ईश्वर विलास

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
चित्र:Mahakavya Ishwar vilas.jpg
320px। महाकाव्य ईश्वर विलास।

https://web.archive.org/web/20080521181832/http://commons.wikimedia.org/wiki

जयपुर पर इतिहास-सामग्री का ग्रन्थ

ईश्वरविलास महाकाव्य [१] संस्कृत और ब्रजभाषा के महाकवि श्रीकृष्णभट्ट कविकलानिधि द्वारा कविता-शैली में जयपुर और यहाँ के राजपुरुषों के बारे में लिखा इतिहास-ग्रंथ है।[१] इसकी मूल पांडुलिपि सिटी पैलेस (चन्द्रमहल) जयपुर के पोथीखाना में है। १९५८ में इसे 'राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान' जोधपुर ने भट्ट मथुरानाथ शास्त्री की भूमिका, सम्पादन, संशोधन एवं ‘विलासिनी’ टीका सहित प्रकाशित किया था।[२] 'ईश्वरविलास महाकाव्य’ का दूसरा संस्करण 2006 में छपा।

ईश्वरविलास महाकाव्य और कल्कि का प्राचीन मन्दिर

जयपुर की बड़ी चौपड़ से आमेर की ओर जानेवाली सड़क सिरेड्योढ़ी बाज़ार में (हवामहल के लगभग सामने) कल्कि अवतार का एक प्राचीन मन्दिर अवस्थित है। जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह ने पुराणों में वर्णित कथा के आधार पर कल्कि अवतार के मन्दिर का निर्माण सन् 1739 ई. में दक्षिणायन शिखर-शैली में कराया था। प्रख्यात संस्कृत विद्वान देवर्षि कलानाथ शास्त्री के अनुसार, "सवाई जयसिंह संसार के ऐसे पहले महाराजा रहे हैं, जिन्होंने जिस देवता का अभी तक अवतार हुआ ही नहीं, उसके बारे में पूर्व-कल्पना कर कल्कि की मूर्ति बनवा कर एक अलग मन्दिर में स्थापित करायी। सवाई जयसिंह के समकालीन कवि श्रीकृष्ण भट्ट कलानिधि ने अपने ईश्वर विलास काव्यग्रन्थ में मन्दिर के निर्माण और औचित्य का वर्णन किया है।." तद्नुसार ऐसा उल्लेख है कि सवाई जयसिंह ने अपने पौत्र ”कल्कि प्रसाद“ (सवाई ईश्वरीसिंह के पुत्र) जिसकी असमय में ही मृत्यु हो गई थी, की स्मृति में यह मन्दिर स्थापित कराया था। यहाँ संगमरमर पर एक बहुत आकर्षक श्वेत अश्व की प्रतिमा उत्कीर्ण है जो भविष्य के अवतार कल्कि का वाहन माना गया है। अश्व के चबूतरे पर लगे बोर्ड पर ये रोचक इबारत अंकित है- ”अश्व श्री कल्कि महाराज- मान्यता- अश्व के बाएँ पैर में जो गड्ढा सा (घाव) है, जो स्वतः भर रहा है, उसके पूरा भरने पर ही कल्कि भगवान प्रकट होंगे।“ [३]

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

[४]

[५]

[६]

[७]

[८]

[९]

[१०]

[११]

[१२]

[१३]

[१४]

[१५]

[१६]

[१७]