इंटर-नेटवर्किंग

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इंटर-नेटवर्किंग, नेटवर्कों के बीच सूचना पैकेटों की रूटिंग का एक आम तरीका प्रदान करने वाले गेटवेज का प्रयोग कर किसी कंप्यूटर नेटवर्क को अन्य नेटवर्कों से जोड़ने की प्रक्रिया है। इसके परिणाम स्वरूप परस्पर जुड़े हुए नेटवर्कों की प्रणाली को एक इन्टर-नेटवर्क या सिर्फ एक इंटरनेट कहा जाता है।

इंटर-नेटवर्किंग का सबसे उल्लेखनीय उदाहरण है इंटरनेट जो कई अंतर्निहित हार्डवेयर तकनीकों पर आधारित लेकिन इंटरनेट प्रोटोकॉल सुइट नामक एक इंटर-नेटवर्किंग प्रोटोकॉल मानक द्वारा एकीकृत नेटवर्कों का एक नेटवर्क है जिसे अक्सर टीसीपी/आईपी भी कहा जाता है।

नेटवर्कों का पारस्परिक संबंध

इंटर-नेटवर्किंग की शुरुआत विभिन्न प्रकार की नेटवर्किंग तकनीकों को जोड़ने की एक विधि के रूप में हुई थी लेकिन किसी प्रकार के वाइड एरिया नेटवर्क के माध्यम से दो या अधिक लोकल एरिया नेटवर्कों को जोड़ने की बढ़ती जरूरत की वजह से इसका इस्तेमाल व्यापक रूप से होने लगा. इंटर-नेटवर्क के लिए मूल शब्द कैटेनेट था। इंटर-नेटवर्क की परिभाषा में आज पर्सनल एरिया नेटवर्क जैसे अन्य प्रकार के कंप्यूटर नेटवर्कों का संपर्क (कनेक्शन) शामिल होता है। इंटरनेट के पूर्ववर्ती, आरपानेट (एआरपीएएनईटी) में अलग-अलग नेटवर्कों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले नेटवर्क संबंधी तत्वों को मूलतः गेटवे कहा जाता था, लेकिन विभिन्न उपकरणों के साथ कार्यात्मकता के संभावित भ्रम की वजह से इस संदर्भ में इस शब्द को अनुचित समझा गया। आज परस्पर जोड़ने वाले (इंटरकनेक्टिंग) गेटवे को इंटरनेट राउटर कहा जाता है। नेटवर्कों का एक अन्य प्रकार का इंटरकनेक्शन अक्सर उद्यमों के अंदर नेटवर्किंग मॉडल के लिंक लेयर यानी टीसीपी/आईपी लॉजिकल इंटरफेसों के स्तर के नीचे हार्डवेयर केंद्रित स्तर में पाया जाता है। इस तरह का इंटरकनेक्शन नेटवर्क ब्रिजों और नेटवर्क स्विचों के साथ पूरा किया जाता है। इसे कभी-कभी गलत तरीके से इंटर-नेटवर्किंग कह दिया जाता है, लेकिन इसके परिणाम स्वरूप बनने वाला सिस्टम सीधे तौर पर एक बड़ा, एकल सबनेटवर्क होता है और इन उपकरणों के प्रयोग के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल जैसे किसी इंटर-नेटवर्किंग प्रोटोकॉल की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि, नेटवर्क को खंडों में विभाजित कर और राउटरों के साथ सेगमेंट ट्रैफिक को तार्किक रूप से विभाजित कर एक एकल कंप्यूटर को इंटर-नेटवर्क में परिवर्तित किया जा सकता है। इंटरनेट प्रोटोकॉल को पूरे नेटवर्क में एक गैर-भरोसेमंद (बिना गारंटी वाली) पैकेट सर्विस प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका ढांचा (आर्किटेक्चर) किसी भी अवस्था के नेटवर्क को बनाए रखने वाले मध्यवर्ती नेटवर्क संबंधी तत्वों की अनदेखी करता है। इसकी बजाय यह कार्य प्रत्येक संचार सत्र के अंतिम बिंदुओं (एंडप्वाइंट्स) को सौंपा जाता है। विश्वसनीय तरीके से डेटा के स्थानांतरण के लिए, एप्लिकेशनों को अनिवार्य रूप से एक उपयुक्त ट्रांसपोर्ट लेयर प्रोटोकॉल जैसे कि ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (टीसीपी) का इस्तेमाल करना चाहिए जो एक विश्वसनीय प्रवाह प्रदान करता है। कुछ एप्लिकेशन उन कार्यों में एक सरल, संपर्क-रहित ट्रांसपोर्ट प्रोटोकॉल, यूजर डेटाग्राम प्रोटोकॉल (यूडीपी) का इस्तेमाल करते हैं जिसके लिए डेटा की विश्वसनीय सुपुर्दगी के आवश्यकता नहीं होती है या रीयल-टाइम सर्विस जैसे कि वीडियों स्ट्रीमिंग की आवश्यकता होती है।[१]

नेटवर्किंग के मॉडल

प्रोटोकॉलों और इंटर-नेटवर्किंग में इस्तेमाल होने वाली विधियों का वर्णन करने के लिए सामान्यतः दो ढांचागत मॉडलों का इस्तेमाल किया जाता है।

ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन (ओएसआई) संदर्भ मॉडल को अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) के तत्वावधान के अंतर्गत विकसित किया गया था और यह यूजर एप्लिकेशनों में अंतर्निहित हार्डवेयर से सॉफ्टवेयर इंटरफ़ेस अवधारणाओं तक लेयरिंग प्रोटोकॉल संबंधी कार्यों के लिए एक परिशुद्ध विवरण प्रदान करता है। इंटर-नेटवर्किंग का प्रयोग मॉडल के नेटवर्क लेयर (लेयर 3) में किया गया है।

इंटरनेट प्रोटोकॉल सुइट, जिसे इंटरनेट का टीसीपी/आईपी मॉडल भी कहा जाता है, इसे ओएसआई मॉडल के अनुरूप डिजाइन नहीं किया गया था और ना ही इसका संबंध टिप्पणियों के अनुरोध और इंटरनेट मानकों के किसी भी मानदंड संबंधी विनिर्देश से है। एक स्तरित मॉडल के रूप में इसी तरह की उपस्थिति के बावजूद, यह एक बहुत ही कम परिशुद्ध, हल्के ढंग से परिभाषित ढांचे का इस्तेमाल करता है जो अपने आपको सिर्फ तार्किक नेटवर्किंग के पहलुओं से ही संबंधित रखता है। यह हार्डवेयर विशेष के निम्न-स्तरीय इंटरफेसों की चर्चा नहीं करता है और लोकल नेटवर्क लिंक में एक लिंक लेयर इंटरफेस की उपलब्धता को मानकर चलता है जिससे होस्ट जुड़ा होता है। इंटर-नेटवर्किंग की सुविधा इसके इंटरनेट लेयर के प्रोटोकॉलों द्वारा दी जाती है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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