कलिंग युद्ध

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
कलिंग युद्ध से पहले मौर्य साम्राज्य का विस्तार
दया नदी का तट, जहाँ सम्भवतः कलिंग युद्ध हुआ था।

अशोक के तेरहवें अभिलेख के अनुसार उसने अपने राज्याभिषेक के आठ वर्ष बाद कलिंग युद्ध लड़ा। कलिंग विजय उसकी आखिरी विजय थी। यह युद्ध २६२-२६१ ईपू मे लड़ा गया।

युद्ध के कारण

१-कलिंग पर विजय प्राप्त कर अशोक अपने साम्राज्य मे विस्तार करना चाहता था।

२-सामरिक दृष्टि से देखा जाए तो भी कलिंग बहुत महत्वपूर्ण था। स्थल और समुद्र दोनो मार्गो से दक्षिण भारत को जाने वाले मार्गो पर कलिंग का नियन्त्रण था।

३-यहाँ से दक्षिण-पूर्वी देशो से आसानी से सम्बन्ध बनाए जा सकते थे।

परिणाम

१-मौर्य साम्राज्य का विस्तार हुआ। इसकी राजधानी तोशाली बनाई गई।

२-इसने अशोक की साम्राज्य विस्तार की नीति का अन्त कर दिया।

३-इसने अशोक के जीवन पर बहुत प्रभाव डाला। उसने अहिंसा, सत्य, प्रेम, दान, परोपकार का रास्ता अपना लिया।

४-अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया। उसने बौद्ध धर्म का प्रचार भी किया।

५-उसने अपने संसाधन प्रजा की भलाई मे लगा दिए।

६-उसने 'धम्म' की स्थापना की।

७-उसने दूसरे देशो से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाए

८-कलिंग युद्ध मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण बना। अहिंसा की नीति के कारण उसके सैनिक युद्ध कला मे पिछड़ने लगे। परिणामस्वरूप धीरे-धीरे उसका पतन आरम्भ हो गया। तथा अशोक की मृत्यु के ५० वर्ष के भीतर ही मौर्य वंश का पतन हो गयाइस इस युद्ध में लगभग 100000 लोग मारे गए और लोगों को बंदी बनाकर मगध लाया गया और संपूर्ण कलिंग क्षैत्र में आग लगा दी गई इस युद्ध के बाद अशोक का हृदय परिवर्तन हुआ और उसने हिंसा त्याग दी इस युद्ध का वर्णन अशोक के 13 शिलालेख से मिलता है