कोडुरु ईश्वर वरप्रसाद रेड्डी
कोड्डरु ईश्वर वरप्रसाद रेड्डी | |
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Born | 17 November 1948 पपीरेड्डी पलम, नेलोर ज़िला, आंध्र प्रदेश |
Occupation | शांत बायोटेकनिक्स के अध्यक्ष |
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Notable work | साँचा:main other |
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Parents | स्क्रिप्ट त्रुटि: "list" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main other |
Awards | पद्म भूषण |
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कोडुरु ईश्वर वरप्रसाद रेड्डी (जन्म: 17 नवंबर 1948)[१] एक भारतीय उद्यमी और वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनी शांत बायोटेकनिक्स के संस्थापक हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा सन २००५ में विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। वे आंध्र प्रदेश राज्य से हैं। उन्हें अपने प्रयासों के कारण श्री वेंकतेश्वर विश्वविद्यालय, गीतम् विश्वविद्यालय और विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट से भी सम्मानित भी किया गया।[२]
शुरुआती जीवन
वरप्रसाद जी का जन्म नेलोर ज़िले के पपीरेड्डी पलम गाँव के एक किसान परिवार में हुआ था। वह अपने माता-पिता के एकमात्र संतान थे।[३] श्रई वेंकतेश्वर विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक प्राप्त करने के बाद उन्होंने आंध्र विश्वविद्यालय से अभियंता समाप्त की। उसके बाद उन्होंने 1971 वर्ष में पश्चिम जर्मनी के बिब्लिगेन विश्वविद्यालय से कंप्यूटर विज्ञान में डिप्लोमा प्राप्त की। उन्होंने ओस्मेनिया विश्वविद्यालय से व्यवसाय प्रशासन में स्नातक प्राप्त किया।[४]
पेशे में इलेक्ट्रॉनिक्स अभियंता होने के बावजूद उन्होंने 7 वर्षों तक रक्षा वैज्ञानिक के रूप में काम किया,[५] जिसके बाद उन्होंने APIDC (आंध्र प्रदेश औद्योगिक विकास निगम) के लिए भी काम किया। वह 1985 वर्ष में हैदराबाद बैटरी कंपनी में शामिल होकर ठेकेदार बने। इस कंपनी ने रक्षा के काम में आए उच्च-प्रदर्शन के बैटरी बनाए हैं।[४]
शांत बायोटेकनिक्स
वर्ष 1990 में वह एक जेनेवा में एक WHO सभा के हिस्सेदार बने, जहाँ उन्होंने ऐसी बातें सुनीं जो कहती हैं कि भारत हेपाटायटिस बी के लिए कोई हल नहीं निकाल पाया था और इसी बीमारी के चलते देश में हर रोज़ करीब 3 लाख लोगों की मृत्यु होती थी।[२] उन्हें यह सुनने की आशा नहीं थी, और उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मान के साथ चलते हुए आम आदमी तक कम मूल्य के साथ वैक्सीन पहुँचाने के लक्ष्य से शांत बायोटेकनिक्स की शुरुआत की।[६]
वेंकतप्रसाद से सन् 1993 में शांत बायोटेकनिक्स की स्थापना की, जिसने भारत का पहला स्वतंत्र रूप से विकसित किया गया हेपाटायटिस बी वैक्सीन बनाया। Shanvac-B नामक इस वैक्सीन को 1997 में पूरे राष्ट्र में लाया गया।[३]
सन्दर्भ
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