उपला
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (मई 2015) साँचा:find sources mainspace |
उपले या कंडे या गोइठा को गाय या भैंस के गोबर को हाथ से आकार देकर और फिर धूप में सुखाकर तैयार किया जाता है। गीले गोबर को आम तौर पर ग्रामीण महिलाएं हाथ से आकार देती हैं और यह प्रक्रिया उपले पाथना कहलाती है। सूखने के पश्चात इनका भंडारण एक गोबर और भूसे से बनी कोठरी जिसे बिटौरा कहते हैं में किया जाता है। इनका उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने में प्रयुक्त होने वाले ईंधन के रूप में लकड़ियों के साथ या बिना लकड़ियों के किया जाता है।
उपले दो प्रकार के होते हैं, गाय के गोबर के अथवा भैंस के गोबर के । हिंदू धर्म में गाय पूजनीय होती है अत: गाय के गोबर के उपले हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ माने गए हैं, इनसे हवन पूजन आदि कार्य करने पर अत्यंत ही शुभ फल प्राप्त होता है। ग्रहण लगने पर उपलो को द्वार और खिड़की पर रखने से घर में ग्रहण का दुष्प्रभाव नहीं होता है, एवं वातावरण में शुद्धता रहती है।
सन्दर्भ
भारत के प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र में या गौशालाओं में उपले आसानी से प्राप्त हो जाते हैं, पशु पालक उपलो का निर्माण कर बाजार में बेचते भी हैं। भारतीय बाजार में उपले आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। यह ईंधन का एक अच्छा स्त्रोत है, वह बहुत ही आसानी से उपलब्ध भी है। उपलो पर बना भोजन अत्यंत ही स्वादिष्ट व शुद्ध माना जाता है, प्रत्येक भारतीय इसे बड़े स्वाद से खाते है।