आउवा
आउवा राजस्थान के पाली जिले के मारवाड़ जंक्शन तहसील का एक प्रसिद्ध गाँव है। यह गाँव मारवाड़ जंक्शन रेलवे स्टेशन से १३ किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर भगवान शिव (कामेश्वर महादेव) का एक प्राचीन मंदिर है जो ११वीं सदी में निर्मित माना जाता है।
आउवा के ठाकुर कुशाल सिंह ने १८५७ की क्रान्ति में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष का नेतृत्व किया था।
चारणों का धरना
1586 ईस्वी में, विक्रम संवत 1643, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की 13 वें दिन, जोधपुर राज्य के राजा मालदेव राठौड़ की मृत्यु के बाद, उनके सबसे बड़े पुत्र चंद्रसेन राठौड़ राजा बने। लेकिन चंद्रसेन के छोटे भाई उदय सिंह ने मुगल बादशाह अकबर की मदद से राज्य हड़प लिया। चारणों ने उसका विरोध किया। वे राजा के विरुद्ध धरने के लिये मेवाड़ जा रहे थे; लेकिन आउवा के जागीरदार गोपाल दास चंपावत ने चारणों का समर्थन किया और सुझाव दिया कि वे आउवा गांव में धरना दें। चारणों ने कजलेश्वर महादेव मंदिर के सामने सुकड़ी नदी के तट पर धरना देने के लिए भूमि का चयन किया। उन्होंने 13 वीं से धरना शुरू किया और पूर्णिमा तक उपवास किया। तीसरे दिन से वे तागा (धागा) और तेलिया प्रदर्शन करके अपनी जान लेने लगे। राजा के विश्वस्त चारण मित्र, अखाजी बारहठ, और उनके तुरही (नगारची) गोविंद जी दमामी उन्हें रोकने के लिए वहां आए, लेकिन अखाजी बारहठ स्वयं अपने चारण भाइयों में शामिल हो गए। गोविंद जी दमामी ने चारणों को आत्मघात करने से रोकने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया लेकिन चारणों को रोका ना जा सका और अखाजी बारहठ समेत चारणों ने एक साथ आत्मघात कर अपना बलिदान दिया।[१]
बाहरी कड़ियाँ
- पाली:1857 की क्रांति का साक्षी आउवा गांव बनेगा ऐतिहासिक धरोहर (भास्कर)
- १८५७ की क्रांति में राजस्थानी शासकों की भूमिका
- ठाकुर कुशाल सिंह आउवा !
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