आर्मी अल्फा

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आर्मी अल्फा (Army Alpha) सेना से सम्बन्धित मनोवैज्ञानिक परीक्षण है जिसे प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कई अमेरिकी सैन्य भर्तियों का मूल्यांकन करने के लिए विकसित किया गया था। रॉबर्ट यर्क्स और छह अन्य लोगों ने मिलकर इस परीक्षण का विकास किया था[१] और इसे पहली बार १९१७ में लागू किया गया था। यह परीक्षण सैनिकों की "मौखिक क्षमता (verbal ability), संख्यात्मक क्षमता, निर्देशों का पालन करने की क्षमता और सूचना का ज्ञान" की माप करता था। इस परीक्षण में मिले अंकों के आधार पर यह निर्धारण किया जाता था कि किसी सैनिक की सेवा करने की क्षमता कैसी है तथा वह किसी नेतृत्व वाले पद के योग्य है या नहीं। इसके आधार पर सैनिक के नौकरी करने की क्षमता का वर्गीकरण किया जाता था। जो सैनिक अनपढ़ थे, या विदेशी भाषा बोलने वाले थे, उनके लिए 'आर्मी बीटा' नामक परीक्षण किया गया, जिसमें बोलने की क्षमता आवश्यक नहीं थी। [२]

आलोचना

"आर्मी अल्फा" की सबसे स्पष्ट आलोचना यह है कि यह परीक्षण प्रथम विश्वयुद्ध के बाद इतना विकसित हो चुका है कि बुद्धि परीक्षण की जनसांख्यिकी में दी गई जानकारी कालातीत (ऑब्सोलीट) हो चुकी है। आलोचना तब भी हुई थी जब इस परीक्षण को स्वीकृति दी गयी थी।

इन्हें भी देखें

संदर्भ

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