कर्णमल

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रूई की एक फुरेरी पर गीला मानव कर्णमैल
कान की मैल

कान का मैल या कर्णमल (ग्रामीण क्षेत्रों में 'ठेक', 'खोंठ' या खूँट भी कहते हैं), मानव व दूसरे स्तनधारियों की बाह्य कर्ण नाल के भीतर स्रावित होने वाला एक एक पीले रंग का मोमी पदार्थ है। यह मानव की बाह्य कर्ण नलिका की त्वचा को सुरक्षा प्रदान करता है साथ ही यह सफाई और स्नेहन में भी सहायता करता है। यह मैल कुछ हद तक कान को जीवाणु, कवक, कीटों और जल से भी सुरक्षा प्रदान करता है।[१] अत्यधिक या ठूंसा हुआ मैल कान के पर्दे पर दबाव डाल कर बाह्य श्रवण नलिका को अवरुद्ध करके व्यक्ति की श्रवण शक्ति को क्षीण कर सकता है।

उत्पादन

कर्णमल का उत्पादन मानव कर्ण नाल के बाहरी एक तिहाई उपास्थीय भाग में होता है। यह वसामय ग्रंथियों द्वारा स्रावित चिपचिपे स्राव और एपोक्राइन स्वेद ग्रंथियों द्वारा स्रावित एक कम चिपचिपे स्राव का मिश्रण होता है।[२]

संघटन

कर्णमल के प्राथमिक घटक कर्ण नाल की मृत त्वचा है। कर्णमल का लगभग 60% हिस्सा किरेटिन, 12-20% संतृप्त और असंतृप्त लंबी श्रृंखला वाले वसीय अम्ल, अल्कोहल, स्क्वालीन और 6-9% कोलेस्ट्रॉल होता है।[३]

भय, तनाव और चिंता की स्थितियों में सेरुमिनस ग्रंथियों द्वारा कर्णमल का अत्याधिक उत्पादन हो सकता है।[४][५]

प्रकार

अनुवांशिक रूप से कर्णमल मुख्यतः दो प्रकार का होता है: -

  • आद्र कर्णमल (प्रभावी)
  • शुष्क कर्णमल (अप्रभावी)

कार्य

सफाई

स्नेहन

जीवाणुरोधी और कवकरोधी प्रभाव

उपचार

प्रयोग

सन्दर्भ

  1. Earwax स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। at the American Hearing Research Foundation. Chicago, Illinois 2008.
  2. साँचा:cite journal
  3. साँचा:cite journal
  4. साँचा:cite book
  5. साँचा:cite webसाँचा:ifsubst

बाहरी कड़ियाँ