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यह एक आदर्शवादी निगमनात्मक सिद्धांत है। जिसमें सकल साधारणीकरण की प्रक्रिया से औद्योगिक अवस्थितिकी तथा अनुकूलतम अवस्थिती के आधार पर अधिकतम लाभ प्राप्ति को परिकल्पित किया गया है। 1909 में यह है दक्षिण जर्मनी के औद्योगिक केंद्रों की अवस्थिति की के अध्ययन पर आधारित सिद्धांत है जो स्थानिक विश्लेषण एवं तंत्र उपागम का एक अनुपम उदाहरण है

                              इस मॉडल का उद्देश्य ज्यामितीय विश्लेषण है जिसके आधार पर अधिकतम लाभ न्यूनतम दूरी तथा न्यूनतम लागत की प्राप्ति की जा सके।

सिद्धांत की निम्नलिखित आधार है। 1. एक समान भूदृश्य 2.प्रत्येक मानव आर्थिक एवं विवेकशील मानव है। 3.भू-दृश्य पर एक राजनीतिक तंत्र, नीतियां , एक्सटर्नल डिस्टरबेंस का अभाव तथा आंतरिक व्यापार, बंद आर्थिक तंत्र, प्रधान होते हैं। 4.भू दृश्य केंद्र में बाजार है जहां सभी औद्योगिक उत्पादों का विपणन होता है। A.आर्थिक आधार 1.बाजार मांग एवं मूल्य नियत है 2.परिवहन लागत दूरी एवं भार का गुणनफल होता है 3.औद्योगिक लाभ प्राप्ति के दो उपागम है।

             १. न्यूनतम लागत सिद्धांत के समर्थक बेवर है इसके अनुसार-
                    राजस्व =लागत +लाभ
              २. अधिकतम राजस्व नियम- इसके प्रणेता स्मिथ है इन्होंने लागत को नियत माना एवं मूल्य तथा मांग को बाजार के आधार पर परिवर्तनशील माना अर्थात मांग बढ़ने पर अथवा मूल्य बढ़ने पर लाभ बढ़ जाता है|
           बेवर ने औद्योगिक लागत को तीन वर्गों में रखा।

1. परिवहन लागत 2.श्रम लागत

3.प्रसंस्करण लागत

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