आटोट्रान्सफार्मर

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आटोट्रान्सफार्मर का प्रतीक

आटोट्रान्सफार्मर (Autotransformer) एक ऐसी संरचना वाला ट्रान्सफार्मर होता है जिसमें केवल एक ही वाइंडिंग होती है। एक ही वाइंडिंग का कुछ भाग प्राइमरी (इनपुट) का काम करता है और कुछ भाग द्वितियक वाइंडिंग (या आउटपुट) का काम करता है। अत: इस अकेली वाइंडिंग में कम से कम तीन विद्युतीय सिरे (टर्मिनल्स) होते हैं। इस तरह का ट्रान्सफार्मर समान केवीए रेटिंग से सामान्य ट्रान्सफार्मर की अपेक्षा आकार और वजन में छोटा होता है। किन्तु इसमें प्राइमरी और सेकेण्डरी के बीच आइसोलेशन नहीं मिलता जो कहीँ-कहीं अनिवार्य रूप से आवश्यक होती है।

सिद्धान्त/क्रियाविधि (Operation)

एकल-फेजी आटोट्रान्सफार्मर जिसकी आउटपुट वोल्टता का रेंज इनपुट वोल्टता के 40%–115% है।
Схема автотрансформатора.JPG

आटोट्रान्सफॉर्मर में एक ही वाइण्डिंग होती है जिसके दो सिरों के अलावा बीच में भी एक या अधिक ट्रमिनल होते हैं। प्राइमरी (फिक्स्ड वोल्टेज) को दो अन्तिम छोरों के बीच लगाया जाता है। आउटपुट वोल्टेज बीच के किसी टर्मिनल और एक अन्तिम सिरे के बीच लिया जाता है। (चित्र देखें) [१] इस ट्रांसफॉर्मर की पूरी वाइण्डिंग के प्रत्येक टर्न (घेरे) में समान वोल्टेज होता है, चाहे वह टर्न प्राइमरी में हो या सेकेण्डरी (आउटपुट) में। आटोट्रान्सफॉर्मर में प्राइमरी से कुछ धारा सीधे लोड को चली जाती है।

(चित्र में, W1 के स्थान पर N1 तथा W2 के स्थान पर N2 समझें। इसी तरह, U1 के स्थान पर V1 तथा U2 के स्थान पर V2 समझें।)

<math>\frac{V_1}{V_2}=\frac{N_1}{N_2} = a </math>

(0<V2<V1)

The ampere-turns provided by the upper half:

<math>F_U = (N_1 - N_2)I_1 = (1-\frac{1}{a})N_1I_1</math>

The ampere-turns provided by the lower half:

<math>F_L = N_2(I_2 - I_1) = \frac{N_1}{a}(I_2-I_1)</math>

For ampere-turn balance, FU=FL:

<math>(1-\frac{1}{a})N_1 I_1 = \frac{N_1}{a}(I_2-I_1)</math>

Therefore:

<math>\frac{I_1}{I_2} = \frac{1}{a}</math>

लाभ

आटोट्रान्सफॉर्मर का आकार समान आकार के दो वाइण्डिंग वाले ट्रान्सफॉर्मर से छोटा होता है।[२]

परिवर्तनीय आटोट्रांसफॉर्मर

ये भी आटोट्रांसफॉर्मर ही होते हैं (प्राइमरी और सेकेण्डरी वाइण्डिंग अलग-अलग नहीं होतीं) लेकिन इसमें आउटपुट एक नियत (फिक्स्ड) बिन्दु से नहीं लिया गया होता है बल्कि वाइण्डिंग पर फिसलकर चलने वाले एक कार्बन ब्रश के माध्यम से लिया गया होता है। इससे लाभ यह होता है कि आउटपुट में एक सीमा के अन्दर कोई भी वोल्टता (continuously variable output voltage) प्राप्त की जा सकती है। इस कारण इसका उपयोग अनेक युक्तियों के परीक्षण में होता है। उदाहरण के लिये इसका उपयोग बल्ब को आवश्यकतानुसार कम या अधिक तीव्रता से जलाने के लिये किया जा सकता है। इसी तरह इसका उपयोग मोटर को 'सॉफ्ट स्टर्ट' करने के लिये किया जा सकता है। इसका इसके ब्रश को स्वतः नियंत्रित करके इससे एक वोल्टेज-स्टैब्लाइजर भी बनाया जाता है।

परिवर्ती आटोट्रान्फॉर्मर
तीन फेजी परिवर्ती आटोट्रान्फॉर्मर

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

इन्हें भी देखें