आदि बद्रीनारायण शत्रुघ्न मंदिर

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१५९क्ष२४०।तेम्प्ले।

https://web.archive.org/web/20160829051024/https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Color_temple.jpg Chidambaram-Natarajar-Temple-7 स्क्रिप्ट त्रुटि: "about" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। प्राचीन आदि बद्रीनारायण शत्रुघ्न मंदिर

प्राचीन मंदिर पौराणिक ए॰ं ऐतिहासिक रूप से मुनि की रेती के लिए॰ए॰ प्रमुख स्थल है। यह दो मंजिला पार्किंग के नजदीक नव घाट के पास स्थित है। यही वह स्थान है जहां से प्राचीनकाल में कठिन पैदल चार धाम तीर्थ यात्रा शुरु होती थी।

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान राम ए॰ं उनके भाई लंका में रावण के साथ युद्ध में हुई कई मृत्यु के पश्चाताप के लिए॰उत्तराखंड आए तो भरत ने ऋषिकेश में, लक्ष्मण ने लक्ष्मण झुला के पास, शत्रुघ्न ने मुनि की रेती में तथा भगवान राम ने देव प्रयाग में तपस्या की। यह माना जाता है कि मंदिर के स्थल पर ही शत्रुघ्न ने तपस्या की।

ऐसा माना जाता है कि उत्तराखंड में स्थित चारों में से ए॰ इस मंदिर की स्थापना नौवीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की। इस मंदिर की स्थापत्य उस समय के अन्य मंदिरों से मिलती है। मंदिर का मुख्य मूर्तियाँ आदि बद्री तथा शत्रुघ्न काले पत्थर से नक्काशी युक्त है। उनके बगल में भगवान राम, सीता तथा लक्ष्मण की मूर्ति के साथ गुरु वशिष्ठ की ए॰ छोटी मूर्ति सफेद संगेमरमर से बनी है। चारों धामों की तीर्थयात्रा सुगमता पूर्ण तथा कठिनाई रहित पूर्ण हो, इसलिए॰आदि बद्री तथा भगवान शत्रुघ्न की मूर्ति ए॰ साथ स्थापित की गई है, ऐसा माना जाता है। इस मंदिर परिसर के बाहर हनुमान की प्रतिमा इन्हें सुरक्षा प्रदान करती है और भगवान हनुमान इस क्षेत्र में लोगों द्वारा पूजा-अर्चना का उत्तर देने के लिए॰जिम्मेवार हैं।

प्रातः 4.30 बजे तथा सायं 7 बजे यहां आरती Click Here to Stream Video होती है ए॰ं इस आरती में शामिल होना फलदायक है।

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