आखाँइन जातरा

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पहला माघ ‘आखाइन जातरा’ के रूप में मनाया जाता है। आदिवासी कुङमि आखाइन को ‘नव वर्ष’ के रूप में मनाते हैं। साल की शुरुआत मानकर इस दिन से ही सारे शुभ कार्य शुरू किये जाते हैं। जनजातीय परंपरा में इस दिन से ही खेत में पहला हल चलाकर खेती की शुरुआत की जाती है, जिसे हार पुनहा कहते हैं।

आखाँइन जातरा
आधिकारिक नाम हार पुन्हा
अन्य नाम हार पुन्हा, नतुन बछर
अनुयायी कुङमालि संस्कृति
उद्देश्य ढाई चक्कर हल जोत कर अपने कृषि कार्य शुरू करना
तिथि 1 मधुमास(माघ मास)

साँचा:main other

हार पुनहा

 कुड़मि किसान अपने खेत में ढाई  चक्कर हल चलाकर खेती का शुभारंभ करते हैं,  कुछ लोग गोबर गड्ढे में तीन कूदाल का चोट देकर भी इस रिवाज को निभाते हैं,  साथ में हमारे जलाशय बांध- तालाब से तीन कुदाल या तीन टोकरी मिट्टी उठाने का भी रिवाज है !

नतुन बअछर

पहला माघ ‘आखाइन जातरा’ के रूप में मनाया जाता है। जनजातीय किसान आखाइन को ‘नव वर्ष’ के रूप में मनाते हैं। साल की शुरुआत मानकर इस दिन से ही सारे शुभ कार्य शुरू किये जाते हैं। जनजातीय परंपरा में इस दिन से ही खेत में पहला हल चलाकर नव वर्ष मनाया जाता है

आखाइन जातरा

कोई भी नया काम आज के दिन करना अति शुभ माना जाता है जैसे कि कोई दुकान का शुभारंभ, कोई व्यवसाय, कोई महत्वपूर्ण काम, घर की नींव डालना, नए घर में प्रवेश एवं विवाह योग लड़कों के लिए लड़की देखने का प्रारंभ भी आज ही से होता है !

चिड़ि दाग

मान्यता अनुसार आज के दिन छोटे बच्चे एवं बड़ों को पेट में लोहे के रोड़ जो कि एक 4 चोंच वाले डिजाइन से बना होता है को गर्म करके पेट में नाभि के आस-पास दागा जाता है, कहा जाता है कि इससे बच्चे को पेट दर्द का शिकायत कम होता हैे ! यह चिड़ी दागना आज भी कहीं कहीं देखने को मिलता है पर अधिकांश जगह यह बंद भी हो गया है !

बाछुर दागना

जिस प्रकार हम बच्चे-बड़े को चिड़ी दागते हैं उसी मान्यता अनुसार बछिये को भी दागा जाता है, पर गाय बैलों के मामले में कुछ नियम अलग भी है हर गुसटि वाले का दागने का स्टाइल कुछ अलग अलग होता है कोई सीधा लकिर तो कोई चांद सा तो कोई तीर के आकार का बनाता है कहते हैं कि इससे एक अलग पहचान होता है, कोई भी अंदाजा लगाकर या निशान पहचान कर कह देगा कि यह फलाना गांव का अमुक गुसटि का होगा या है !

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