कल्याणकारकम्

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कल्याणकारकम् आयुर्वेद का प्राचीन ग्रन्थ है। इसके रचयिता जैन आचार्य उग्रादित्य हैं। इस ग्रंथ में विस्तार से अष्टांग आयुर्वेद का वर्णन है। इसका रचनाकाल ९वीं शताब्दी है।

कल्याणकारकम् ग्रंथ में पच्चीस परिच्छेद हैं जिसमें आदिनाथ प्रभु से प्रार्थना, चिकित्सा के आधार, आयु परीक्षा, गर्भाधान क्रम, वात—पित्त—कफ के स्थान, लक्षण दोष इत्यादि ऋतुमान, भोजन, अन्न और वनस्पति आदि के गुण—दोष, पानी, दूध, दही, तेल, घी आदि के गुण—दोष, ब्रह्मचर्य के गुण, त्रिफला आदि रसायन तथा परिशिष्ट में अरिष्ट अध्याय भी दिया है। रिष्टाध्याय, हिताध्याय एवं वनौषधि शब्दादर्श है। इन वनौषधि शब्दादर्श में औषधियों के नाम संस्कृत, हिन्दी, मराठी, कन्नड़ भाषा में लिखे गए हैं।

इस ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद पण्डित वर्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री द्वारा किया गया है।