काला बाज़ार (1960 फ़िल्म)
काला बाज़ार | |
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चित्र:काला बाज़ार (1960).jpg काला बाज़ार का पोस्टर | |
निर्देशक | विजय आनन्द |
निर्माता | देव आनन्द |
लेखक | विजय आनन्द |
अभिनेता |
देव आनन्द, वहीदा रहमान, नन्दा, हेलन |
संगीतकार | एस॰ डी॰ बर्मन |
प्रदर्शन साँचा:nowrap | 1960 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
काला बाज़ार 1960 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसे नवकेतन फिल्म्स के लिए देव आनन्द द्वारा निर्मित किया गया। देव के छोटे भाई विजय आनन्द द्वारा लिखित और निर्देशित फिल्म में देव आनन्द, वहीदा रहमान, विजय आनन्द, चेतन आनन्द, नन्दा, मदन पुरी, लीला चिटनिस, मुमताज़ बेग़म और हेलन ने अभिनय किया। एस॰ डी॰ बर्मन ने संगीत तैयार किया, जबकि गीत शैलेन्द्र द्वारा लिखें गए थे।
संक्षेप
रघुवीर (देव आनन्द) अपनी विधवा माँ, एक बहन, सपना (नन्दा) और एक छोटे भाई के साथ गरीबी में रहता है। वह बम्बई में बेस्ट के लिये कंडक्टर के रूप में काम करता है। एक यात्री के साथ झगड़े के बाद उसे निकाल दिया जाता है और वह दूसरा रोजगार पाने में असमर्थ है। इसके बाद उसने लिबर्टी टॉकीज़ में ब्लैक में सिनेमा टिकट बेचना शुरू कर दिया जहाँ 'मदर इंडिया' की स्क्रीनिंग के दौरान रिकॉर्ड भीड़ आ रही है। वह पहले कालू के साथ काम करता है, फिर कई अन्य गरीब और बेघर पुरुषों की भर्ती करता है। इसके वाद वह नकदी से भरा बैग चुराता है और फिर गणेश (मदन पुरी) के क्षेत्र में जाता है और उसे अपने समूह के साथ मिलकर काम करने के लिए मजबूर करता है। उसके पास इतनी संपत्ति हो जाती है कि वह अपने पूरे परिवार को मरीन ड्राइव के एक विशाल फ्लैट में ले आता है।
फिर वह अलका सिन्हा (वहीदा रहमान) को देखता है और उसके प्यार में पड़ जाता है। उसके पास रहने के लिये है वह यहाँ तक कि ऊटी की यात्रा भी करता है। फिर उससे मित्रता करता है, यहाँ तक कि उसे खुश करने की कोशिश में अपना जीवन भी खो देता है। फिर यह पता लगता है कि वह नन्दकुमार चट्टोपाध्याय (विजय आनन्द) से सगाई कर चुकी है। मोहभंग होने पर, वह वापस लौटता है और काला बाजारी को छोड़ देने और सही रास्ते पर आने का फैसला करता है। लगभग एक साल बाद वह अलका से मिलता है, उसका परिचय उसके परिवार से कराता है और पाता है कि वह उसकी ओर आकर्षित है और नन्दकुमार को छोड़ सकती है। वह उसके माता-पिता से मिलने के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन फिर उसका मन बदल जाता है और वह घर वापस आ जाता है। वह फिर नन्दकुमार से अलग हो जाती है और रघुवीर को बताती है। दोनों साथ में अपने परिवार को खुशखबरी देने के लिए घर लौटते हैं।
मुख्य कलाकार
- देव आनन्द — रघुवीर / रघु
- वहीदा रहमान — अलका
- नन्दा — सपना
- विजय आनन्द — नन्दकुमार चट्टोपाध्याय
- चेतन आनन्द — वकील देसाई
- मदन पुरी — गणेश
- लीला चिटनिस — रघुवीर की माँ
- रशीद ख़ान — कालू
- किशोर साहू — सरकारी वकील
- हेलन —
- मुमताज़ बेग़म — अल्का की माँ
संगीत
सभी गीत शैलेन्द्र द्वारा लिखित; सारा संगीत एस॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायन | अवधि |
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1. | "खोया खोया चाँद खुला आसमाँ" | मोहम्मद रफ़ी | 4:40 |
2. | "रिमझिम के तराने लेके आई बरसात" | मोहम्मद रफ़ी, गीता दत्त | 2:52 |
3. | "अपनी तो हर आह एक तूफान" | मोहम्मद रफ़ी | 4:35 |
4. | "ना मैं धन चाहूँ" | गीता दत्ता, सुधा मल्होत्रा | 3:57 |
5. | "साँझ ढली दिल की लगी" | मन्ना डे, आशा भोंसले | 3:52 |
6. | "तेरी धूम हर कहीं" | मोहम्मद रफ़ी | 3:36 |
7. | "सच हुए सपने तेरे" | आशा भोंसले | 3:46 |
नामांकन और पुरस्कार
प्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति | पुरस्कार वितरण समारोह | श्रेणी | परिणाम |
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देव आनन्द | फिल्मफेयर पुरस्कार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | साँचा:nom |