० से गामा किरणे निकलने की नाभिकीय प्रक्रिया का चित्रात्मक निरूपण

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. कोबाल्ट-60 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।। हिन्दुस्तान लाइव। ५ मई २०१०
  3. कोबाल्ट ६० --इंसान का दोस्त भी, दुश्मन भी -- स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।। अंतर्मंथन। ६ मई २०१०
  4. पुलिस ने कोबाल्ट-६० डीयू का कबाड़ ...साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]। २४दुनिया
  5. दिल्ली में कोबाल्ट-६० से हुआ विकिरण ...। दैनिक महामेधा। ९ अप्रैल २०१०

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