केल्विन सेतु
केल्विन सेतु (Kelvin bridge) छोटे प्रतिरोध (१ ओम से कम) को मापने वाला विद्युत उपकरण है। इसे 'केल्विन द्विसेतु' (Kelvin double bridge) भी कहते हैं। कुछ देशों में इसे 'थॉमसन सेतु' के नाम से भी जाना जाता है।
एक ओम से कम प्रतिरोध का मापन करने वाले उपकरण प्रायः 'लघु-प्रतिरोध ओह्ममापी', 'मिली-ओममापी' या 'माइक्रो-ओममापी' कहलाते हैं। कुछ वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध केल्विन-सेतु १ माइक्रो ओम से लेकर 25 Ω तक के प्रतिरोधों के मापन में २% तक की मापन-यथार्थता देने में सक्षम हैं।
कार्य सिद्धान्त
इस सेतु का कार्य ह्वीटस्टोन सेतु जैसा ही है। इसमें अन्तर केवल यह है कि इसमें कुछ अतिरिक्त प्रतिरोध भी हैं। ये कम मान वाले अतिरिक्त प्रतिरोध मापन की त्रुटियों को कम करने के उद्देश्य से लगाए गये हैं।
केल्विन-सेतु में दो 'अनुपाती भुजाएँ' (ratio arms) हैं। बाहरी अनुपाती भुजाओं में ज्ञात प्रतिरोध हैं जबकि आन्तरिक अनुपाती भुजाओं का उपयोग धारामापी के एक सिरे को समुचित बिन्दु पर जोड़ने में किया जाता है।
प्रतिरोधों को समंजित (ऐडजस्ट) करने के बाद जब यह सेतु संतुलित हो जाता है (धारामापी का विक्षेप शून्य हो जाता है) उस दशा में,
- <math>R_x=R_2 \cdot \frac{R_3}{R_4}+R \cdot \frac{R_3 \cdot R'_4 - R'_3 \cdot R_4}{R_4 \cdot \left(R+R'_3 + R'_4\right)}</math>
प्रतिरोध R का मान जितना कम हो सके उतना ही अच्छा है (जिस प्रतिरोध को मापना है, उससे कम मान का होना चाहिए)। इसीलिए इसे मोटे कॉपर रॉड से बनाया जाता है। यदि <math>R_3 \cdot R'_4 = R'_3 \cdot R_4</math> की शर्त पूरी होती है तो (तथा R का मान छोटा है), तो समीकरण का अन्तिम पद नगण्य हो जाएगा तथा,
- <math>R_x \approx R_2 \cdot \frac{R_3}{R_4}</math>
जो व्हीटस्टोन सेतु के तुल्य है।