उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी

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उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी का लोगो

अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसाइटी भी उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के एड्स नियंत्रण अथवा जन-जागृति का कम करता है।[१] राज्य के सभी जिलों में एड्स को रोकने के लिए और उच्च जोखिम-वाले समूहों और आम जनता में एचआईवी / एड्स के संचरण नियंत्रण में जिला अस्पताल स्तर पर सुरक्षा क्लिनिक नाको द्वारा स्थापित किये गए हैं। वहाँ भी उच्च जोखिम-वाले मामलों जो सामाज की महिला यौन-कार्यकर्ताओं, पुरुषों से यौन सम्बन्ध रखनेवाले पुरुषों और नसों में नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं और के लिए परामर्श की सुविधा उपलब्ध रहती है।[२]

ट्रेन यात्रियों के लिए एचआईवी जागरूकता सेवा

एनईआर रेलवे स्टेशन पर मण्डलीय रेल प्रबन्धक ए के सिंह ने 'माइग्रेन्ट संवेदीकरण परियोजना' का शुभारम्भ करते हुए कहा है कि अन्य प्रदेशों में काम की तलाश में जाने वाले ट्रेन यात्रियों को एचआईवी एड्स के सम्बन्ध में जागरूक करने के लिए रेलवे हर सम्भव सहयोग प्रदान करेगा और इससे सम्बन्धित उपलब्ध सेवाओं के बारे में जानकारी भी उपलब्ध करायेगा। परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि लोग उत्तर प्रदेश से और खासतौर से पूर्वांचल क्षेत्र से रोजी-रोटी की तलाश में घर परिवार छोड़ कर मुम्बई, सूरत, दिल्ली आदि शहरों में जाते हैं। कुछ अन्तराल के बाद घर वापस आने पर पुनः दूसरे प्रदेश में चले जाते हैं। इस प्रक्रिया को माइग्रेसन कहते हैं। कभी-कभी विस्थापन के दौरान व्यक्ति जानकारी के अभाव में एचआईवी से संक्रमित हो सकता है और घर लौटने के बाद परिवार को भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि इस तरह के विस्थापितों को एचआईवी एड्स के प्रसार, बचाव, एड्स और यौनरोग से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध करायी जानी आवश्यक है इसलिए इससे सम्बन्धित स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूक किया जाएगा। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के मार्गदर्शन और उप्र राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी 'माइग्रेन्ट संवेदीकरण परियोजना' का संचालन कर रही है। उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसाइटी की अपर निदेशक कुमुदलता श्रीवास्तव ने भी बताया कि माईग्रेन्ट संवेदीकरण परियोजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश से दूसरे प्रदेशों में काम-धन्धे की तलाश में विस्थापित होने वाले लोगों को एचआईवी/एड्स, एचटीआई ट्रीटमेन्ट एवं कण्डोम प्रमोशन आदि के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करना है, जिससे एचआईवी के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि एचआईवी संक्रमण का प्रसार उत्तर प्रदेश के सामान्य जनसाधारण में अन्य माध्यमों के साथ-साथ विस्थापितों के माध्यम से भी हो रहा है। इसको रोकने के लिए एड्स नियंत्रण सोसाइटी ने रेलवे के सहयोग से 'माइग्रेन्ट संवेदीकरण परियोजना' शुरूआत की है। परियोजना 20 अक्टूबर 2010 से रेलवे स्टेशन चारबाग, वाराणसी कैन्ट रेलवे स्टेशन पर शुरू की जा चुकी है। उनका कहना है कि पलायन करने वाले श्रमिकों के माध्यम से जन समुदाय एवं ग्रामीण क्षेत्र में भी यह बीमारी फैल रही है। बीमारी का कोई टीका और इलाज भी आज तक विकसित नहीं हुआ है, इसलिए एचआईवी एड्स के बारे में जानकारी और सावधानी ही एक मात्र विकल्प है। इस अवसर पर सोसाइटी के अधिकारी, यूनिसेफ के डॉ के भूयन, एडीआरएम रेलवे एके दादरिया, सीनियर डीसीएम राधेश्याम, सीएमएस डॉ किरन मिश्रा और स्टेशन मैनेजर गिरधारी सिंह उपस्थित थे।[३]

एचआइवी पॉजिटिव लोगों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास

एचआइवी पॉजिटिव लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिएउत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसाइटी मुख्य सचिव और परियोजना के निदेशक ने 2010 में दिशा-निर्देश जरी करके 'एचआइवी/ एड्स के साथ जी रहे लोगों' को सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाएँ पहुँचाने को कहा। इन लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए सर्कार ने ग़रीबी-रेखा से निचे रहने की स्थिति के पंजीकरण, जन्म तथा मृत्यु प्रमाणपत्रों के जारी करने और राशन जारी करने के मामलों में प्राथमिकता दी है।[४]

फ़ैजाबाद ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी

उत्तर प्रदेश के ज़िला फ़ैजाबाद[५]में स्थित उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी से जुडी फ़ैजाबाद ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी अपने आप में एक निष्क्रिय सरकारी संगठन के रूप में काम कर रही है। इसकी मिसाल इसी साल 2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रक्तदान के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए 2012 में एक माह-भर अभियान चलाने का निर्देश से पता चलती है। यह अभियान मई 2012 से 14 जुलाई 2012 तक चलाया जाना था। फैजाबाद जिले में यह जिम्मेदारी जिला एड्स नियंत्रण सोसाइटी की थी कि वह सर्वाधिक बार रक्तदान करने वालों को सूचीबद्ध कर सम्मानित करे तथा पंफलेट, पोस्टर, वालराइटिंग, गोष्ठी, रैली आदि के माध्यम से जनजागरण करे। बावजूद इसके, इस संबंध कार्ययोजना नहीं बनाई गई। इसी से सोसाइटी की इस बाबत गंभीरता को समझा जा सकता है।[६]

चंदौली ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी

चंदौली ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी उत्तर प्रदेश के ज़िला चंदौली[७] में एड्स रोकथाम का प्रयास प्रयास करती है। चंदौली ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी एक सक्रिय भूमिका निभा रही है। सोसाइटी द्वारा २०११ विश्व एड्स दिवस के अवसर पर ज़िला कलेक्ट्रेट से जिला चिकित्सालय तक जागरुकता रैली निकाली गई। रैली का शुभारंभ जिलाधिकारी विजय कुमार त्रिपाठी ने हरी झंडी आगे के लिए रवाना किया। गैर-सरकारी संगठनों के समन्वय की मिसाल इसी समय पर आयोजित खुशी सोसाइटी फॉर सोशल सर्विसेज की ओर से नुक्कड़ नाटक के माध्यम से एड्स की विस्तृत जानकारी में देखने को मिली। एक और गैर-सरकारी संगठन मानव सेवा एवं पर्यावरण संरक्षण समिति के कार्यालय पर गोष्ठी आयोजित कर एड्स के प्रति लोगों को जागरुकता के प्रयास में भी ऐसी ही मिसाल सामने आई। मानव सेवा केंद्र की ओर से भी जिला क्षय रोग अधिकारी के नेतृत्व में जागरुकता रैली निकाली गई।[८]

मैनपुरी ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी

मैनपुरी ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी उत्तर प्रदेश के ज़िला मैनपुरी[९] में एड्स रोकथाम का प्रयास प्रयास करती है। मैनपुरी ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी एक सक्रिय भूमिका निभा रही है। सोसाइटी द्वारा समय-समय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होते रहे हैं और इसी श्रृंखला में २०११ में विजिला एड्स नियंत्रण सोसाइटी के तत्वावधान में आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का बड़े पैमाने पर आयोजित हुआ। इस शिवर रक्तदान को पुन्य के काम के रूप में पेश किया गया और एड्स के प्रति भी जागरूकता का प्रयास किया गया।[१०]

चित्रकूट ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी

चित्रकूट ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी उत्तर प्रदेश के ज़िला चित्रकूट[११] में एड्स रोकथाम का प्रयास करती है। चित्रकूट ज़िला एड्स नियंत्रण सोसाइटी एक सक्रिय भूमिका निभा रही है। सोसाइटी द्वारा समय-समय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होते रहे हैं और इसी श्रृंखला में विश्व एड्स दिवस २०११ पर स्वास्थ्य विभाग सहित अनेक संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिला एड्स नियंत्रण सोसाइटी के तत्वावधान में सीआईसी से महिला जिला चिकित्सालय तक एड्स जागरूकता रैली निकाली गई। जिला चिकित्सालय में संगोष्ठी आयोजित की गई। जिला चिकित्सालय में एड्स विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।[१२]

सन्दर्भ

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