केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण

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केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण

भारतीय संसद द्वारा 1985 में पारित प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Central Administrative tribunal या CAT/कैट)) और राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए केंद्र सरकार को अधिकृत करता है। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की प्रमुख पीठ (बेंच) दिल्ली में है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न राज्यों में अतिरिक्त पीठें भी हैं। वर्तमान में 17 नियमित पीठ और ३० डिविजन बेंच हैं।

कैट में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। न्यायिक और प्रशासनिक क्षेत्रों से कैट के सदस्यों की नियुक्ति होती है। सेवा की अवधि 5 वर्ष या अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए 65 वर्ष और सदस्यों के लिए 62 वर्ष जो भी पहले हो, तक होती है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या कैट का कोई भी अन्य सदस्य अपने कार्यकाल के बीच में ही अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज सकता है।

केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण के पास निम्नलिखित सेवा क्षेत्र के मामलों में अधिकार है:

  • अखिल भारतीय सेवा का कोई भी एक सदस्य
  • संघ के किसी भी सिविल सेवा या संघ के तहत किसी भी सिविल पद पर नियुक्त एक व्यक्ति
  • रक्षा सेवाओं में नियुक्त कोई भी नागरिक या रक्षा से जुड़ा कोई भी एक पद

किन्तु रक्षा बलों के सदस्य, अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट और संसद के सचिवालय के स्टाफ कर्मचारी कैट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं।

कार्यप्रणाली

सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८ की संहिता में निर्धारित प्रक्रिया के लिए कैट बाध्य नहीं है, किन्तु प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है। एक अधिकरण के पास उसी प्रकार की शक्तियां होती हैं जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की संहिता के तहत एक सिविल कोर्ट के पास होती हैं। कोई व्यक्ति अधिकरण में आवेदन कानूनी सहायता के माध्यम से या फिर स्वंय हाजिर होकर कर सकता है।

किसी न्यायाधिकरण अथवा अधिकरण के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में तो अपील की जा सकती है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में नहीं।

इतिहास

कार्मिक प्रबंधन को नियंत्रित करने वाले नियमों तथा विनियमों की विस्तृत व्‍यवस्‍था के बावजूद भी कुछ सरकारी कर्मचारी कभी-कभी सरकार के निर्णयों से व्‍यथित हो सकते हैं। इन मामलों का निपटान करने में न्‍यायालयों को कई वर्ष लग जाते थे और मुकद्दमेबाजी बहुत महंगी थी। सरकार के निर्णयों से व्‍यथित कर्मचारियों को शीघ्र और सस्‍ता न्‍याय उपलब्ध करवाने के प्रयोजन से, सरकार ने 1985 में केन्‍द्रीय प्रशासनिक अधिकरण स्‍थापित किया था जो अब सेवा से सम्‍बन्धित ऐसे सभी मामलों पर विचार करता है जिन पर पहले उच्‍च न्‍यायालयों सहित उनके स्‍तर तक के न्‍यायालयों द्वारा कार्रवाई की जाती थी।

जुलाई १९८५ में प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम पारित होने के बाद नवम्बर १९८५ में दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता और इलाहाबाद में चार पीठें स्थापित हुईं। वर्तमान में जहाँ भी उच्च न्यायालय हैं वहाँ प्राधिकरण की पीठ है। इस प्रकार देश में कुल १७ मुख्य पीठें तथा ३३ डिविजन बेंच हैं। इसके अलावा नागपुर, गोवा, औरंगाबाद, जम्मू, शिमला, इन्दौर, ग्वालियर, बिलासपुर, राँची, पांडीचेरी, गंगटोक, पोर्ट ब्लेयर, शिलांग, अगरतला, कोहिमा, इम्फाल, इटानगर, ऐजवाल और नैनीताल में चल पीठें (सर्किट सिटिंग) लगतीं हैं।[१]

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

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