आसोतरा

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ब्रह्मधाम,आसोतरा मन्दिर

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श्री 1008 खेतारामजी महाराज

आसोतरा एक गांव है जहां विश्व का दूसरा ब्रह्मा मन्दिर है। जिनका निर्माण ब्रह्मऋषि संत खेतारामजी महाराज ने करवाया था। पहला मन्दिर जो पुष्कर ,राजस्थान में स्थित है। खेताराम जी महाराज एक ऐसे सन्त हुए जिन्होंने प्राणी मात्र के प्रति दया और सहानुभूति का सन्देश दिया तथा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से होने वाली जीव हत्या पर रोक लगाई। अप्रत्यक्ष जीव हत्या पर रोक के सन्देश को जीवन में उतारते हुए राजपुरोहित समाज ने घर में बकरी रखना बन्द कर दिया। यही कारण है कि आज राजपुरोहित समाज दिन दुनी व रात चौगुनी प्रगति कर रहा हैं । कुलगुरू खेतेश्वर भगवान के आशीर्वाद व उनके शिष्य तुलछाराम जी महाराज के आदेश व ध्यानाराम जी महाराज की प्ररेणा से आज राजपुरोहित समाज ने कई सामाजिक कुरीतियों को प्रतिबंधित किया है। और ध्यानाराम जी महाराज द्वारा नशा मुक्त समाज हो का एक अभियान चलाया जा रहा है जो युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवर्ति को रोकने में कारगर साबित हो रहा हैं। इसी प्रकार दाता खेतेश्वर का आशीर्वाद सब पर बना रहे 🙏🙏

स्थिति

आसोतरा एक गांव है जो राजस्थान राज्य के बाड़मेर ज़िले में स्थित है। ये बालोतरा शहर के नज़दीक है। आसोतरा बालोतरा से १० किमी ,पचपदरा से १७ किमी ,उमरेली से १७ किमी और मेली से १८ किमी की दूरी पर स्थित है तथा यह जोधपुर हवाई अड्डे से १०० किमी की दूरी पर ha lok katha ka anusar yaha kalki avtar bhagwan ka darshan karaga our lok katha ka anusar Balotra mai hona wale kalyugi yudh ka ek badha bhai yaha kuch din ruka ga

भगवान

ब्रह्मा जो हिंदुओं के भगवान है इनके दो रूप है विष्णु और महेश ये ब्रह्मा जी के अवतार है। ब्रह्मा जी का एक मन्दिर पुष्कर ,राजस्थान में स्थित है और दूसरा मन्दिर यह है जो पीले (सुनहरे पत्थरों) से जो विशेष रूप से जैसलमेर के पत्थरों से बनाया गया है। इस मन्दिर का विश्राम गृह जोधपुरी पत्थर (चितर पत्थर) से बनाया गया है। मन्दिर में ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है ,जो संगमरमर की बनाई गई है। इस मन्दिर की स्थापना २० अप्रैल १९६१ में शुरू हुआ था। यहां हर दिन २०० किलोग्राम तक की अनाज पक्षियों को खिलाते हैं। यह भारत का पहला ऐसा ब्रह्मा जी का मंदिर है जिसमें ब्रम्हाजी के साथ माता सावित्री विराजमान है। इस मंदिर का निर्माण राजपुरोहित समाज के कुलगुरु श्री श्री 1008 श्री खेताराम जी महाराज द्वारा करवाया गया।0[१][२][३]

सन्दर्भ

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