एक आदिम रात्रि की महक

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'एक आदिम रात्रि की महक' (1967) एक कथा-संग्रह है। इसमें संग्रह में कुल 14 कहानियां संकलित हैं जिसके रचायिता फणीश्वर नाथ रेणु हैं। इस संग्रह की कहानियाँ हैं

  1. एक आदिम रात्रि की महक - एक रेलवे कर्मचारी के नौजवान सहायक की ज़िन्दगी
  2. तबे एकला चलो रे - गाँव के एक भैस की कहानी जो राजनीतिक भूमिका अदा करती है।

इसके अलावा इसमें - संवादिया, जाहिद अली, टेबुल,अक्ल और भैंस आदि कुछ मुख्य कहानियांं हैं।

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