इल्बर्ट विधेयक

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(इल्बर्ट बिल विवाद से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

'इल्बर्ट विधेयक 9 फरवरी 1883 से समस्त देश में एक ही फौजदारी कानून लागू कर दिया गया था और प्रत्येक प्रांत में उच्च न्यायालय स्थापित कर दिए गए थे । उससे पूर्व देश में दो प्रकार के कानून चलते थे । प्रेसिडेंसी नगरों में अंग्रेजी कानून और ग्रामीण प्रदेशों में मुगल कानून । उस समय ऐसा सोचा गया था कि यूरोपीय व्यक्तियों को मुस्लिम कानून के अंतर्गत लाना ठीक नहीं है और उस समय एक प्रथा बन गई थी कि प्रेसिडेंसी नगरो भारतीय दंड नायक तथा सेशन जज भारतीय तथा यूरोपीय दोनों के मुकदमों की सुनवाई कर सकते थे । परंतु ग्रामीण प्रदेशों में केवल यूरोपीय न्यायाधीशों ही यूरोपीय अभियुक्तों का मुकदमा सुन सकते थे । दीवानी मामलों में ऐसा कोई भेदभाव नहीं था 1872 में तीन भारतीय संसर्वित जानपद सेवा में नियुक्त हुए थे । उनमें एक थे श्री बिहारी लाल गुप्ता । वह वह कोलकाता में प्रेसिडेंट दण्डनायक के पद पर पर कार्य कर रहे थे ।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

साँचा:reflist