आश्चुताश्म
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कन्दरा की छत से रिसता हुवा जल धीरे-धीरे टपकता रहता हैं। इस जल में अनेक पदार्थ घुले रहते हैं। अधिक ताप के कारण वाष्पीकरण होने पर जल सूखने लगता हैं तथा कन्दरा की छत पर पदार्थों का निक्षेप होने लगता हैं। इस निक्षेप की आक्र्ति परले स्तंभ की तरह होती हैं जो छत से नीचे फर्श की ओर विकसित होते हैं।
अपरदनात्मक स्थलरुप | अवकूट • टेरा रोसा • घोल रन्ध्र • विलयन छिद्र • धंसती निवेशिका • सकुण्ड • राजकुण्ड • घोल पटल • कन्दरा • कार्स्ट खिड़की • कार्स्ट झील • पोनार्स | |
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निक्षेपात्मक स्थलरुप |