कस्तूरी बिलाव

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कस्तूरी बिलाव
Civet
Civet.JPG
अफ्रीकी कस्तूरी बिलाव
Scientific classification
सम्मिलित समूह

कस्तूरी बिलाव (Civet), जिसे गंधमार्जार या गंधबिलाव भी कहा जाता है, एशिया और अफ्रीका के ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (विशेषकर वनों) में मिलने वाला एक छोटा, पतला, बिल्ली के आकार से मिलता-जुलता और अधिकतर निशाचरी स्तनधारी प्राणी होता है। कई जीववैज्ञानिक जातियों को सामूहिक रूप से कस्तूरी बिलाव बुलाया जाता है, जो सभी मांसाहारी गण के वाइवेरिडाए कुल की सदस्य हैं (हालांकि वाइवेरिडाए कुल की सभी जातियाँ कस्तूरी बिलाव नाम से नहीं जानी जाती)। कस्तूरी बिलावों में अपनी दुम के नीचे एक गंधग्रंथि से एक विशेष प्रकार की कस्तूरी गंध उत्पन्न करने की क्षमता होती है। यह आसानी से वृक्षों में चढ़ जाते हैं और आम तौर पर रात्रि में ही बाहर निकलते हैं।[१]

कस्तूरी गंध के प्रयोग

कस्तूरी बिलावों की कस्तूरी गंध के रसायनों को इत्र या कस्तूरी में मिलाकर बेचा जाता है। इसमें से सिवेटोन (Civetone) नामक कीटोन निकाला गया है। सुगंधित द्रव्यों के निर्माण में इसकी गंध प्रयुक्त होती है।

शारीरिक विशेषताएँ

इनकी वैसी तो कई जातियाँ हैं जिनमें एक भारत का प्रसिद्ध बड़ा भारतीय कस्तूरी बिलाव (The Zibeth, Viverra zibetha) है, जो ऑस्ट्रेलिया से भारत और चीन तक फैला हुआ है। कद लगभग तीन फुट लंबा और 10 इंच ऊँचा होता है। रंग स्लेटी, जिसपर काली चित्तियाँ रहती हैं। दूसरा अफ्रीकी कस्तूरी बिलाव (African civet, Civette des civetta) है, जो इससे बड़ा ऊँचा तथा इससे गाढ़े रंग का और बड़े बालोवाला होता है। वैसे तो कस्तूरी बिलाव का शरीर बिल्ली जैसा होता है लेकिन इसका मुख कुछ-कुछ कुत्ते की भाँति आगे से खिंचा हुआ होता है। इनमें एक ग्रंथि होती है जिस से वह अपनी कस्तूरी जैसी महक पैदा करते हैं। ऐतिहासिक रूप से कस्तूरी बिलावों को मारकर उनकी ग्रंथि निकल ली जाती थी और उसका प्रयोग इत्तर बनाने के लिए किया जाता था। आधुनिक युग में जीवित पशु से ही बिना ग्रंथि निकले इस गंध के रसायन इकट्ठे किये जाते हैं।[२]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Chisholm, Hugh, ed. (1911). "Civet" . Encyclopædia Britannica. 6 (11th ed.). Cambridge University Press. p. 402.
  2. East African mammals: an atlas of evolution in Africa, Volume 3, Part 1, University of Chicago Press, 1988, ISBN 978-0-226-43721-7.