करनाल
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करनाल के दृश्य | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
राज्य | हरियाणा |
ज़िला | करनाल ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | २,८६,८२७ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषा | |
• प्रचलित | हरियाणवी, पंजाबी, हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
करनाल (Karnal) भारत के हरियाणा राज्य के करनाल ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। करनाल यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है।[१][२][३]
विवरण
करनाल राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर चण्डीगढ़ से 126 कि॰मी॰ की दूरी पर यमुना नदी के किनारे स्थित है। घरौंड़ा, नीलोखेड़ी, असन्ध, इन्द्री और तरावड़ी इसके मुख्य कस्बे हैं। करनाल में अनेक फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों में वनस्पति तेल, इत्र और शराब तैयार की जाती है। इसके अलावा यह अपने अनाज, कपास और नमक के बाजार के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर मुख्यत: धान की खेती की जाती है। यह धान उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसका निर्यात विदेशों में किया जाता है। इसकी उत्तर-पश्चिम दिशा में कुरूक्षेत्र, पश्चिम में जीन्द व कैथल, दक्षिण में पानीपत और पूर्व में उत्तर प्रदेश स्थित है। पर्यटक यहां पर अनेक पर्यटक स्थलों की यात्रा कर सकते हैं। इनमें कलन्दर शाह गुम्बद, छावनी चर्च और सीता माई मन्दिर आदि प्रमुख हैं। यह सभी बहुत खूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। करनाल के एक छोटे से गाँव मदनपुर का एक लड़का जिसका नाम कमल कशयप है वह अपनी तीव्र बुद्धि के लिए पूरे हरियाणा में मशहूर है।
इतिहास
दंतकथा के अनुसार करनाल शहर को महाभारत के राजा कर्ण ने बसाया था। करनाल पर नादिरशाह ने मुग़ल बादशाह मुहम्मदशाह को हराया था। इसके बाद यह क्रमश: जींद के राजाओं, मराठों और लाडवा के सिक्ख राजा गुरुदत्तसिंह के अधिकार में रहा। 1805 ई. में अंग्रेज़ों ने इस पर अपना अधिकार कर लिया। राजा कर्ण के नाम पर ही शहर का नाम करनाल पड़ा है।
उद्योग और व्यापार
करनाल शहर की सड़कें अधिकांशत: पक्की, परंतु टेढ़ी-मेढ़ी और सँकरी हैं। यहाँ देशी कपड़ा बनता है जो यहीं पर प्रयोग में आ जाता है। कंबल और जूते बाहर भेजे जाते हैं। कंबल व्यवसाय में अधिक लोग लगे हुए हैं। करनाल शहर दिल्ली,प।नीपत तथा अंबाला से विशेष संबंधित है। यह शहर गांव रगंरूटी खेडा से 40.85 कि॰मी॰ दूर है।
प्रमुख आकर्षण
कलन्दर शाह गुम्बद
इसके निर्माण में मार्बल का प्रयोग किया गया है और इसे खूबसूरत कलाकृतियों से सजाया गया है। इसका निर्माण दिल्ली के शासक गयासुद्दीन ने कराया था। यह गुम्बद बो अली कलन्दर शाह को समर्पित है। बो अली कलन्दर शाह मुस्लिम विद्वान थे। गुम्बद में मस्जिद, जलाशय और झरने का निर्माण भी किया गया है। पर्यटकों को यह गुम्बद बहुत पसंद आता है और वह इसके खूबसूरत दृश्य अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं।
छावनी चर्च
करनाल में खूबसूरत छावनी चर्च भी है। इस चर्च को कई मील दूर से भी देखा जा सकता है क्योंकि यह लगभग 100 फीट ऊंचा है। चर्च में धातु का क्रॉस भी लगाया गया है। इसका निर्माण सेंट जेम्स ने कराया था। उन्हीं के नाम पर इसका नामकरण किया गया है।
कर्ण जलाशय
महाभारत के युद्ध में राजा कर्ण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अपनी दानवीरता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने ही करनाल की स्थापना की थी। उनकी याद में यहां पर एक जलाशय का निर्माण किया गया है। हाल ही में इस जलाशय की मरम्मत की गई है। इसको देखने के लिए पर्यटक प्रतिदिन यहाँ आते हैं।
सीता माई मन्दिर
सीता माई मन्दिर सीता माई गांव में स्थित है। यह नीलोखेड़ी से 19 कि॰मी॰ दूर है। इस मन्दिर का कुछ भाग मुस्लिम शासकों द्वारा गिरा दिया गया था। इसके बावजूद यह मन्दिर पर्यटकों को आकर्षित करता है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहां सीता धरती की गोद में समा गई थी। सीता माई गावं के पास ही कोयर गांव है जहां पर पंचतीर्थ धाम है। गांव में राजपूत ब्राह्मण व अन्य सभी लोग आपस में भाईचारा बनाकर रहते है।
कुंजपुरा
कुंजपुरा करनाल की उत्तर-पूर्व दिशा में 6 मील की दूरी पर है। इसकी स्थापना पठान शासक निजाबत खान ने की थी। उन्होंने यहां पर एक शानदार किले का निर्माण भी कराया था। अब इस महल में सैनिक स्कूल का निर्माण कर दिया गया है। कंजपुरा में पर्यटक अनाज मण्डी देखने भी जा सकते हैं।[४]
तरावड़ी
साँचा:main यह शहर महान सम्राट पृथ्वीराज चौहन का भी गढ रहा है आज भी यहाँ पर चौहान का किला मौजूद ,जो भी स्वयं में एक दार्शनिक स्थल है,आजकल इस किले में स्थानिय निवासी ही रहते है!यह सिक्ख व हिंदु लोगो के लिए भी एक पवतरावड़ी करनाल की उत्तर दिशा में स्थित ऐतिहासिक शहर है क्योंकि यहां पर औरंगजेब के पुत्र आजम का जन्म हुआ था। आजम के नाम पर इसका नाम आजमाबाद रखा गया था। बाद में यह आजमाबाद से तरा वड़ी हो गया। औरंगजेब ने इसके चारों तरफ दीवार बनवाई थी और चारदीवारी के अन्दर तालाब और मस्जिद का निर्माण भी कराया था। यह तालाब और मस्जिद बहुत खूबसूरत है। इसे देखने के लिए पर्यटक प्रतिदिन यहां आते हैं। यहां पर बासमती चावलों की खेती की जाती है। इन चावलों का निर्यात विदेशों में किया जाता है।
बास्थली
पुराणों के अनुसार यह वही स्थान है जहां ऋषि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की थी। यह करनाल से 27 कि॰मी॰ दूर है। यह भी कहा जाता है कि बास्थली के नीचे गंगा बहती है।
बरसालू
यह गांव करनाल का अति महत्वपूर्ण गांव है। यहां स्तिथ नाग देवता का बाहुत पुराना मंदिर है जिसके बारे में मशहूर है कि अगर किसी को भी नाग यानी सांप काट ले और वो या उसके घर का कोई सदस्य यहां मंदिर में आ कर नाग देवता के सामने देसी घी का दीपक जलाये ओर नाग देवता को पानी मिश्रित दूध से स्नान कराये तो उस व्यक्ति जिसको सांप ने डसा है, उस पर कितना भी विषैला सांप हो उसका ज़हर कोई असर नही करता। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि आज तक बरसालू गांव में किसी की भी सांप के काटने से मृत्यु नही हुई।
आवागमन
- वायु मार्ग
वायुमार्ग से भी पर्यटक आसानी से करनाल तक पहुंच सकते हैं। पर्यटकों की सुविधा के लिए करनाल में करनाल फ्लाईंग क्लब का निर्माण किया गया है। निकटतम व्यावसायिक विमानक्षेत्र दिल्ली व चंडीगढ़ हैं।
- रेल मार्ग
पर्यटक रेल द्वारा भी आसानी से करनाल तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली से करनाल के लिए कई एक्सप्रेस और सवारी रेल चलती हैं।
- सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग 44 से पर्यटक आसानी से करनाल तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से करनाल के लिए बसें चलती हैं। अगर पर्यटक बस द्वारा नहीं जाना चाहते तो टैक्सी या अपनी कार द्वारा भी आसानी से करनाल तक पहुंच सकते हैं।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "General Knowledge Haryana: Geography, History, Culture, Polity and Economy of Haryana," Team ARSu, 2018
- ↑ "Haryana: Past and Present स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Suresh K Sharma, Mittal Publications, 2006, ISBN 9788183240468
- ↑ "Haryana (India, the land and the people), Suchbir Singh and D.C. Verma, National Book Trust, 2001, ISBN 9788123734859
- ↑ https://www.jagranjosh.com/articles/sainik-school-kunjpura-karnal-recruitment-for-ldc-posts-1524736686-2