ईसा इब्न मरियम
- यह लेख इस्लाम के महत्वपूर्ण पैग़म्बर और क़ुरान के पात्र, ईसा, ईसा बिन मरयम के बारे में है। ईसाईयत के संदर्भ में उनके बारे में जानकारी हेतु यीशु देखें
ईसा साँचा:lang अलैहीस्सलाम | |
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अरबी में ईसा इब्न मरियम, अलैहीस्सलाम अंकित | |
जन्म |
c. 7–2 ईपू बेथलेहम, यहूदा, रोमन साम्राज्य |
पूर्वाधिकारी | याहया |
उत्तराधिकारी | मुहम्मद |
माता-पिता | मरियम |
संबंधी | याह्या और ज़कारिया |
ईसा इब्न मरियम (यानि: मरियम के पुत्र ईसा) या ईसा मसीह (सम्मानजनक रूप से:हज़रात ईसा अलैहीस्सलाम), इस्लाम के अनुसार, अल्लाह द्वारा, मानव जाति को भेजे गए पैग़म्बरों में से एक हैं, जोकि ईसाई धर्म के प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक हैं। ईसा, इस्लाम के उन २५ पैग़म्बरों में से एक हैं, जिनका उल्लेख क़ुरान में किया गया है। इस्लामी धर्मशास्त्र के अनुसार, ईसा को मुहम्मद के बाद दुसरे सबसे महत्वपूर्ण स्थान पर रखा जाता है। बाइबिल में दिए गए उनकी आत्मकथा से जुड़े लगभग सारी दैवी घटनाओं को इस्लाम में माना जाता है, जिसमें: कुँवारीगर्भ से जन्म, उनके चमत्कार, उनके क्रूस पर चढ़ाय जाने, मृत्यु और मृतोत्थान शामिल हैं। हालाँकि कुरान के कुछ विवोचनों के अनुसार, क्रूस पर चढ़ाना, मृत्यु और मृतोत्थान जायसी घटनाएँ नहीं हुई थी। बहरहाल, मसीहियों के विरुद्ध मुस्लमान, ईसा को ईश्वरपुत्र या त्रिमूर्तित्व को नहीं मानते।
इस्लाम में ईसा मसीह को एक आदरणीय नबी (मसीहा) माना जाता है, जो ईश्वर (अल्लाह) ने इस्राइलियों को उनके संदेश फैलाने को भेजा था। क़ुरान के अनुसार, अल्लाह ने ईसा को इंजील नमक पवित्र किताब का इल्हाम दिया था, जोकि इस्लामिक मान्यता के अनुसार, अल्लाह द्वारा मानवता को प्रदान किये गए चार पवित्र किताबों में से एक है। क़ुरान में ईसा के नाम का ज़िक्र मुहम्मद से भी ज़्यादा है और मुसलमान ईसा के कुँवारी माता द्वारा जन्मा मानते हैं।
इस्लाम और ईसाई धर्म में ईसा के व्यक्तित्व में अंतर
इस्लाम में ईसा मसीह सभी नबियों की तरह ही महज़ नबी ही माना जाता है, और ईसाई मान्यता की तरह, ईश्वर-पुत्र या त्रिमूर्ति का सदस्य नहीं माना जाता है, और उनकी पूजा पर मनाही है। उन्हें चमत्कार करने की क्षमता ईश्वर से मिली थी और स्वयं ईसा में ऐसी शक्तियां नहीं मौजूद थीं। यह भी नहीं माना जाता है कि वे क्रूस पर लटके। इस्लामी परंपरा के मुताबिक ईश्वर ने उन्हें सीधे स्वर्ग में उठाया। सब रसूलों की तरह, ईसा मसीह भी क़ुरान में एक रसूल कहलाए गए हैं। क़ुरान के मुताबिक़, ईसा ने अपने आप को ईश्वर-पुत्र कभी नहीं माना और वे क़यामत के दिन पर इस बात का इंकार करेंगे। मुसलमानों की मान्यता है कि क़यामत के दिन पर, ईसा मसीह पृथ्वी पर लौट आएंगे दज्जाल को खत्म करेंगे।
मुहम्मद और ईसा मसीह
मुहम्मद के हदीसों में है कि "तमाम नबी भाई है और ईसा मसीह मेरे सबसे करीबी भाई है क्यूंकि मेरे और ईसा मसीह के दरमियान कोई नबी नही आया है"।
क़ुरान में
क़ुरान में ईसा का नाम 25 बार आया है। सुरा मरियम में इनके जन्म की कथा है और इसी तरह सुराह अलि इमरान में भी। क़ुरान में ईसा का ज़िक्र, मुहम्मद से भी अधिक है।
इस्लाम के अनुसार, ईसा का धरती से प्रस्थान
इस्लाम में ईसा का पुनरागमन बहुत महत्व रखता है कुछ मुसलमान(जैसे क़ादयानी) उनके पुनरागमन को नहीं मानते। मुसलमानों की बड़ी संख्या का मानना है। अधिकांश उलेमा का कहना है कि मसीह के क्रूस पर नहीं चढ़ाया गया था, बल्कि उन्हें जन्नत में उठा लिया गया। लेकिन इस पर सभी मुसलमान उलेमा की सहमति है कि मसीह क़यामत समय, पुनः धरती पर आएंगे
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Wikimedia Commons has media related to Jesus in Islam.साँचा:preview warning |
- Jesus: A Summary of the Points About Which Islam and Christianity Agree and Disagree Dr. Alan Godlas, University of Georgia.
- What Do Muslims Think About Jesus - Royal Embassy of Saudi Arabia
- Here's How Jesus is Depicted in Islam - Business Insider
- Jesus Through Muslim Eyes - BBC
- The Story of Jesus Through Iranian Eyes - ABC News