उपजाति (छन्द)
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उपजाति एक संस्कृत छन्द है।
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जिस छन्द में कोई चरण इन्द्रवज्रा का हो और कोई उपेन्द्रवज्रा का, उसे उपजाति छन्द कह्ते हैं । इसका लक्षण और उदाहरण पद्य में देखिए:
अनन्तरोदीरितलक्ष्मभाजौ पादौ यदीयावुपजातयस्ताः । इत्थं किलान्यास्वपि मिश्रितासु वदन्ति जातिष्विदमेव नाम॥
अर्थात् इन्द्रवज्रा और उपेन्द्रवज्रा अथवा अन्य प्रकार के छन्द जब मिलकर एक रुप ग्रहण कर लेते हैं, तो उसे उपजाति कहते हैं ।
साहित्यसङ्गीत कला-विहीनः साक्षात्पशुः पृच्छ-विषाणहीनः । तृणं न खादन्नपि जीवमानः तद्भागधेयं परमं पशुनाम्॥ नीतिशतकम् ॥
अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा हिमालयो नाम नगाधिराजः । पूर्वापरौ तोयनिधी वगाह्य स्थितः पृथिव्या इव मानदण्डः॥ कुमारसंभवम् ॥