काली पुराण

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

महाकाली की उत्पत्ति से पहले आपको ये जानना होगा की त्रिदेवो की उत्पत्ति कैसे हुई तभी आप समझ सकते है कि महाकाली की उत्पत्ति कैसे हुई सबसे पहले शिव के नाम से ही पता चलता है कि उनका नाम शव से बना है तो शिव की उत्पति शव से हुई है किन्तु रूप धारण करने से पूर्व वह एक आग के गोले के रूप में मौजूद थे। ब्रम्हा की उत्पत्ति विष्णु की नाभि से हुई है । क्युकी उस समय ज्ञात नहीं था कि कोन पहले जन्मा है तो इस वजह से ब्रमहदेव को घमंड चड़ गया कि में पहले जन्मा हू मै सबसे बड़ा हू तू तुम्हे मेरी आराधना करनी पड़ेगी । क्युकी उस समय शिव जी आग के गोले के रूप में थे तो वह पर विष्णु और ब्रहा के आलावा कोई नहीं तो ब्रह्म देव विष्णु जी से कहते है कि पहले जन्मा हू तो तुम्हे मेरी आराधना करनी होगी। तभी आग के गोले से आवाज आती है कि पहले तुम देख कर आओ की इस सरष्टी का कोई आदि या अंत है या नहीं दोनों जाते है फिर कुछ समय पश्चात दोनों उसी जगह पर मिलते है और किन्तु ब्रह्म देव पहले पहुंच जाते है और उस फूल से झूट बोलने को कहते है कुछ समय पश्चात विष्णु जी आते है आौर आग के गोले के पूछे जाने पर विष्णु जी तो सच बोलते है ब्रहदेव झूट बोलते है कि मैने अंत चौर देख लिया है किन्तु देख नहीं पाते है और आग के गोले के पूछे जाने पर झूठ बोलते है तभी आग का गोला( शिव ) प्रकट होते है ।और कह ते की में बताता हू कि को सही है और कोन गलत है । और बताते है की इस सृष्टि का न तो आदि है और न अंत है। और इसके बाद ब्रह्मदेव को शिव जी के द्वारा श्राप दिया जाता है कि तुम्हारी पूजा कभी नहीं होगी। और ये फूल मेरी ( शिव) की पूजा में कभी भी नहीं रखे जाएंगे।