आर्थिक असार
आर्थिक असार एक एसी स्थिति है जहां सम्पति कीमते अपनी आन्तरिक मूल्यो से ज़्यादा है और कभी भी किसी बुलबुले के समान फट सकती है। क्योंकि आन्तरिक मूल्यो का वास्तविक बाज़ारो पर्यवेक्षण करना कठिन है, आर्थिक असारे अक्सर पुनरावलोकन मे ही जान सकते है जब कीमते गिरनी लगती है। सट्टेबाज़ी आर्थिक असारो क मुख्य कारण है। कुछ अर्थशास्त्रियो मे एसी प्रतिभास के घटित होने मे असहमती है।
इतिहास
सन १६३७ में नेथरलैंड्स में सुर्खो की अनुबन्द कीमतें असाधारण उच्च स्तर पर रहीं और फिर ध्वन्स हो गईं। सुर्ख फूलो की कीमतें एक कुशल कारीगर के वार्षिक वेतन से १० गुना ज़्यादा थी और लोग बड़ी मात्रा मे खरीदने लगे। जब कीमते गिरनी लगी तो बहुत से लोगों का नुकसान हुआ। इसलिए इस घटना को सुर्ख उन्माद भी कहा जाता है।
प्रभाव
असारो का प्रभाव आर्थिक विचारों के कई स्कूलों के बीच बहस हुआ है; ये आम तौर पर फायदेमंद नहीं माना जाता है, लेकिन इनके निर्माण और विनाश कितान हानिकारक है, इस विषय पर अब भी चर्चा हो रही है।
मुख्यधारा के अर्थशास्त्रियों का मान्ना है कि असारो की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती और इनके निर्माण का निवारण करना आर्थिक मन्दी का कारण बन सकता है। इसलिए यह अर्थशास्त्री मानते है कि असारो के टूट्ने के बाद ही मौद्रिक और राजकोषीय नीति के साथ इनसे निपटना उपयुक्त है।
खर्च पर प्रभाव
अन्त मे जब असारे टूट जाते है, तो जिन लोगो के पास अधिमूल्यांकित संपत्ति है, आमतौर पर कम धन की भावना का अनुभव करते है और विवेकाधीन खर्च में कटौती करते हैं और उसी समय आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न होता है या बदतर, आर्थिक मंदी को तीक्ष्ण करते है।
संभावित कारण
आज तक, इस घटना की व्याख्या करने के लिए कोई व्यापक रूप से सिद्धांत स्वीकार करने के लिए नही है। हाल ही में कंप्यूटर जनित एजेंसी मॉडल अत्यधिक लाभ उठाने से असारो के पैदा होने का मुख्य कारक हो सकता है।
चलनिधि आधिक्य
असारो का एक संभावित कारण है अत्यधिक मौद्रिक तरलता वित्तीय प्रणाली में, जिसकी वजह से बैंकों अनुपयुक्त उधार देते है। सीधे शब्दों में कहें, जब बहुत ज्यादा पैसे भी कुछ संपत्ति पीछा कर रहा है, तब आर्थिक असार अक्सर होते हैं। अत्यधिक मौद्रिक तरलता इसका मुख्य कारण है।
सामाजिक मनोविज्ञान कारक
- महत्तर मूर्ख सिद्धांत (Greater Fool Theory)
- हर्डिंग
- व्यावहारिक जोखिम (Moral Hazard)
असारो के उदाहरण
डॉट कॉम बुलबुला
डॉट कॉम बुलबुला, एक ऐतिहासिक सट्टा बुलबुला जो १९९७-२००० के बीच लगभग बीता था। औद्योगिक देशों में शेयर बाजारों में अपनी इक्विटी मूल्य इंटरनेट क्षेत्र में विकास से तेजी से बढ़ोतरी हुई और फिर सन २०००-२००२ के बीच इनकी इक्विटी का मूल्य ढह गया।
महा मन्दी
दिसंबर 2007 में शुरू हुई जो चल रहे एक चिह्नित वैश्विक आर्थिक गिरावट हैऔर सितंबर 2008 में एक विशेष रूप से तेज मोड़ ले लिया है। इस मन्दी का परिनाम अब तक चल रहा। आर्थिक संकट के प्रारंभिक चरण एक वित्तीय तरलता संकट के साथ शुरू हुआ था। यह असार अमेरिका मे पहले फुटा, जब घरो की औसत कीमते अपने चरम के बाद गिरावट शुरू कर दिया था।
यूरोप में कई देशों के लिए एक दूसरे मंदी पड़ा और इन देशो मे संप्रभु ऋण संकट की आर्थिक दुष्प्रभाव पडा।