एडवर्ड थार्नडाइक

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एडवर्ड थार्नडाइक (31 अगस्त 1874 – 9 अगस्त 1949)।


एडवर्ड थार्नडाइक (Edward Lee Thorndike) (31 अगस्त 1874 – 9 अगस्त 1949) यूएसए के मनोवैज्ञानिक एवं थे जिहोने लगभग अपना पूरा जीवन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शिक्षक महाविद्यालय में बिताया। 'पशु व्यवहार' एवं 'सीखने की प्रक्रिया' पर उनका कार्य के आधार पर ही आधुनिक शैक्षिक मनोविज्ञान की वैज्ञानिक नीव पड़ी। उन्होने औद्योगिक समस्याओं के समाधान की दिशा में भी कार्य किया (जैसे कर्मचारी परीक्षा एवं परीक्षण)। वे मनोवैज्ञानिक कॉर्पोरेशन के बोर्ड के सदस्य थे तथा सन् १९१२ में अमेरिकन मनोवैज्ञानिक संघ (American Psychological Association) के अध्यक्ष भी रहे।

परिचय

एडवर्ड थार्नडाइक ३१ अगस्त 1874 को विलियम्सबर्ग (मैसाचुसेट्स) में उत्पन्न हुए। पशु मनोविज्ञान के गंभीर अध्ययन के अतिरिक्त थार्नडाइक ने सीखने की प्रक्रिया में मानसिक व्यवहार, थकान और पठनक्षमता तथा अन्य कारकों की परीक्षणविधियों के अविष्कार में महत्वपूर्ण योगदान किया। थार्नडाइक ने प्रौढ़शिक्षा अभियान को एक नया और वैज्ञानिक रूप प्रदान किया। मनोवैज्ञानिक परीक्षण की अपनी विधियों द्वारा उसने सीखने की क्षमता और पूर्वार्जित ज्ञान मे भेद स्पष्ट किया और इसमें उसका नाम अग्रगण्य है।

१८९९ से १९४० तक वह कोलंबिया विश्वविद्यालय के टीचर्स कालेज से संबद्ध रहा। शिक्षा संबंधी विचारों तथा उसकी व्यावहारिकता पर उसकी कृतियों का विशेष प्रभाव पड़ा। ९ अगस्त १९४९ को न्यूयार्क (मांट्रोज) में उसकी मृत्यु हुई।

उसकी कृतियों में "एडूकेशनल साइकॉलजी" (१९०३), "एनीमल इंटेलीजेंस" (1898), "द साइकालजी ऑव लर्निंग" (१९१४), "द मेजरमेंट ऑव इंटेलीजेंस" (१९२६), "फंडामेंटल्स ऑव लर्निंग" (१९३३), "ह्यूमन नेचर ऐंड द सोशल आर्डर" (१९४०) के नाम उल्लेखनीय हैं। इन्होंने मनोविज्ञान के जगत में 'प्रयास एव त्रुटि का सिद्धांत ' दिया इस सिद्धांत का उल्लेख उन्होंने अपनी पुस्तक ' एनिमल इंटेलीजेंस (1898) ' में किया और इसका प्रयोग एक भूखी बिल्ली पर किया गया इस सिंद्धान्त को अन्य और नामो से जाना जाता है 1. संबंध वाद का सिंद्धान्त 2. योजनवाद का सिंद्धान्त 3. आवर्ती का सिंद्धान्त 4. बंध का सिंद्धान्त 5. हर्ष व दुःख का सिद्धान्त 6. परिश्रम व धैर्य का सिंद्धान्त 7. S.R. सिंद्धान्त 8. उद्दीपन अनुकिर्या का सिंद्धान्त

थार्नडाइक ने भूखी बिल्ली पर प्रयोग किया है भूखी बिल्ली पिंजरे के बाहर उद्दीपक रूपी मछली के टुकड़े को प्राप्त करने का प्रयास करती है और वह त्रुटियां करती है बाद में प्रथम बार गलतीवश पिंजरे के अंदर बनाई पुलिग स्ट्रिंग पर पैर पड़ता है तो पिंजरा खुल जाता है फिर वह सहसंबंध बना कर पिंजरा खोल लेती है और खोलना सीख जाती है बार बार ऐसा ही करती है

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