इण्डिया गेट

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भारत की राजधानी नई दिल्ली का इण्डिया गेट

इण्डिया गेट, (मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक कहा जाता है), नई दिल्ली के राजपथ पर स्थित ४२ मीटर ऊँचा विशाल means है। यह स्वतन्त्र भारत का राष्ट्रीय स्मारक है, जिसे पूर्व में किंग्सवे कहा जाता था। इसका डिजाइन सर एडवर्ड लुटियन्स ने तैयार किया था। यह स्मारक पेरिस के आर्क डे ट्रॉयम्फ़ से प्रेरित है। इसे सन् १९३१ में बनाया गया था। मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाने वाले इस स्मारक का निर्माण अंग्रेज शासकों द्वारा उन ९०००० भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था जो ब्रिटिश सेना में भर्ती होकर प्रथम विश्वयुद्ध और अफ़ग़ान युद्धों में शहीद हुए थे। यूनाइटेड किंगडम के कुछ सैनिकों और अधिकारियों सहित 13,300 सैनिकों के नाम, गेट पर उत्कीर्ण हैं।[१][२] लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बना हुआ यह स्मारक दर्शनीय है।

अमर जवान ज्योति

जब इण्डिया गेट बनकर तैयार हुआ था तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी हुई थी। जिसे बाद में ब्रिटिश राज के समय की अन्य मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया। अब जार्ज पंचम की मूर्ति की जगह प्रतीक के रूप में केवल एक छतरी भर रह गयी है। 23 जनवरी 2022 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्मतिथि के अवसर पर प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि यहां उनकी ग्रेनाइट प्रतिमा लगाई जाएगी मूर्ति लगने तक नेताजी की होलोग्राम छवि प्रदर्शित होगी।

इण्डिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति

भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् इण्डिया गेट भारतीय सेना के अज्ञात सैनिकों के मकबरे की साइट मात्र बनकर रह गया है। इसकी मेहराब के नीचे अमर जवान ज्योति स्थापित कर दी गयी है। अनाम सैनिकों की स्मृति में यहाँ एक राइफ़ल के ऊपर सैनिक की टोपी सजा दी गयी है जिसके चारो कोनों पर सदैव एक ज्योति जलती रहती है। इस अमर जवान ज्योति पर प्रति वर्ष प्रधान मन्त्री व तीनों सेनाध्यक्ष पुष्प चक्र चढ़ाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इण्डिया गेट की दीवारों पर हजारों शहीद सैनिकों के नाम खुदे हैं और सबसे ऊपर अंग्रेजी में लिखा हैः

To the dead of the Indian armies who fell honoured in France and Flanders Mesopotamia and Persia East Africa Gallipoli and elsewhere in the near and the far-east and in sacred memory also of those whose names are recorded and who fell in India or the north-west frontier and during the Third Afgan War.
भारतीय सेनाओं के शहीदों के लिए, जो फ्रांस और फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया फारस पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली और निकटपूर्व एवं सुदूरपूर्व की अन्य जगहों पर शहीद हुए और उनकी पवित्र स्मृति में भी जिनके नाम दर्ज़ हैं और जो तीसरे अफ़ग़ान युद्ध में भारत में या उत्तर-पश्चिमी सीमा पर मृतक हुए।

दिल्ली की कई महत्वपूर्ण सड़कें इण्डिया गेट के कोनों से निकलती हैं। रात के समय यहाँ मेले जैसा माहौल होता है।

इंडिया गेट (India Gate) भारत की राजधानी दिल्ली शहर में स्थित है। यह स्थान राष्ट्रपति भवन से लगभग 2.3 किलोमीटर दूर औपचारिक मुख्य मार्ग, राजपथ के पूर्वी छोर पर है | इंडिया गेटे देखने में बहुत ही सुंदर है जो एक युद्ध स्मारक है।

यह गेट अविभाजित भारतीय सेना के सैनिकों का सम्मान करने के लिए समर्पित है जिनकी 1914 और 1921 के बीच प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मृत्यु हो गई थी। इस प्रकार के युद्ध स्मारक से शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि मिलती है और लोगों को उनके विषय में जानने को मिलता है।

निर्माण-स्थल का इतिहास

इण्डिया गेट के सामने स्थित वह छतरी जिसमें किसी जमाने में जार्ज पंचम की मूर्ति लगी हुई थी जिसे भारत सरकार ने वहाँ से हटा दिया।

१९२० के दशक तक, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पूरे शहर का एकमात्र रेलवे स्टेशन हुआ करता था। आगरा-दिल्ली रेलवे लाइन उस समय लुटियन की दिल्ली और किंग्सवे यानी राजाओं के गुजरने का रास्ता, जिसे अब हिन्दी में राजपथ नाम दे दिया गया है, पर स्थित वर्तमान इण्डिया गेट के निर्माण-स्थल से होकर गुजरती थी। आखिरकार इस रेलवे लाइन को यमुना नदी के पास स्थानान्तरित कर दिया गया। तदुपरान्त सन् १९२४ में जब यह मार्ग प्रारम्भ हुआ तब कहीं जाकर स्मारक स्थल का निर्माण शुरू हो सका।

४२ मीटर ऊँचे इण्डिया गेट से होकर कई महत्वपूर्ण मार्ग निकलते हैं। पहले इण्डिया गेट के आसपास होकर काफी यातायात गुजरता था। परन्तु अब इसे भारी वाहनों के लिये बन्द कर दिया गया है। शाम के समय जब स्मारक को प्रकाशित किया जाता है तब इण्डिया गेट के चारो ओर एवं राजपथ के दोनों ओर घास के मैदानों में लोगों की भारी भीड़ एकत्र हो जाती है। ६२५ मीटर के व्यास में स्थित इण्डिया गेट का षट्भुजीय क्षेत्र ३०६,००० वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला है।

इण्डिया गेट के सामने स्थित वह छतरी अभी भी ज्यों की त्यों है। इस छतरी के नीचे किसी जमाने में जार्ज पंचम की भव्य मूर्ति हुआ करती थी। भारत के आज़ाद होने के बाद उस मूर्ति को सरकार ने वहाँ से हटा कर कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया।

प्रति वर्ष गणतंत्र दिवस पर निकलने वाली परेड राष्ट्रपति भवन से शुरू होकर इण्डिया गेट से होते हुए लाल किले तक पहुँचती है।

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सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

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