काशीनाथ सिंह
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काशीनाथ सिंह | |
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व्यवसाय | लेखक, उपन्यासकार |
उल्लेखनीय सम्मान | साहित्य अकादमी पुरस्कार शरद जोशी सम्मान साहित्य भूषण कथा सम्मान राजभाषा सम्नान |
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काशीनाथ सिंह (जन्म- 1 जनवरी, 1937 ई०) हिन्दी साहित्य की साठोत्तरी पीढ़ी के प्रमुख कहानीकार, उपन्यासकार एवं संस्मरण-लेखक हैं। काशीनाथ सिंह ने लंबे समय तक काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिन्दी साहित्य के प्रोफेसर के रूप में अध्यापन कार्य किया। सन् 2011 में उन्हें रेहन पर रग्घू (उपन्यास) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान भारत भारती से भी सम्मानित किया जा चुका है।
जीवन परिचय
काशीनाथ सिंह का जन्म वाराणसी (अब चंदौली) के जीयनपुर गाँव में 1 जनवरी, सन् 1937 को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके पैत्रिक गाँव जीयनपुर के पास के विद्यालयों में ही हुई। सन् 1953 में हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। हालाँकि गणित विषय में वे कमजोर थे।[१] उच्च शिक्षा के लिए काशीनाथ सिंह बनारस चले आये जहाँ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक, परास्नातक (1959) और पी-एच०डी० (1963) की उपाधियाँ प्राप्त कीं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ही पहले वे हिंदी भाषा का ऐतिहासिक व्याकरण कार्यालय में सन् '62 से '64 तक शोध सहायक रहे। फिर सन् 1965 में वहीं उन्होंने अध्यापन कार्य शुरू किया और हिन्दी साहित्य के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष के पद पर कार्य करते हुए 1997 में सेवानिवृत्त हुए।[२] हिन्दी के सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ० नामवर सिंह काशीनाथ सिंह के बड़े भाई हैं।
साहित्य सृजन
काशीनाथ सिंह की सृजन-यात्रा साठोत्तरी पीढ़ी के एक कहानीकार के रूप में आरंभ हुई। उनकी पहली कहानी 'संकट' कृति पत्रिका (सितंबर 1960) में प्रकाशित हुई थी।[३] काशीनाथ सिंह साठोत्तरी पीढ़ी के सुप्रसिद्ध 'चार यार' रवीन्द्र कालिया, दूधनाथ सिंह और ज्ञानरंजन के साथ चौथे 'यार' हैं। उनका पहला उपन्यास अपना मोर्चा 1967 ईस्वी के छात्र आंदोलन को केंद्र में रखकर लिखा गया था।[४] लंबे समय तक वे कहानीकार के रूप में ही विख्यात रहे। बाद में संस्मरण के क्षेत्र में उतरने पर उन्हें काफी ख्याति प्राप्त हुई। 'अपना मोर्चा' के लंबे समय बाद उनका दूसरा उपन्यास 'काशी का अस्सी' प्रकाशित हुआ जो वस्तुतः कहानियों एवं संस्मरणों का सम्मिलित रूप है। सन् 2002 में प्रकाशित 'काशी का अस्सी' को उनका सबसे महत्त्वपूर्ण काम माना जाता है। यह घाटों, अजीब पात्रों और 1970 के दशक के छात्र राजनेताओं के जीवन के अंदरूनी चित्र की तरह लिखा गया है । उपन्यास वाराणसी के रंगीन जीवन के विस्तृत चित्रण में अद्वितीय माना जाता है।
काशीनाथ सिंह साहित्यिक व्यक्तित्वों के जीवन से सम्बद्ध संस्मरण-लेखन की अपनी अनूठी शैली के लिए भी जाने जाते हैं। उनके संस्मरणों को शरद जोशी पुरस्कार-प्रप्त 'याद हो कि न याद हो' तथा 'आछे दिन पाछे गये' में संकलित किया गया है। नामवर सिंह के जीवन पर केंद्रित संस्मरण-पुस्तक है 'घर का जोगी जोगड़ा'। 'काशी का अस्सी' के अंशों को प्रसिद्ध निर्देशक उषा गांगुली द्वारा रंगमंच पर प्रस्तुत किया गया है और इसी उपन्यास पर चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा फीचर फिल्म मोहल्ला अस्सी का भी निर्माण किया जा चुका है।
काशीनाथ सिंह को 2011 में उनके उपन्यास 'रेहन पर रग्घु' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। हाल के दिनों में 'काशी का अस्सी' पर आधारित एक नाटक 'काशीनामा' भारत और विदेशों में 125 बार आयोजित किया गया है।
प्रकाशित कृतियाँ
- कहानी-संग्रह-
- लोग बिस्तरों पर 1968
- सुबह का डर 1975
- आदमीनामा 1978
- नयी तारीख 1979
- कल की फटेहाल कहानियाँ 1980
- प्रतिनिधि कहानियाँ 1984
- सदी का सबसे बड़ा आदमी 1986
- 10 प्रतिनिधि कहानियाँ 1994
- कहनी उपखान (सम्पूर्ण कहानियाँ) - 2003 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- संकलित कहानियाँ 2008
- कविता की नयी तारीख 2010
- खरोंच 2014 (साहित्य भंडार, चाहचंद रोड, इलाहाबाद से)
- उपन्यास-
- अपना मोर्चा - 1972
- काशी का अस्सी - 2002
- रेहन पर रग्घू - 2008
- महुआ चरित - 2012
- उपसंहार - 2014
- संस्मरण-
- याद हो कि न याद हो -1992
- आछे दिन पाछे गए - 2004
- घर का जोगी जोगड़ा -2006
- शोध-आलोचना-
- हिंदी में संयुक्त क्रियाएं 1976
- आलोचना भी रचना है 1996
- लेखक की छेड़छाड़ 2013
- नाटक-
- घोआस (प्रथम प्रकाशन : युयुत्सा पत्रिका, कोलकाता-1969; द्वितीय प्रकाशन : रचना प्रकाशन, इलाहाबाद-1975; तृतीय प्रकाशन : प्रारूप प्रकाशन, इलाहाबाद-1982; 2015 ई० में साहित्य भंडार, चाहचंद रोड, इलाहाबाद से पुनर्प्रकाशित)[५]
साक्षात्कार-
- गपोड़ी से गपशप 2013 (संपादक- पल्लव)
- संपादन-
- परिवेश (अनियतकालीन पत्रिका 1971-76)
- काशी के नाम 2007 (नामवर सिंह के पत्रों का संचयन)
काशीनाथ सिंह पर केंद्रित विशिष्ट साहित्य
- कहन पत्रिका का विशेषांक 'साठ के काशी और काशी का साठ', संपादक- मनीष दुबे, 2000 (पुस्तक रूप में कासी पर कहन मीरा पब्लिकेशंस, न्याय मार्ग, इलाहाबाद से)
- 'बनास जन' का विशेषांक 'गल्पेतर गल्प का ठाठ' 'काशी का अस्सी' पर केंद्रित - 2010 (संपादक- पल्लव, पुस्तक रूप में ' अस्सी का काशी : गल्पेतर गल्प का ठाठ', साहित्य भंडार, चाहचंद रोड, इलाहाबाद से)
- संबोधन का विशेषांक (अक्टूबर 2012 - जनवरी 2013) संपादक- कमर मेवाड़ी
सम्मान
- कथा सम्मान
- समुच्चय सम्मान
- शरद जोशी सम्मान
- साहित्य भूषण सम्मान
- भारत भारती पुरस्कार
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
सन्दर्भ
- ↑ कासी पर कहन, संपादक- मनीष दुबे, मीरा पब्लिकेशंस, न्याय मार्ग, इलाहाबाद, संस्करण-2000, पृष्ठ-482.
- ↑ कहनी उपखान, काशीनाथ सिंह, राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली, संस्करण-2010, अंतिम आवरण फ्लैप पर।
- ↑ रेहन पर रग्घू, काशीनाथ सिंह, राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-2012, पृष्ठ-1.
- ↑ अपना मोर्चा, काशीनाथ सिंह, राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-1985, पृष्ठ-6.
- ↑ घोआस, काशीनाथ सिंह, साहित्य भंडार, 50, चाहचंद इलाहाबाद, संस्करण-2015, पृष्ठ-4 (प्रकाशकीय विवरण में)।